“गर्भ संस्कार” (Garbh sanskar) वह संस्कार है, जब गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और मानसिक चरित्र का निर्माण किया जाता है। पारंपरिक रूप से यह माना जाता है कि एक बच्चे का मानसिक और व्यवहारिक विकास उसकी कल्पना करते ही शुरू हो जाता है। उसका व्यक्तित्व गर्भ में आकार लेने लगता है और यह गर्भावस्था के दौरान मां की मनोस्थिति से प्रभावित हो सकता है। “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) क्या है? इसके पीछे क्या विज्ञान काम करता है?
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क्या है गर्भ संस्कार (Garbh sanskar)?
गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) एक प्राचीन वैज्ञानिक तथ्य है, जो हजारों साल पहले आयुर्वेद में बताया गया है लेकिन, आज टेक्नोलॉजी के समय में लोग इस तथ्य और सत्य पर कम ही विश्वास करते हैं। सभी माता-पिता बुद्धिमान, स्वस्थ और संस्कारी शिशु को ही जन्म देना चाहते हैं लेकिन, इस बात से अंजान होते हैं कि वे आयुर्वेद के अनुसार ऐसा कर पाना संभव है।
सुनने में यह अजीब जरूर लग सकता है कि गर्भवती महिला की बॉन्डिंग शिशु के साथ गर्भ धारण से ही हो जाती है। गर्भ में शिशु का विकास जब होता है, तो शिशु गर्भ में विकास के दौरान बात सुनता है और प्रेग्नेंट महिला की भावनाओं को महसूस करता है। गर्भावस्था में महिला का सकारात्मक सोचना, अच्छा संगीत सुनना, ध्यान करना और हल्के हाथ से मालिश करना, बच्चे के मन पर अच्छा और सकारात्मक प्रभाव डालता है।
गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) को महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जाता है क्योंकि शोधकर्ताओं ने शिशु के विकास में इसके महत्व को साबित किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार मां के गर्भ में एक शिशु बाहर की उत्तेजना के प्रति प्रतिक्रिया करता है और सुनने की क्षमता रखता है।
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गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) और इसके लाभ
गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) का मतलब केवल शिशु को शिक्षित करना और मां और शिशु के बीच एक बॉन्ड के विकास करने से कहीं ज्यादा है। वास्तव में, इसका मां के स्वास्थ्य पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। महिला की सकारात्मक सोच और अच्छी मनोदशा उसके शरीर के लिए भी लाभदायक होती है। विशेष प्रकार के संगीत को सुनकर, गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के दिमाग को अच्छे से विकसित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, वीणा, बांसुरी और सामवेद मंत्रों की ध्वनि प्रेग्नेंट महिला और शिशु को अच्छा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करती है। इससे शिशु के मन पर सकारात्मक असर पड़ता है।
विशेषज्ञ, गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) की कुछ प्रथाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं कि गर्भावस्था के समय अपने शिशु से बात करना, अच्छा संगीत सुनना और शिक्षाप्रद किताबें पढ़ने के कई लाभ हो सकते है। जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- बच्चे को अच्छी नींद आना
- शिशु का सतर्क रहना
- शिशु में आत्मविश्वास होना
- जन्म के समय शिशु का अधिक सक्रिय होना
- स्तनपान के समय शिशु बेहतर प्रतिक्रिया करता है
- माता-पिता के साथ शिशु की बेहतर बॉन्डिंग
आयुर्वेद में बताया गया है कि मां बनने से पहले एक महिला मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार होनी चाहिए। आयुर्वेद इस सिद्धांत का वर्णन “सुप्रजा जनन” के रूप में करता है। इसके अंतर्गत, गर्भधारण से तीन महीने पहले ही पति-पत्नी गर्भावस्था की तैयारी शुरू करते हैं। गर्भावस्था अपनी इच्छा से होनी चाहिए, न कि संयोग से।
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गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) का महत्व है पुराना!
1500-500 ईसा पूर्व के प्राचीन हिंदू ग्रंथों में “गर्भ संस्कार” (Garbh sanskar) के बारे में पता लगाया जा सकता है। रामायण में भी इस बात का महत्व बताया गया है कि भगवान राम के जन्म से पहले, अग्नि देवता ने राजा दशरथ को “पायस” दिया था, जो कि “गर्भ संस्कार” (Garbh sanskar) के रूप में माना जा सकता है। महाभारत में भी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है कि कैसे अर्जुन ने अभिमन्यु को ‘चक्रव्यूह’ में प्रवेश करना सिखाया था जब कि वह उस समय वे अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में ही थे। यह कहानी इस तथ्य को भी प्रमाणित करती है कि पौराणिक काल में पुरुषों ने भी “गर्भ संस्कार” की अवधारणा को माना था।
भारत में ऐसी अनेक पौराणिक कथाएं हैं जो गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) की शक्ति को दिखाती हैं। इसके महत्व को देखते हुए ही आज गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) की क्लासेज भी चलाई जा रही हैं। इन क्लासेज को ऑनलाइन या ऑफलाइन ज्वॉइन किया जा सकता है। इससे गर्भस्थ शिशु को सर्वगुण संपन्न, स्वस्थ, बुद्धिमान और संस्कारवान बनाने में मदद मिलती है।
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गर्भ विज्ञान: गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) से जुड़ी अभिमन्यु की कहानी!
सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक कहानी महाभारत के अभिमन्यु की है। जब अर्जुन की पत्नी अपने पुत्र अभिमन्यु के साथ गर्भवती थी, तो उसने उसे चक्रव्यूह में घुसने के बारे में बताया, जो एक खास युद्ध था। जब कुरुक्षेत्र युद्ध में अभिमन्यु एक युवक और योद्धा बने, तो उन्हें अपने पिता की कहानी याद आई। वह उस रणनीति को नियोजित करने में सक्षम था जो उसने अपने पिता को अपनी मां के गर्भ में रहते हुए सुना था। गर्भ संस्कार के लिए अभिमन्यु की कहानी सबसे ज्यादा मशहूर है।
गर्भ विज्ञान: गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) से जुड़ी है प्रह्लाद की कहानी!
प्रह्लाद की कहानी पुराणों से है। प्रह्लाद का जन्म राक्षसों के परिवार में हुआ था जो स्वर्ग में देवताओं पर कहर बरपा रहे थे। उनकी मां ने भगवान विष्णु के बारे में भक्तिपूर्ण प्रार्थनाएं और कहानियां सुनाई थी, जबकि वे उनके गर्भ में थे। परिणामस्वरूप वह भगवान विष्णु के भक्त बन गए। वह अच्छाई के साथ खड़े थे और उन्होंने सभी बुराई को त्याग दिया। इससे उनके दानव पिता के दुष्ट साम्राज्य का पतन हुआ।
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क्या वास्तव में गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) काम करता है?
गर्भ में सीखने के विषय में आजकल लोग अधिक रुचि रखने लगे है, जो कि गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) दर्शन से जुड़ी अवधारणा है। बहुत से शोध बताते हैं कि एक बच्चे का दिमाग पेट में 60 प्रतिशत तक विकसित होता है। हालांकि, इस बात पर हर किसी का अलग-अलग मानना हैं कि क्या आपको अपने बच्चे के विकास को उत्तेजित करने की कोशिश करनी चाहिए या नहीं। दूसरी ओर ऐसे अन्य विशेषज्ञ हैं जो इस विचार के खिलाफ हैं कि भ्रूण पर सीखने का दबाव नहीं दिया जाना चाहिए। आपका अजन्मा बच्चा पेट के अंदर खुद ही बहुत सारी नई चीजों को सीख रहा होता है ऐसे में उसको अपनी पसंद सीखने के लिए मजबूर करना विशेषज्ञ गलत मानते हैं।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है। इस आर्टिकल में हमने आपको गर्भ संस्कार (Garbh sanskar) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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