कंसीव करने के बाद भी महिलाओं को कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। उन्हीं में से एक समस्या का नाम है ब्लाइटेड ओवम। ब्लाइटेड ओवम की समस्या क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलटी के कारण होती है। एक ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum), जिसे एंब्रायोनिक प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है, तब होता है जब एक अर्ली एब्रियो कभी विकसित नहीं होता है या विकास करना बंद कर देता है। कुछ केसेज में ये फिर से एब्जॉर्व हो जाता है और जेस्टेशनल सेक को छोड़ देता है। ऐसा होने का कारण अक्सर अज्ञात होता है, लेकिन यह फर्टिलाइज एग में गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं के कारण हो सकता है। अगर इस प्रकार की समस्या हो जाए, तो लक्षण क्या दिखाई पड़ते हैं और साथ ही इस समस्या को डायग्नोज कैसे किया जाता है, आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से।
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ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) से मतलब है?
ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या फर्स्ट ट्राइमेस्ट के दौरान होती है। इस दौरान फिटस का डेवलपमेंट नहीं हो पाता है। आप इसे अर्ली मिसकैरिज भी कह सकते हैं। फर्टिलाइजर एग ब्लास्टोसाइट में चेंज होता है। उस दौरान गर्भाशय की दीवार में प्लांट हो जाता है और एक भ्रूण का विकास होता है। ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या इतनी जल्दी पैदा होती है कि इसका पता ही नहीं चलता है। कई महिलाओं को तो ये भी पता नहीं चल पाता है कि वो प्रेग्नेंट हैं। अगर ऐसे में महिला प्रेग्नेंसी टेस्ट करती है, तो उसका टेस्ट पॉजिटिव आता है। लेकिन जल्द ही मिसकैरिज भी हो जाता है। जानिए ऐसा होने पर क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या के हो जाने पर कुछ महिलाओं को इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। अगर ऐसे में प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाता है, तो वह पॉजिटिव आता है लेकिन कुछ समय के बाद ही भारी या हैवी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। इसके बाद कुछ और भी लक्षण है, जो आप महसूस कर सकते हैं जैसे की ब्रेस्ट में दर्द होना, वाइट डिस्चार्ज आदि। प्रेग्नेंसी के समाप्त होने के बाद ही मिसकैरेज के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। कुछ लक्षण जैसे कि
- वजाइनल ब्लीडिंग (Vaginal spotting or bleeding)
- पेट में ऐंठन
- स्तन दर्द का गायब हो जाना
प्रेग्नेंसी टेस्ट में एचसीजी लेवल के बारे में जानकारी मिलती है, तो हो सकता है कि मिसकैरिज होने के पहले आपका प्रेग्नेंसी रिजल्ट पॉजिटिव आए। टिशू के निकल जाने के पहले तक प्रेग्नेंसी रिजल्ट पॉजिटिव आ सकता है। जानिए आखिर ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या क्यों होती है।
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ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) के क्या हो सकते हैं कारण?
जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यह समस्या फर्टिलाइज्ड एग में क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलटीज के कारण होती है। ब्लाइटेड ओवम अनुवांशिकी से संबंधित हो सकता है या फिर खराब क्वालिटी के एग या स्पर्म क्वालिटी के कारण भी हो सकता है। गुणसूत्र में असमान्यता 9वें गुणसूत्र से संबंधित हो सकती हैं। अगर आपका पार्टनर बायोलॉजिकली आप से रिलेटेड है, तो भी इस समस्या इस संभावना बढ़ सकती है। इसे जल्द ही पहचाना नहीं जा सकता है।
ब्लाइटेड ओवम का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
इस समस्या का निदान या डायग्नोसि डॉक्टर के माध्यम से ही किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के बाद महिला फर्स्ट विजिट के लिए जब डॉक्टर के पास जाती है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। इसे प्रीनेटल अपॉइंटमेंट कहा जाता है। सोनोग्राम की सहायता से प्लासेंटा और एंब्रीयॉनिक सैक देखा जा सकता है। आमतौर पर गर्भावस्था के 8वें से 13 सप्ताह में ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) भी समस्या का पता चल जाता है।
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इस समस्या का ट्रीटमेंट कैसे किया जा सकता है?
इसके लिए आपको डॉक्टर से पहले बात करनी होगी। डॉक्टर मिसकैरिज के सिम्टम्स का इंतजार कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर मेडिकेशन यानी कि मेडिसिंस की मदद से मिसकैरेज के समय को घटा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर डी और सी सर्जिकल प्रोसीजर के लिए भी राय दे सकते हैं। जिससे कि प्लासेंटल टिशू को यूट्रस से बाहर निकाला जा सके। साथ ही डॉक्टर प्रेग्नेंसी की लेंथ, मेडिकल हिस्ट्री, इमोशनल स्टेट आदि के आधार पर कैसे ट्रीटमेंट किया जाना है, इस बारे में तय करते हैं। आपको डॉक्टर से संबंधित विषय के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए। आपकी प्रेग्नेंसी का लॉस हुआ है, तो ऐसे में इमोशनली और फिजिकली फिट होने में थोड़ा समय लगता है लेकिन सही समय पर उपचार कराने पर आपकी समस्या हल की जा सकती है। प्रोसीजर के बाद आप अगली प्रेग्नेंसी के बारे में चर्चा कर सकते हैं।
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ब्लाइटेड ओवम के बाद दोबारा किया जा सकता है कंसीव?
आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि एक बार मिसकैरेज हो जाने के बाद क्या दोबारा कंसीव किया जा सकता है? तो हम आपको बताते चलें कि यह समस्या अनुवांशिक कारणों की वजह से होती है या फिर एग और स्पर्म की खराब क्वालिटी की वजह से। ऐसे में आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए और यह पता करना चाहिए कि आखिर यह समस्या आपको क्यों हुई है। इसके बाद डॉक्टर समस्या का समाधान करते हैं और आपको 2 से 3 महीने बाद दोबारा कंसीव करने की राय दे सकते हैं।
जब तक आप को पूरी तरह से दो से तीन बार पीरियड्स ना हो जाए, तब तक आप कंसीव ना करें, तो बेहतर रहेगा। मिसकैरिज होने के बाद आपको फिजिकली फिट होने के साथ ही मेंटली फिट होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करना होगा। खानपान में पौष्टिक आहार को शामिल करने के साथ ही आपको स्ट्रेस से दूर रहना होगा। इससे दूर रहने के लिए आप मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। साथ ही आपको खाने में प्रीनेटल सप्लीमेंट जैसे की फोलेट आदि का सेवन करना होगा। अगर यह समस्या आपको एग और स्पर्म की खराब गुणवत्ता के कारण हो रही है, तो डॉक्टर आपको इसके समाधान के बारे में भी बताएंगे।
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इस आर्टिकल में हमने आपको ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) की समस्या से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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