शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को वायरस या फिर बैक्टीरिया के खिलाफ मजबूत बनाने के लिए टीकाकरण बेहतर उपाय माना जाता है। टीकाकरण या वैक्सीनेशन के माध्यम से एक या दो नहीं बल्कि कई बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी मेनिंगोकोकल डिजीज में भी वैक्सिनेशन की जरूरत पड़ती है। मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal vaccines) मेनिंगोकोकल डिजीज को रोकने में मदद कर सकती है, जो कि निसेरिया मेनिंगिटिडिस बैक्टीरिया (Neisseria meningitidis bacteria) के कारण होने वाली बीमारी है।
जन्म के बाद बच्चों को वैक्सीन देना शुरू कर दिया जाता है। डॉक्टर वैक्सिनेशन चार्ट के माध्यम से पेरेंट्स को समझाते हैं कि बच्चों को अगली वैक्सीन कब लगवाना है। ऐसे में पेरेंट्स को भी डॉक्टर से उन जरूरी वैक्सीन के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए, जो कई बार चार्ट में नहीं दिए रहते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आज मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal vaccines) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही इससे संबंधित सावधानियों के बारे में भी बताएंगे।
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मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal vaccines) की क्यों पड़ती है जरूरत?
मेनिंगोकोकल डिजीज (Meningococcal disease) बच्चों में फैलने वाला एक गंभीर रोग है। यह रोग बैक्टीरिया के कारण फैलता है। मेनिंगोकोकल डिजीज का इंफेक्शन हो जाने के कारण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) को कवर करने वाली पतली परत संक्रमित हो जाती है। इस बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण ब्लड में भी इंफेक्शन हो सकता है। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज न कराया जाए, तो करीब 50 प्रतिशत मामलों में पेशेंट की मृत्यु भी हो सकती है। अगर सही समय पर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाए और साथ ही बीमारी को डायग्नोज कर लिया जाए, तो बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। जो लोग इस बीमारी से बच जाते हैं, उनमें परमानेंट ब्रेन डैमेज (Permanent brain damage), सुनने की क्षमता कम होना (Hearing loss) या फिर ना सुनने की क्षमता न रह जाना, किडनी का फेल होना (Kidney failure), पैर या हाथों का ठीक प्रकार से काम ना करना या क्रॉनिक नर्वस सिस्टम से संबंधित समस्याओं (Chronic nervous system problems )का सामना करना पड़ सकता है। इन सभी समस्याओं से बचाने के लिए मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal vaccines) अहम भूमिका निभाती है।
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मेनिंगोकोकल वैक्सीन के प्रकार (Meningococcal vaccines type)
दो प्रकार के मेनिंगोकोकल वैक्सीन को वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में बच्चों को दिए जाते हैं:
मेनिंगोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (The meningococcal conjugate vaccine)
चार प्रकार के मेनिंगोकोकल बैक्टीरिया (जैसे कि बैक्टीरिया ए, सी, डब्ल्यू और वाई) से ये वैक्सीन बचाने का काम करता है। यह 11 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी बच्चों और किशोरों को दिया जा सकता है। मेनिंगोकोकल रोग होने का अधिक जोखिम जिन बच्चों को होता है, उन्हें आठ सप्ताह के दौरान भी इस वैक्सीन को दिया जा सकता है। आपको इसके बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
मेनिंगोकोकल बी वैक्सीन (The meningococcal B vaccine)
पांचवें प्रकार के मेनिंगोकोकल बैक्टीरिया ( टाइप बी) मेनिंगोकोकल बी वैक्सीन बचाने का काम करता है। यह नए प्रकार का वैक्सीन है और स्वस्थ लोगों के लिए रेग्युलर वैक्सिनेशन के रूप में अभी तक रिकमंडेड नहीं है। लेकिन कुछ बच्चे और किशोर, जिन्हें मेनिंगोकोकल बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, उन्हें ये वैक्सीन 10 साल की उम्र से देना शुरू कर देना चाहिए। जिन लोगों को इस बीमारी का जोखिम नहीं हैं, उन्हें ये वैक्सीन 16 से 23 वर्ष की उम्र के बीच दी जा सकती है।16 से 18 साल की उम्र के बीच संक्रमित होने का जोखिम सबसे अधिक होता है। ऐसे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद मेनिंगोकोकल बी वैक्सीन (The meningococcal B vaccine) दिया जा सकता है। आपको इसके बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
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मेनिंगोकोकल वैक्सीन की कब पड़ती है जरूरत?
जब बच्चे 11 या 12 साल के हो, तो इन्हें पहला डोज दिया जा सकता है, वहीं 16 साल की उम्र में बूस्टर दिया जाता है। 13-18 वर्ष के किशोरों के लिए, जिन्हें अभी तक टीका नहीं लग पाया है,या जिनकी पहली खुराक 13-15 की उम्र के बीच है, उन्हें 16-18 की उम्र के बीच बूस्टर खुराक (Booster dose) मिलनी चाहिए। 16 साल की उम्र के बाद पहली खुराक लेने वाले किशोरों को बूस्टर खुराक (booster dose) की आवश्यकता नहीं होती है। आप डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें कि बच्चे को मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal vaccines) की पहली डोज की जरूरत कब होती है।
मेनिंगोकोकल डिसीज से जिन बच्चों को अधिक खतरा रहता है, उन्हें मेनिंगोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (The meningococcal conjugate vaccine) की पूरी सीरीज लगनी चाहिए। अगर वह 11 साल से कम उम्र के है या फिर वह देश से बाहर जा रहे हैं या फिर जहां पर इस बीमारी का खतरा अधिक है। ऐसे लोगों को वैक्सिनेशन जरूर करानी चाहिए। जिन लोगों को इस बीमारी का जोखिम अधिक नहीं है या फिर ना के बराबर है उन्हें पेरेंट्स के साथ ही डॉक्टर से जानकारी या परामर्श करने के बाद ही इस वैक्सीन की डोज लेनी चाहिए। इस वैक्सीन की डोज 16 से 18 साल दिल्ली जाने की सलाह दी जाती है। ऐसे लोगों को दो डोज की जरूरत पड़ती है।
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मेनिंगोकोकल वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
किसी भी व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने पर कुछ साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव दिख सकते हैं। इस वैक्सीन को लगवाने के बाद भी इंजेक्शन वाले स्थान में सूजन, लालिमा, आदि साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। कुछ लोगों में सिर दर्द की समस्या, फीवर आना, थकान का एहसास आदि समस्याएं दिख सकती हैं। वहीं जिन लोगों को वैक्सीन की दवा से एलर्जी है, उन्हें वैक्सीन (Vaccine) को नहीं लगावाना चाहिए। अगर आपको वैक्सीन लगवाने के बाद किसी प्रकार की समस्या हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को जानकारी देनी चाहिए।
अगर आपके बच्चे को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी है, तो आपको डॉक्टर को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। कुछ बीमारियों के दौरान डॉक्टर वैक्सीन ना लगवाने की सलाह देते हैं। वहीं अगर आपके बच्चे को इस वैक्सीन की पहली खुराक लगने के बाद एलर्जी की समस्या हो गई है, तो ऐसे में भी वैक्सीन लेने के लिए मना किया जाता है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से लेनी चाहिए कि किस स्थिति में वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal B vaccine) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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