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बीमारी का कैसे किया जाता है डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट?
गैस्ट्रोपरेसिस (Gastroparesis) को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर पहले पेशेंट से बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन के साथ ही मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जानते हैं। इसके बाद डॉक्टर जरूरत पड़ने पर अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट, अपर एंडोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से गॉलब्लैडर डिजीज के बारे में, डायबिटीज के बारे में, लिवर डिजीज के बारे में जानकारी मिल जाती है। डॉक्टर कार्बन ब्रीथ टेस्ट की मदद से डायजेस्टिव सिस्टम (digestive system.) को ट्रेक कर सकते हैं।
बीमारी के ट्रीटमेंट के दौरान अगर व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी है, तो उसे कंट्रोल करने के लिए आपको सलाह दी जाती है। और साथ ही मेडिकेशन के साथ डाइट चेंज या फिर जरूरत पड़ने पर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। मेडिसिंस की मदद से मितली और वॉमिटिंग की समस्या को कंट्रोल किया जाता है। वहीं कुपोषण या फिर वह वॉमिटिंग की समस्या हो रही है, तो सर्जरी की सलाह दी जाती है। ऐसे में गैस्ट्रिक इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेटर (gastric electrical stimulator) इस्तेमाल किया जाता है और सर्जरी की मदद से इसे इम्प्लांट किया जाता है।
डायट में बदलाव भी है जरूरी!
ऐसे में पेशेंट के लिए डाइट चेंज भी बहुत जरूरी हो जाता है। डॉक्टर पेशेंट को ऐसी डाइट लेने की सलाह देते हैं, जो आसानी से पच जाए। इसमें रोजाना 4 से 6 बार भोजन करना, हाय कैलोरी वाले तरल पदार्थ पीना, कार्बोनेटेड या फिर शराब आदि का सेवन बंद करना, खाने के साथ ही मल्टीविटामिन लेना, कुछ मीट और डेयरी प्रोडक्ट को सीमित करना। अधिक फाइबर वाली सब्जियों से बचना, सब्जियों को पका कर खाना, कम फैट वाले पदार्थ लेना आदि की सलाह दी जा सकती है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको गैस्ट्रोपरेसिस (Gastroparesis) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।