यह इर्रिटेबल बोएल सिंड्रोम (आईबीएस) का भी कारण बन सकता है। हालाँकि, इस बारे में और रिसर्च की आवश्यकता है।
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छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ को डायग्नोस कैसे किया जाता है?
छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ को डायग्नोस छोटी आंत से तरल पदार्थ का एक सैंपल को लेकर किया जाता है। सैंपल कलेक्ट करने के लिए, एक इंस्ट्रूमेंट जिसे एंडोस्कोप (Endoscope) कहा जाता है, एसोफैगस (Esophagus) और स्टमक के माध्यम से स्मॉल इंटेस्टाइन में पास किया जाता है। फिर सैंपल फ्लूइड को लैब में भेजा जाता है।
एसआईएफओ का इलाज कैसे किया जाता है? (SIFO treatment)
इसके इलाज के लिए एंटीफंगल ड्रग्स का एक कोर्स दिया जा सकता है। हालांकि, एंटीफंगल दवाएं लक्षणों को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकती हैं। एक छोटे से अध्ययन में पाया गया कि जिन व्यक्तियों को एसआईएफओ के लिए एंटीफंगल दवाएं निर्धारित की गई थीं, उनमें सीमित सुधार हुआ था।
अगर छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ है तो क्या खाना चाहिए?

डायट कैसे छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ को प्रभावित कर सकती है, इसकी रिसर्च बहुत लिमिटेड है। फंगी और डायट से संबंधित में कई स्टडीज विशेष रूप से छोटी आंत पर फोकस नहीं करती हैं। कैंडिडा डायट कैंडिडा ओवरग्रोथ में मदद कर सकती है, जो कि एसआईएफओ वाले लोगों की छोटी आंत में अक्सर पाए जाने वाले फंगी का एक प्रकार है। इसलिए ऐसे खाने से बचें जिसमें:
- ग्लूटेन होता है, जैसे गेहूं, राई, जौ
- हाय शुगर वाले फल, जैसे केला, आम और अंगूर
- चीनी, शुगर ऑप्शंस, और शुगर युक्त पेय पदार्थ
- कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स, जैसे पनीर, दूध और क्रीम
- रिफाइंड तेल, जैसे कैनोला तेल, सोयाबीन तेल
- डेली मीट
- कैफीन और एल्कोहॉल
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कुछ और सामान्य अध्ययन हैं जो डायट और जीआई फंगी पर किए गए हैं
- 2017 की एक स्टडी के अनुसार, यदि आप वेजिटेरियन हैं या यदि आप ज्यादा कन्वेंशनल डायट का सेवन करते हैं, तो आपके जीआई ट्रैक्ट को कोलोनाइज करने वाले फंगी के प्रकार अलग हो सकते हैं।
- 2013 में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि कैंडिडा कोलोनाइजेशन उन व्यक्तियों में ज्यादा था, जो बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते थे, और उन व्यक्तियों में कम संभावना थी जिनके आहार में अमीनो एसिड, प्रोटीन और फैटी एसिड अधिक थे।
- 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, कैंडिडा के लिए नेगेटिव जीआई सैंपल्स वाले व्यक्तियों ने लेस रिफाइंड गेहूं के आटे के प्रोडक्ट्स (जैसे वाइट ब्रेड और वाइट पास्ता) और अधिक हेल्दी गेहूं के आटे के ऑप्शन, येलो चीज और क्वार्क का सेवन किया।
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ये ना भूलें
छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब आपकी छोटी आंत में अधिक मात्रा में फंगस मौजूद होता है। यह कई जीआई लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे कि सूजन, पेट दर्द और डायरिया। छोटी आंत में फंगल ओवरग्रोथ के कई पहलू, जैसे कि इसका क्या कारण है और आपके पेट के स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, अभी भी कम समझ में आता है। इन क्षेत्रों में रिसर्च अभी भी जारी है। हालांकि एसआईएफओ का इलाज एंटीफंगल दवाओं से किया जा सकता है, लेकिन जीआई के लक्षणों को पूरी तरह से कम नहीं किया जा सकता है।
यदि आपके पास कोई भी जीआई सिम्प्टम्स हैं जो बार-बार सामने आ रहे या क्रोनिक हैं, तो डायग्नोसिस के लिए अपने डॉक्टर से मिलना सुनिश्चित करें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।