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Movement In Lower Abdomen: लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट के कारण क्या हो सकते हैं?

Movement In Lower Abdomen: लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट के कारण क्या हो सकते हैं?

पेट में होने वाली मूवमेंट को आसानी से महसूस किया जा सकता है। लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen) होना सामान्य होता है, लेकिन अगर लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट हमेशा महसूस हो, तो यह किसी परेशानी की ओर भी इशारा कर सकती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहें हैं।

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen): पेट के निचले हिस्से में होने वाली गतिविधि के कारण क्या हो सकते हैं?

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen)

पेट के निचले हिस्से में होने वाली गतिविधि प्रायः दो बातों की ओर इशारा करते हैं। पहला कि अगर पेट के निचले हिस्से में होने वाली गतिविधि महिलाएं महसूस कर रहीं हैं, तो हो सकता है कि आप प्रेग्नेंट हों! अगर प्रेग्नेंसी की वजह से लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट महसूस कर रहें हैं, तो गर्भ में जैसे-जैसे शिशु का विकास होगा वैसे-वैसे आप लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट ज्यादा महसूस करेंगी। प्रेग्नेंसी के 16वें सप्ताह से 25वें सप्ताह में पेट के निचले हिस्से में गतिविधि को नोटिस किया जा सकता है। यह प्रेग्नेंसी का दूसरा ट्राइमेस्टर होता है। वहीं तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान बार-बार शिशु के द्वारा की जाने वाली गतिविधि को महसूस की जा सकती है। 

Short Bowel Syndrome: शॉर्ट बॉवेल सिंड्रोम क्या है? जानिए शॉर्ट बॉवेल सिंड्रोम के कारण और इलाज। 

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen): प्रेग्नेंसी के दौरान कब-कब लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट महसूस की जा सकती है?

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen)

प्रेग्नेंसी के दौरान लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट निम्नलिखित स्थितियों में महसूस की जा सकती है। जैसे:     

  • शिशु के गर्भ में हिचकी (Hiccupping) लेना। 
  • शिशु का टर्न (Turning over) करना। 
  • लिम्बस का स्ट्रेच (Stretching limbs) होना। 
  • फ्लेक्स (flexing) करने के दौरान। 
  • शिशु का गर्भ में किक (Kicking) मारना। 

इन स्थितियों में प्रेग्नेंसी के दौरान लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट महसूस की जा सकती है, जो शिशु द्वारा की जाने वाली सामान्य गतिविधि है। 

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प्रेग्नेंसी के दौरान लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना जरूरी है? (Consult Doctor if-) 

प्रेग्नेंसी के दौरान पेट के निचले हिस्से में होने वाली गतिविधि (Movement In Lower Abdomen) होने पर आप निम्नलिखित स्थिति महसूस हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। जैसे:

  • डायरिया की समस्या ज्यादा (Severe Diarrhea) होना। 
  • चक्कर (Dizziness) आना।  
  • बेहोश (Fainting) होना। 
  • यूरिनेशन (Urinating) के दौरान दर्द महसूस होना। 
  • वजायना से ब्लीडिंग (Vaginal bleeding) होना। 
  • वजायना से ग्रे या वाइट डिस्चार्ज (Unusual vaginal discharge) होना।  
  • धुंधला दिखाई (Blurred vision) देना। 
  • निप्पल में क्रैक (Cracked) आना या ब्लीडिंग (Bleeding) होना। 
  • हाथ, चेहरे या उंगलियों में सूजन (Swelling) आना। 
  • तेज सिरदर्द (Headaches) होना। 
  • आर्म्स (Arms), चेस्ट (Chest) या पैर (Legs) दर्द होना। 

प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ऊपर बताई कोई भी परेशानी महसूस होती है, तो इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें। 

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लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen): क्या बिना प्रेग्नेंसी के भी लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट महसूस की जा सकती है?

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट बिना प्रेग्नेंसी के भी निम्नलिखित स्थितियों में महिला या पुरुषों द्वारा महसूस की जा सकती है। जैसे: 

डायजेशन (Digestion)- खाना खाने के तुरंत बाद या कुछ घंटे के बाद लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट (Movement In Lower Abdomen) महसूस की जा सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फूड डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) से होते हुए इंटेस्टाइन (Intestines) तक जाती है।    

अपच (Indigestion)- सीने में जलन (Heartburn), जी मिचलना (Nausea), पेट दर्द (Stomach pain), ब्लोटिंग (Bloating) या उल्टी (Vomiting) होने पर भी पेट के निचले हिस्से में गतिविधि महसूस की जा सकती है।   

ओव्यूलेशन (Ovulation)- पीरियड्स (Periods) के दौरान क्रैम्प महसूस होने पर भी लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट की तरह ही महसूस किया जा सकता है। 

मांसपेशियों की ऐंठन (Muscle spasm)- अगर किसी भी कारण से मांसपेशियों की ऐंठन महसूस हो, तो ऐसी स्थिति में भी लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट महसूस की जा सकती है। 

इन स्थितियों के अलावा डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर पेट के निचले हिस्से में होने वाली गतिविधि महसूस की जा सकती है। अगर ऐसी परेशानी लगातार बनी रहे, तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए।  

नोट: पेट से जुड़ी परेशानियों से राहत पाने के लिए दवाओं का सेवन किया जा सकता है, लेकिन अपनी मर्जी से दवाओं का सेवन ना करें। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं या दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं।

लोअर एब्डॉमेन में मूवमेंट होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए? (Consult Doctor if-)

अगर पेट में लगातर दर्द (Abdominal pain) रहे, उल्टी (Vomiting) होना, पेट फूला-फूला (Bloating) महसूस हो या फिर स्टूल में ब्लड (Blood in your stool) नजर आये तो ऐसी स्थिति को इग्नोर नहीं करना चाहिए और जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज करते हैं।

डायजेस्टिव हेल्थ को हेल्दी बनाये रखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Tips for Healthy Digestive Health)

डायजेस्टिव हेल्थ को हेल्दी बनाये रखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे?

  • एक बार में ज्यादा खाने से अपच (Indigestion) की समस्या हो सकती है। इसलिए एक बार में ज्यादा खाना खाने की आदत को टालें। थोड़ा-थोड़ा खाएं (Eat smaller portions) और खाने को एक बार की बजाये 4 से 5 बार में खाएं। ऐसा करने से अपच की समस्या से बचने में मदद मिल सकती है।
  • तेजी से खाने की वजह से गैस (Gas) एवं इंडायजेशन (Indigestion) की समस्या शुरू हो सकती है। इसलिए धीरे-धीरे खाएं (Eat more slowly) एवं खाने को पहले अच्छी तरह से चबाएं और धीरे-धीरे खाएं।
  • सेंसेटिव स्टमक की समस्या महसूस होने पर डेयरी (Dairy), स्पाइसी फूड (Spicy foods), प्रोसेस्ड फूड (Processed foods), ऑयली या फ्राइड फूड (Oily or fried foods), एल्कोहॉल (Alcohol) एवं ग्लूटेन (Gluten) का सेवन ना करें। कुछ लोगों में इन खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों के सेवन से सेंसेटिव गट की समस्या शुरू हो सकती है।
  • कैफीन (Caffeine) के सेवन से पेट से जुड़ी परेशानियों की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए कम से कम कैफीन का सेवन करें और पेट से जुड़ी परेशानियों से दूर रहें।
  • लंबे वक्त से तनाव (Chronic stress) में रहना पेट से जुड़ी परेशानियों को दावत दे सकता है। इसलिए कोशिश करें कि अपने आपको तनाव से दूर रखें।
  • पूरे एवं नैचुरल तरीके से पके हुए फलों (Ripen fruits) का सेवन करें।
  • अच्छी तरह से पकी हुई सब्जियों (Cooked vegetables) का सेवन करें।
  • लीन प्रोटीन (Lean protein) का सेवन करना लाभकारी हो सकता है।
  • जो अनाज (Grains) अच्छे से पच सके उनका सेवन करें।
  • फैट फ्री (Fat-free) या लो-फैट डेयरी (Low-fat dairy) का सेवन करें।

अगर आपको कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी हो, तो उसे नजरअंदाज ना करें। छोटी से छोटी बीमारी को नजरअंदाज करने का मतलब है आप अनजाने में किसी गंभीर बीमारी को इन्वाइट कर रहें हैं। इसलिए ऐसा ना करें और डॉक्टर से सलाह लें।

कॉन्स्टिपेशन (Constipation) की समस्या हो या कोई अन्य शारीरिक परेशानी! इनसभी का इलाज छुपा है योग में। नियमित और सही योगासन से शारीरिक एवं मानसिक तकलीफों को दूर किया जा सकता है। इसलिए यहां हम आपके साथ योग से जुड़ी जानकारी और करने का सही तरीका शेयर कर रहें हैं। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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‘Phantom Kicks’: Women’s Subjective Experience of Foetal Kicks after the Postpartum Period/https://psyarxiv.com/6qad9/Accessed on 15/03/2022

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Current Version

15/03/2022

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/03/2022

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