मूल बातें जानिए
एपेन्डेक्टमी (appendectomy) क्या है?
एपेन्डेक्टमी सर्जिकली ऍपेन्डेक्स को निकालने के लिए की जाती है। आमतौर पर ये सर्जरी इमरजेंसी के समय अपेंडिसाइटिस यानि अपेंडिक्स में सूजन या जलन पर होती है। अपेंडिसाइटिस में आपको बुखार, घबराहट, उल्टियां और लोअर एब्डोमेन में दर्द हो सकता है।
इस बीमारी में खाना और अपशिष्ट पदार्थ अपेंडिक्स के सूजे हुए निचले हिस्से में जाकर इक्कठा हो जाते हैं, जिससे इन्फेक्शन का खतरा होता है। ये मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो अपेंडिक्स फट सकती है और इन्फेक्शन पूरे लोअर एब्डोमेन में फैल सकता है। एब्डोमिनल कैविटी की लाइनिंग में इन्फेक्शन को पेरिटोनिटिस (peritonitis) भी कहते है। एपेन्डेक्टमी का सही इलाज न होने पर ये जानलेवा भी है।
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एपेन्डेक्टमी क्यों करवाई जाती है?
एपेन्डिसाइटिस एक जानलेवा बीमारी है और डॉक्टर्स मानते है कि बहुत दिन इसके ऑपरेशन को टालना जानलेवा भी हो सकता है। अपेंडिक्स की सूजन कम होने के इंतज़ार में ऑपरेशन को टालना अपेंडिक्स के फटने की आशंका को बढ़ा देता है। अपेंडिसाइटिस का निदान होने पर आपको इस सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में आपका अपेंडिक्स पीड़ादायक, सूजा हुआ और संक्रमित हो जाता है। अपेंडिसाइटिस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं और मेडिकल सहायता प्राप्त करें। ये लक्षण हैं;
- नाभि के पास अचानक दर्द शुरू होना (जो पेट के दाहिने निचले हिस्से तक हो)
- पेट में सूजन
- पेट की मांसपेशियों में तनाव आना (Rigid Abdominal Muscles)
- भूख कम लगना
- दस्त हो जाना,
- मतली (Nausea),
- उल्टी आना,
- लो-ग्रेड बुखार (Low Grade Fever- 98.6° F से ज्यादा लेकिन 100.4° F से कम)
हालांकि, अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है लेकिन गर्भावस्था में अपेंडिक्स ऊपर हो जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है, अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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जानें इसके खतरे
एपेन्डेक्टमी (Appendectomy) के क्या खतरे हैं ?
अगर एपेंडिक्स के इन्फेक्शन को अनदेखा करते है तो भविष्य में अपेंडिक्स के फटने और इन्फेक्शन के निचले एब्डोमेन में फैलने की आशंका बढ़ जाती है।
एब्डॉमिनल ऑर्गन्स और वॉल के इन्फेक्शन को पेरिटोनिटिस (peritonitis) कहते हैं। ये एक जानलेवा बीमारी है। एपेन्डेक्टमी के कुछ साइड इफेक्ट्स हैं, जैसे :
- बॉवेल, ब्लैडर और ब्लड वेसल्स में खराबी
- कट्स के पास हर्निया हो जाना
- सर्जिकल इम्फीसेमा
- गलत डायग्नॉसिस
- बॉवेल पैरालिसिस
- लीकेज होना
- पाइल फ्लेबिटिस
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सर्जरी के अलावा अगर परेशानी बहुत ज्यादा नहीं है तो आप एंटीबायोटिक थेरेपी भी करा सकते है। स्टडी में सर्जरी और एंटीबायोटिक थेरेपी के मरीजों में पाया गया है कि 70 प्रतिशत लोगों में एंटीबायोटिक थेरेपी काम आ जाती है और सर्जरी नहीं करनी पड़ती। लेकिन एंटीबायोटिक थेरेपी कब काम करेगी या नहीं करेगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है इसलिए एंटीबायोटिक थेरेपी उन पेशेंट्स के लिए रखी गई है जो शारीरिक रूप से सर्जरी नहीं करा सकते।
एपेन्डेक्टमी सर्जरी से पहले समस्याएं और खतरों को समझना जरुरी है। किसी भी और जानकारी या सवाल के लिए अपने डॉक्टर से मिलें। आप सर्जरी से पहले डॉक्टर से जरूरी जानकारी ले सकते हैं।
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जाने की सर्जरी में होता क्या है ?
एपेन्डेक्टमी (Appendectomy) की तैयारी कैसे करे ?
अपेंडिक्स ऑपरेशन जनरल एनेस्थेसिया की मदद से किया जाता है। ऑपरेशन से पहले आप क्या खा सकते है और क्या नहीं इसके बारे में पता कर ले। आमतौर पर ऑपरेशन से छः घंटे पहले आपको कुछ भी खाने से मना किया जाएगा। सर्जरी के पहले आप लिक्विड्स जैसे कॉफ़ी पी सकते है।
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एपेन्डेक्टमी (Appendectomy) के समय क्या होता है ?
ऑपरेशन में लगभग दो घंटे लगेंगे। सर्जन लैप्रोस्कोपी से या फिर ओपन सर्जरी से यानि एब्डोमेन में कट लगाकर अपेंडिक्स को बाहर निकाल देंगे। ओपन एपेन्डेक्टमी एब्डोमेन में एक बड़ा चीरा लगाकर डायरेक्ट अपेंडिक्स को देखकर की जाती है। लप्रोस्कोपिक एपेन्डेक्टमी में एब्डोमेन में चार से पांच छोटे कट लगाकर इंस्ट्रूमेंट्स बॉडी के अंदर डालकर कंप्यूटर की मदद से की जाती है।
एब्डोमिनल कैविटी में ऑपरेशन के पहले गैस भरी जाती है जिससे एब्डोमिनल वाल और बाकि ऑर्गन्स अलग हो जाएं। इससे अपेंडिक्स भी साफ देख सकते हैं। अगर अपेंडिक्स पहले से फटा है तो लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी में बदली जा सकती है। किसी सवाल या अन्य जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या सर्जन से मिलें।
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रिकवरी
एपेन्डेक्टमी (Appendectomy) के बाद क्या होता है ?
अपेंडिक्स ऑपरेशन के चार पांच दिन बाद आप घर जा सकते है। अगर फटे हुए अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ है तो रिकवर होने में समय लगेगा। एक से दो हफ्ते बाद आप काम पर भी वापस जा सकते है। ये आपके काम और आपकी सर्जरी की गंभीरता पर निर्भर करेगा।
अपेंडिक्स ऑपरेशन होने के बाद देखभाल
अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद अस्पताल में देखभाल
- अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद पेशेंट को रिकवरी रूम में ले जाया जाता है। डॉक्टर्स मरीज की ह्रदय गति, श्वास, ब्लड प्रेशर आदि की जांच करते हैं।
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी आउट-पेशेंट में व्यक्ति को सर्जरी के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।
- अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है की सर्जरी किस प्रक्रिया से की गयी है और प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया का कौन-सा प्रकार दिया गया था। ऑपरेशन के आखिरी में चीरे के अंदर लगाई गई ट्यूब को तब निकाला जायेगा जब आंतों की कार्यवाही सामान्य हो जाएगी। जब तक उस ट्यूब को निकाल नहीं दिया जाता तब तक पेशेंट कुछ खा या पी नहीं सकता है।
अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद घर में देखभाल
- एपेन्डेक्टमी के बाद मरीज को घर ले आने के बाद ध्यान रखें कि उसके घाव को साफ और सूखा रखें।
- एपेन्डेक्टमी के बाद डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के हिसाब से ही नहाएं।
- घर आने के बाद भी नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहें।
- एपेन्डेक्टमी के बाद ज्यादा देर तक खड़े रहने पर चीरे की जगह और पेट की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन उचित समय पर करें।
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में आपको यह महसूस हो सकता है कि कार्बन डाइऑक्साइड अभी भी आपके पेट में है। यह प्रॉब्लम कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी।
- ऑपरेशन के बाद हर समय बिस्तर पर न रहकर, हल्का टहलना रोगी के लिए अच्छा रहता है। लेकिन थकाने वाले कार्य न करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आपको किसी भी प्रकार की सर्जरी के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।उम्मीद करते है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही अगर आपका इस विषय से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो वो भी हमारे साथ शेयर करें।
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