डायजेशन से जुड़ी समस्या होने पर कॉन्स्टिपेशन (Constipation), लूज मोशन (Loss motion), डायरिया (Diarrhea) या ऐसी ही कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे ये परेशानियां सिर्फ इतना ही नहीं है, क्योंकि कभी-कभी स्टूल में ब्लड (मल में खून) की समस्या भी देखी जा सकती है। इस समस्या के शिकार महिला और पुरुष दोनों ही हो सकते हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में रेक्टल हेमोरेज (Rectal Hemorrhage) से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
रेक्टल हेमोरेज क्या है?
रेक्टल हेमोरेज के कारण क्या हैं?
रेक्टल हेमोरेज के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं?
रेक्टल हेमोरेज का निदान कैसे किया जा सकता है?
रेक्टल हेमोरेज का इलाज कैसे किया जा सकता है?
क्या रेक्टल ब्लीडिंग (रेक्टल हेमोरेज) की समस्या अपने आप ठीक हो सकती है?
डॉक्टर से कब संपर्क करना है जरूरी है?
चलिए अब रेक्टल हेमोरेज (Rectal Hemorrhage) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
स्टूल में ब्लड नजर आना या अगर आपने टॉयलेट पेपर यूज करने के दौरान ब्लड देखा है, तो यह बीमारी का संकेत है। क्योंकि स्टूल से ब्लड आने की समस्या को रेक्टल हेमोरेज (Rectal Hemorrhage) कहते हैं। रेक्टल हेमोरेज को रेक्टल ब्लीडिंग (Rectal Bleeding) के टर्म से भी जाना जाता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बवासीर (Hemorrhoids) रेक्टल ब्लीडिंग का मुख्य कारण है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
ये लक्षण रेक्टल ब्लीडिंग के लक्षण (Rectal Hemorrhage symptoms) की ओर इशारा करते हैं। इसलिए ऐसे लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर परेशानियों को समझकर इलाज करते हैं, जिससे मरीज को जल्द से जल्द फायदा होता है।
रेक्टल हेमोरेज का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Rectal Hemorrhage)
रेक्टल हेमोरेज का निदान निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
फिजिकल एग्जाम (Physical exam)- अफेक्टेड एरिया को चेक करना और इस दौरान एनस को डॉक्टर क्लोस्ली मॉनिटर करते हैं।
एंडोस्कोपिक प्रक्रिया (Endoscopic procedures)- डॉक्टर थिन एवं फ्लैक्सिबल स्कोप वाले कैमरा से एनस की जांच करते हैं।
ब्लड टेस्ट (Blood tests)- ब्लड टेस्ट से व्यक्ति में एनीमिया (Anemia) की जानकारी मिलती है।
स्टूल टेस्ट (Stool tests)- स्टूल में ब्लड टेस्ट की जानकारी के लिए स्टूल टेस्ट की जाती है।
इन टेस्ट के अलावा डॉक्टर आवश्यकता पड़ने पर गैस्ट्रिक लावेज (Gastric lavage) एवं एक्स-रे (X-ray) करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखकर रेक्टल हेमोरेज का इलाज शुरू किया जाता है।
रेक्टल हेमोरेज का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Treatment for Rectal Hemorrhage)
रेक्टल हेमोरेज का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
हेमोरॉइड्स (Hemorrhoids) की समस्या अगर ज्यादा गंभीर हो तो डॉक्टर जल्द से जल्द इसका इलाज करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी की सहायता से इसे रिमूव किया जाता है।
एनल फिसर की समस्या प्रायः खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन इंफेक्शन की संभावनाओं को कम करने के लिए एंटीबायोटिक मेडिसिन (Antibiotics Medicine) प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
कोलन कैंसर (Colon cancer) की समस्या होने पर इलाज में वक्त लगता है और इस दौरान सर्जरी (Surgery), कीमोथेरिपी (Chemotherapy) और रेडिएशन थेरिपी (Radiation Therapy) की मदद ली जा सकती है।
पॉलिप्स (Polyps) की समस्या होने पर डॉक्टर पशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करते हैं, क्योंकि इससे कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
इन्हीं अलग-अलग विकल्पों से रेक्टल हेमोरेज का इलाज (Treatment of Rectal Hemorrhage) किया जाता है। हालांकि रेक्टल ब्लीडिंग की समस्या को घरेलू उपायों से भी दूर किया जा सकता है, लेकिन अगर घरेलू उपायों से लाभ ना मिले तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
क्या रेक्टल ब्लीडिंग (रेक्टल हेमोरेज) की समस्या अपने आप ठीक हो सकती है? (Tips to prevent Rectal Hemorrhage)
कुछ केसेस में रेक्टल ब्लीडिंग या रेक्टल हेमोरेज की समस्या (Problem of Rectal Bleeding) अपने आप ठीक हो सकती है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लापरवाही गंभीर समस्या को भी दावत दे सकती है। इसलिए इससे बचाव के लिए घरेलू उपाय किये जा सकते हैं। जैसे:
रेक्टल हेमोरेज (Rectal Hemorrhage) की समस्या है, तो ऐसी स्थिति में इसे इग्नोर ना करें। डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री (Medical History) और बीमारी की गंभीरता को समझन कर इलाज करते हैं।
नोट : ध्यान रखें कि कभी-कभी कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थों के सेवन की वजह स्टूल का रंग सामान्य से अलग हो सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में परेशान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आप स्टूल से ब्लड (Blood in Stool) आने की समस्या या रेक्टल होमोरेज के लक्षण को महसूस कर रहें हैं तो इसे इग्नोर नहीं करें।
अगर आपको कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी हो, तो उसे नजरअंदाज ना करें। छोटी से छोटी बीमारी को नजरअंदाज करने का मतलब है आप अनजाने में किसी गंभीर बीमारी को इन्वाइट कर रहें हैं। इसलिए ऐसा ना करें और डॉक्टर से सलाह लें।
कॉन्स्टिपेशन (Constipation) की समस्या को योग से भी दूर किया जा सकता है। कब्ज की समस्या कई गंभीर बीमारियों को दावत दे सकती है। इसलिए इससे बचना जरूरी है। तो कॉन्स्टिपेशन की समस्या से बचने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।
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