अगर आपके बच्चे में उपरोक्त में से कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर को तत्काल दिखाएं। कई बार बीमारियों के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न नजर आते हैं। ऐसे में चिकित्सा परामर्श लेना सबसे बेहतर है।
क्या हैं बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) के कारण?
बच्चों में हायपोथायरोज्म का सबसे प्रमुख कारण अनुवांशिक होता है। इसके अलावा निम्न कारण हो सकते हैं-
बच्चे की डाइट में आयोडीन की कमी
जिन बच्चों को अयोडीन सही मात्रा में नहीं मिल पाता है, उन बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)की समस्या हो सकती है। आयोडीन की कम मात्रा थायरॉइड ग्लैंड के कार्य को प्रभावित करती है।
खराब थायरॉइड ग्रंथि के साथ या उसके बिना पैदा होना
थायरॉइड ग्रंथि के सही से कार्य न कर पाने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ बच्चे जन्म से ही खराब थायरॉइड ग्रंथि के साथ पैदा होते हैं। ऐसे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)की समस्या हो सकती है। वहीं कुछ बच्चे बिना थायरॉइड ग्रंथि के ही पैदा होते हैं, जिसके कारण उन्हें अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
और पढ़ें : सिकल सेल डिजीज से ग्रस्त बच्चों की पेरेंट्स ऐसे करें मदद
गर्भावस्था के दौरान मां के थायरॉइड का सही इलाज न होना
गर्भावस्था या प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का थायरॉइड चेकअप होता है और डॉक्टर जरूरत पड़ने पर थायरॉइड का इलाज भी करते हैं। जिन महिलाओं का प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड का सही से चेकअप नहीं हो पाता है, उनके बच्चों को हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) की समस्या से गुजरना पड़ सकता है।
पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland) का असामान्य व्यवहार
पीयूष ग्रंथि को मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है। ये शरीर की अन्य ग्रंथियों को निंयत्रण में रखती है। जब पीयूष ग्रंथि सही से काम नहीं करती है तो थायरॉइड ग्लैंड का कार्य भी प्रभावित होता है। इस कारण से बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) की समस्या हो सकती है।
थायरॉइड सर्जरी (Thyroid surgery) के कारण हाइपोथायरायडिज्म
थायरॉइड को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। अगर थायरॉइड का केवल हिस्सा हटाया जाए तो भी बची हुई ग्रंथि शरीर की जरूरतों के लिए पर्याप्त हॉर्मोन का प्रोडक्शन कर सकती है लेकिन ये बात सर्जरी पर निर्भर करती है कि ग्रंथि का कितना हिस्सा हटाया गया है।
किन बच्चों में ज्यादा होता है हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) का खतरा?
जिन बच्चों को माता-पिता, दादा-दादी या भाई बहन को हायपोथारोडिज्म हो और जिनके परिवार के किसी सदस्या को रोगप्रतिरोधक क्षमता संबंधी बीमारो हो उन्हें इसका ज्यादा खतरा होता है।
और पढ़ें : क्या ग्रीन-टी या कॉफी थायरॉइड पेशेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती है?
बच्चों में कैसे पता चलता है हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) का?
बच्चे की उम्र और बाकी कारकों के आधार पर डॉक्टर बच्चे का उपचार करते हैं। सामान्य तौर पर फिजिकल टेस्ट, ब्लड टेस्ट (Blood test) और हार्मोन टेस्ट से इसका पता लगा लिया जाता है। हर 4 हजार में से 1 बच्चे में ये समस्या पाई जाती है। अगर थायरॉइड ग्रंथि बढ़ गई है तो इसके गोइटर (goiter) या घेंघा कहते हैं जिसे गर्दन पर साफ देखा जा सकता है।
बच्चों में कैसे होता है हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) का इलाज?
हाइपोथायरायडिज्म के कई इलाज संभव हैं। सबसे थायरॉइड हार्मोन थेरेपी की जाती है जिसमें लीवथायरॉक्सिन (Levothyroxin) नामक दवाई दी जाती है। वहीं नवजात बच्चों में पहले एक महीने तक इसका इलाज आसान है। हालांकि, अगर जन्म के बाद इसका इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर समस्या पैदा करता है। इससे बच्चे के विकास में बाधा और कई विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के नेचुरल तरीके
बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करने के लिए आप कुछ नेचुरल तरीके भी आजमा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले बच्चे के खान-पान और लाइफस्टाइल को बदलने की जरूरत हो सकती है।