ब्लाइटेड ओवम का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
इस समस्या का निदान या डायग्नोसि डॉक्टर के माध्यम से ही किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के बाद महिला फर्स्ट विजिट के लिए जब डॉक्टर के पास जाती है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। इसे प्रीनेटल अपॉइंटमेंट कहा जाता है। सोनोग्राम की सहायता से प्लासेंटा और एंब्रीयॉनिक सैक देखा जा सकता है। आमतौर पर गर्भावस्था के 8वें से 13 सप्ताह में ब्लाइटेड ओवम (Blighted Ovum) भी समस्या का पता चल जाता है।
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इस समस्या का ट्रीटमेंट कैसे किया जा सकता है?
इसके लिए आपको डॉक्टर से पहले बात करनी होगी। डॉक्टर मिसकैरिज के सिम्टम्स का इंतजार कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर मेडिकेशन यानी कि मेडिसिंस की मदद से मिसकैरेज के समय को घटा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर डी और सी सर्जिकल प्रोसीजर के लिए भी राय दे सकते हैं। जिससे कि प्लासेंटल टिशू को यूट्रस से बाहर निकाला जा सके। साथ ही डॉक्टर प्रेग्नेंसी की लेंथ, मेडिकल हिस्ट्री, इमोशनल स्टेट आदि के आधार पर कैसे ट्रीटमेंट किया जाना है, इस बारे में तय करते हैं। आपको डॉक्टर से संबंधित विषय के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए। आपकी प्रेग्नेंसी का लॉस हुआ है, तो ऐसे में इमोशनली और फिजिकली फिट होने में थोड़ा समय लगता है लेकिन सही समय पर उपचार कराने पर आपकी समस्या हल की जा सकती है। प्रोसीजर के बाद आप अगली प्रेग्नेंसी के बारे में चर्चा कर सकते हैं।
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