backup og meta

Sialolithiasis: सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन क्या है? जानिए इसके लक्षण और इलाज!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/03/2022

    Sialolithiasis: सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन क्या है? जानिए इसके लक्षण और इलाज!

    शरीर में कई तरह की परेशानियां या तकलीफ होती है। ऐसी ही एक शारीरिक परेशानी का नाम है सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन (Salivary Duct Obstruction)। आज इस आर्टिकल में सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन से जुड़े कई सवालों का जवाब जानेंगे, जिससे इस परेशानी को दूर करने में मदद मिल सके।

    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन क्या है?
    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन के लक्षण क्या हैं?
    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन के कारण क्या हैं?
    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन का इलाज कैसे किया जाता है?

    चलिए अब इन सवालों का जवाब जानते हैं।

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन (Salivary Duct Obstruction) क्या है?

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन (Salivary Duct Obstruction)

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन को मेडिकल टर्म में सियालोलिथायसिस (Sialolithiasis) भी कहा जाता है। यह सलाइवरी ग्लैंड स्टोन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दरअसल स्टोन में कैल्शियम की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। साथ ही, इनमें मैग्नीशियम, पोटैशियम और अमोनियम भी होता है। हमारे मुंह में तीन लार ग्रंथियां होती हैं, जो स्टोन का निर्माण करती हैं। बड़े, लंबे, और धीमी लार प्रवाह के कारण सलाइवरी ग्लैंड स्टोन बनते हैं। सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन की बीमारी बच्चों में नहीं होती है। यह ज्यादातर 30 से 60 की उम्र के बीच के पुरुषों में डायग्नॉस की जाती है। ज्यादातर स्टोन केवल एक ग्रंथि में होते हैं। हालांकि एक बार में कई स्टोन बन सकते हैं।

    ऐसा होने पर यह मुंह में लार के प्रवाह में बाधा डाल सकता है। ज्यादातर स्टोन मुंह के अंदर स्थित सबमैंडिब्यूलर ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं। कुछ स्टोन गाल के अंदर स्थित पैरोट ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं। सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन (Salivary Duct Obstruction) से मुंह में दर्द होता है। हालांकि इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। आप अपने डेंटिस्ट को दिखा सकते हैं। शायद ही कभी ऐसा होता कि स्टोन गंभीर समस्या बन जाएं। अक्सर लोग घर पर भी इसका इलाज कर सकते हैं।

    और पढ़ें : हाइपरटेंशन के लिए डैश डायट लेकर करे बीमारी को दूर

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Salivary Duct Obstruction)

    सियालोलिथायसिस के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन होने पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, क्योंकि उनका आकार काफी छोटा होता है। जब स्टोन का आकार बढ़ जाता है। ये नली को रोकते हैं और लार ग्रंथि में वापस आ जाते हैं, जिससे दर्द और सूजन की समस्या शुरू हो सकती है। ​दर्द धीरे-धीरे ज्यादा बढ़ सकता है। ग्रंथि के अंदर सूजन और संक्रमण हो सकता है।
    • सियालोलिथायसिस के लक्षण की बात करें, तो चेहरे, मुंह, या गर्दन में दर्द रहेगा। भोजन करते वक्त यह दर्द और भी बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लार ग्रंथियां खाने के लिए लार बनाती हैं। स्टोन की वजह से लार बनना बंद हो जाती है जिससे सूजन और दर्द रहता है।
    • लार न बनने के कारण मुंह को सूखा हुआ भी महसूस कर सकते हैं। इस वजह से भोजन निगलने या मुंह को खोलने में परेशानी हो सकती है।
    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन की वजह से संक्रमण भी हो सकता है। यह तब होता है जब ग्रंथि लार से भर जाती है। संक्रमण के लक्षणों की बात करें तो बुखार, मुंह में स्वाद महसूस न होना और प्रभावित क्षेत्र पर लालिमा हो सकती है।
    • सियालोलिथायसिस के लक्षण तब नजर आते हैं, जब आप खाने की कोशिश करते हैं। ये लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर को दिखाएं। कुछ अन्य लक्षण की बात करें तो जीभ के नीचे एक दर्दनाक गांठ और कान के आसपास या जबड़े के नीचे दर्द हो सकता है।

    और पढ़ें :  क्या है अब्लूटोफोबिया, इस बीमारी से पीड़ित लोगों को क्यों लगता है डर?

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन के कारण क्या हैं? (Symptoms of Salivary Duct Obstruction)

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

  • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन तब होता है जब लार के रसायन ग्रंथि में जमा हो जाते हैं। इनमें ज्यादातर कैल्शियम होता है। कई अध्ययन के बाद इसका यही कारण सामने आया है। रसायन जमा होने से लार बनना कम हो जाती है।
  • लार कम बनने के कई और कारण भी हैं। जैसे निर्जलीकरण, खराब भोजन, रक्तचाप की दवाएं,  मनोरोग की दवाएं और मूत्राशय नियंत्रण दवाएं।
  • अगर लार ग्रंथियों पर कोई चोट लग जाती है तो भी स्टोन होने का जोखिम हो सकता है।
  • आपके लार में कुछ पदार्थ, जैसे कैल्शियम फॉस्फेट और कैल्शियम कार्बोनेट, स्टोन बना सकते हैं। ये स्टोन आकार में कुछ मिलीमीटर से लेकर दो सेंटीमीटर तक हो सकते हैं। जब ये पत्थर आपकी लार नलिकाओं को अवरुद्ध करते हैं, तो लार ग्रंथियों में जमा हो जाते हैं। इसकी वजह से मुंह में सूजन आ जाती है।
  • पर्याप्त भोजन न करने से लार बननी कम हो जाती है। इस वजह से भी स्टोन बनते हैं।
  • धूम्रपान, गाउट, और कोई चोट होने पर भी सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन हो सकता है।
  • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन का इलाज कैसे होता है? (Treatment for Salivary Duct Obstruction)

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:

    • सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि स्टोन कहां है और यह कितना बड़ा है।
    • अगर पत्थर छोटे हैं तो डॉक्टर स्टोन को नलिका से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में वे आपको बहु​त ज्यादा पानी पीने या मालिश करने को कह सकते हैं।
    • मालिश से पैदा होने वाली गर्मी से ये बाहर निकल सकते हैं।  कभी-कभी एक डॉक्टर एक छोटे उपकरण से स्टोन को बाहर की ओर निकालने की ​कोशिश करते हैं।
    • बड़े स्टोन को हटाने में ज्यादा परेशानी हो सकती है। कभी-कभी एंडोस्कोप नाम की एक पतली ट्यूब को वाहिनी में डाला जा सकता है। अगर स्टोन को एंडोस्कोप के साथ देखा जा सकता है, तो डॉक्टर एक और उपकरण डाल सकते हैं।
    • उस उपकरण से स्टोन को निकाला जा सकेगा। कभी-कभी स्टोन को निकालने के लिए एक छोटे ऑपरेशन की जरूरत होती है। वहीं गंभीर मामलों में पूरी ग्रंथि और स्टोन को सर्जरी करके निकाला जाता है।
    • अगर स्टोन की वजह से ग्रंथि में संक्रमण हो गया है तो डॉक्टर आपको मुंह के लिए एंटीबायोटिक दवाइयां (Antibiotic medicine) दे सकते हैं। डॉक्टर को बिना दिखाए, कभी कोई एंटी​बायोटिक नहीं लेनी चाहिए।
    • इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर आपके मुंह का परीक्षण भी कर सकते हैं। इसमें एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड हो सकता है।
    • छोटे स्टोन को ठीक करने के ​लिए डॉक्टर नींबू या खट्टा कैंडी पर चूसने के लिए कह सकते हैं। इससे लार बनती है और स्टोन अपने-आप गलने लगते हैं।
    • इसके अलावा स्टोन को हटाने के लिए डॉक्टर सियालेंडोस्कोपी नामक एक नई तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल यूरोप में सफलतापूर्वक किया जाता है।
    • इसका उपयोग करके डॉक्टर ब्लॉकेज को खत्म करने की कोशिश करते हैं। इलाज के बाद रोगी को उसी दिन घर जाने की इजाजत मिल सकती है।
    • डॉक्टर स्टोन को छोटा करने या तोड़ने के लिए कुछ शॉक जैसी तकनीक अपना सकते हैं। इसे एक्सट्रॉस्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ESWL) कहा जाता है।
    • इस प्रक्रिया के दौरान, हाई एनर्जी साउंड तरंगों से स्टोन के छोटे टुकड़े करने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आपको बेहोश किया जा सकता है। ईएसडब्ल्यूएल का उपयोग आमतौर पर शरीर में अन्य प्रकार के स्टोन को तोड़ने के लिए किया जाता है, जैसे कि गुर्दे या मूत्राशय में।

    सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन की समस्या होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर और बीमारी की गंभीरता को समझकर ट्रीटमेंट शुरू करते हैं, जिससे पेशेंट को जल्द से जल्द लाभ मिल सके। अगर आप सलाइवरी डक्ट ऑब्सट्रक्शन से जुड़े किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं, हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्पर्ट आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की पूरी कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/03/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement