स्मॉल पॉक्स वैक्सीन (Smallpox Vaccine) स्मॉल पॉक्स (Small Pox) के प्रति इम्यूनिटी डेवलप करके इस बीमारी से बचाने में मदद करती है। वैक्सीन वेसिनिया (Vaccinia) वायरस से बनी होती है। जो स्मॉल पॉक्स की ही तरह एक पॉक्स वायरस (Poxvirus) होता है, लेकिन यह इतना नुकसानदेह नहीं होता। स्माॅल पॉक्स वैक्सीन में लाइव वैसिनिया वायरस होता है न कि मरा हुआ या कमजोर वायरस जो कि ज्यादातर वैक्सीन में उपयोग किया जाता है। इस कारण से, जिन लोगों को टीका लगाया जाता है, उन्हें बांह पर जिस जगह टीका लगा था उसकी देखभाल करते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे वैसिनिया वायरस को फैलने से रोक सकें। ध्यान रखें कि स्मॉल पॉक्स वैक्सीन में स्मॉल पॉक्स वायरस नहीं होता है और इससे स्मॉल पॉक्स नहीं होता है। इस आर्टिकल में स्मॉल पॉक्स वैक्सीन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही हैं।
स्मॉल पॉक्स (Small Pox) क्या है?
स्मॉल पॉक्स एक वायरस है। स्मॉल पॉक्स इंफेक्शन के लक्षण दो से पांच में शुरू होते हैं। जिसमें तेज बुखार, पीठ में दर्द और बाद में चकत्ते विकसित होते हैं। चकत्तों की शुरुआत चेहरे और गले की लाइनिंग से शुरू होते हैं जो बाद में पूरे शरीर और पैरों में फैल जाते हैं। चकत्तों की शुरुआत रेड बम्प्स से होती है जो त्वचा पर सपाट होते हैं, लेकिन बाद में इनमें उभार आने लगता है। चेचक के दाने त्वचा में गहराई से समा जाते हैं। त्वचा पर जीवन भर रहने वाले निशान अक्सर बीमारी के समाधान के बाद होते हैं।
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स्मॉल पॉक्स कैसे फैलता है? (How is small pox spread?)
स्मॉल पॉक्स एक बीमार व्यक्ति से दूसरे में गले या मुंह के ड्रॉपलेट्स से फैलता है। इसका मतलब यह है कि यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और बात करने से फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ क्लोज कॉन्टैक्ट से यह तेजी से फैलता है। यह चिकनपॉक्स की तुलना में अलग तरीके से प्रभावित करता है। चिकनपॉक्स वायरस (Varicella) रेशेज आने के पहले ही फैल सकता है जबकि स्मॉल पॉक्स तब ही फैलता है जब रैशेज आ आते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला वायरस मुंह और गले में स्थित फफोले में निहित होता है। आमतौर पर लक्षणों के शुरू होने में वायरस के संपर्क में आने में लगभग 12 दिन लगते हैं। अब जान लेते हैं इस वायरस से बचाव करने वाली वैक्सीन के बारे में अन्य जानकारी।
स्मॉल पॉक्स वैक्सीन (Small pox vaccine) कितनी सुरक्षित है?
ज्यादातर लोग जिनका इम्यून सिस्टम हेल्दी है उनके लिए लाइव वायरस वैक्सीन प्रभावशील और सुरक्षित हैं। कई बार जो व्यक्ति लाइव वैक्सीन लेता है उसे बुखार, सिर और बदन दर्द, चकत्ते होना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कुछ लोगों में वैसिनिया वायरस से गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं। मीजल्स, मम्प्स, रूबेला और चिकनॉक्स के लिए भी लाइव वायरस वैक्सीन का यूज किया जाता है। बता दें कि स्मॉल पॉक्स वैक्सीन 3-5 साल तक स्मॉल पॉक्स से प्रोटेक्शन प्रदान करती है। इसके बाद इसकी क्षमता में कमी आने लगती है।
लॉन्ग टर्म प्रोटेक्शन के लिए बूस्टर वैक्सिनेशन की जरूरत होती है। यह वैक्सीन स्मॉल पॉक्स इंफेक्शन को रोकने में 95% तक इफेक्टिव है। इसके साथ ही किसी व्यक्ति के वेरियोला वायरस (Variola virus) के संपर्क में आने के कुछ दिनों के भीतर दिए जाने पर यह टीका संक्रमण को रोकने या काफी हद तक कम करने के लिए सिद्ध हुआ था।
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स्मॉल पॉक्स वैक्सीन किसको लेना चाहिए? (Who Should Get the Small Pox Vaccine?)
स्मॉल पॉक्स के दुनिया से खत्म होने के बाद स्मॉल पॉक्स के लिए होना वाला रूटीन वैक्सीनेशन बंद कर दिया गया था क्योंकि इसकी जरूरत नहीं थी। जनरल पब्लिक के लिए यह वैक्सीन अब उपलब्ध नहीं है। भारत में भी स्मॉल पॉक्स वैक्सीन का प्रोडक्शन 1979 में रोक दिया गया था। वहीं कई देशों जैसे अमेरिका में बायोटेरेरिज्म में वेरियोला वायरस के उपयोग के खतरे की आशंका के मद्देनजर स्मॉल पॉक्स वैक्सीन का स्टॉक रखा है।
लैब में काम करने वाले और वायरस (जो स्मॉल पॉक्स का कारण बन सकते हैं) के संपर्क में काम आने वाले लोगों को इस वैक्सीन को लेना चाहिए। स्मॉल पॉक्स का आउटब्रेक होने पर स्मॉल पॉक्स वैक्सीन लेनी चाहिए। अगर व्यक्ति चेचक के वायरस के सीधे संपर्क में हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चेचक वाले व्यक्ति के साथ लंबे समय तक आमने-सामने संपर्क था। यदि चेचक का प्रकोप होता है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी बताएंगे कि टीका किसे और कब लगवाना चाहिए।
स्माॅल पॉक्स वैक्सीन कैसे दी जाती है? (How is the small pox vaccine given?)
स्मॉल पॉक्स वैक्सीन स्पेशल टेक्नीक के जरिए दी जाती है। यह ज्यादातर दी जाने वाली दूसरी वैक्सीन की तरह शॉट के रूप में नहीं दी जाती। यह दो नीडल्स का उपयोग करके दी जाती है। नीडल को वैक्सीन सॉल्यूशन में डिप किया जाता है ताकि उसमें वैक्सीन सॉल्यूशन भर जाए। इसके बाद नीडल के जरिए स्किन को कुछ सेकेंड के भीतर कई बार छेद (Prick) किया जाता है। यह गहरा नहीं होता है, लेकिन हल्के दर्द और चुभन का कारण बन सकता है। ब्लड की कुछ डॉप्स भी बाहर आ सकती हैं। वैक्सीन आम तौर पर ऊपरी बांह में दी जाती है।
अगर वैक्सिनेशन सफल रहता है तो तीन से चार दिन में वैक्सीन साइट पर लाल और खुजली वाला जख्म (Lesion) जैसा डेवलप हो जाता है। पहले हफ्ते में घाव बड़ा होता है और इसमें पस भी होती है, लेकिन फिर यह सूखने लगता है। दूसरी हफ्ते में सूखना शुरू कर देता है और इस पर पपड़ी जम जाती है। तीसरे हफ्ते में यह पपड़ी भी निकल जाती है और एक निशान रह जाता है।
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स्मॉल पॉक्स वैक्सीन कब समय तक इम्यूनिटी प्रदान करती है? (How long does immunity to smallpox last?)
इस सवाल का जवाब ऐसे समझा जा सकता है कि यूनाइटेड स्टेट्स में 1972 में इस वैक्सीन को बंद कर दिया था। ऐस में जो लोग 50 साल से अधिक के हैं उन्हें स्मॉल पॉक्स के लिए फिर से वैक्सीनेट नहीं किया गया, लेकिन 50 वर्ष से अधिक उम्र के लिए लोगों का क्या? क्या स्मॉल पॉक्स वैक्सीन की इम्यूनिटी 50 साल से अधिक समय के लिए रहती है? इसको लेकर 1900 में इंग्लैंड में एक स्टडी की गई।
1902 और 1903 के बीच लिवरपूल में 1,000 से अधिक लोगों को प्रभावित करने वाले चेचक का आउटब्रेक हुआ। चेचक से संक्रमित लोगों को दो समूहों में विभाजित किया गया था: वे जिन्हें शैशवावस्था में चेचक का टीका मिला था और जिन्हें नहीं मिला था। 30- से 49 वर्ष के बच्चों के लिए मृत्यु दर टीकाकरण समूह में 3.7 प्रतिशत और गैर-टीकाकरण समूह में 54 प्रतिशत थी। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए, टीकाकरण समूह में मृत्यु दर 5.5 प्रतिशत और गैर-टीकाकरण समूह में 50 प्रतिशत थी।
इसलिए, चेचक के टीके टीकाकरण के 50 साल बाद भी चेचक से होने वाली बीमारी से सुरक्षित रहते हैं।
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