backup og meta

लेप्रोसी (Leprosy) का प्रेग्नेंसी में प्रभाव क्या होता है, जानिए इसके संबंध में!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/02/2022

    लेप्रोसी (Leprosy) का प्रेग्नेंसी में प्रभाव क्या होता है, जानिए इसके संबंध में!

    हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए महिला का हेल्दी होना बहुत जरूरी है। अगर महिला को किसी प्रकार की बीमारी नहीं है और महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ है, तो बहुत ज्यादा चांसेस बढ़ जाते हैं कि वह एक हेल्दी बच्चे को जन्म दे। अगर प्रेग्नेंसी से पहले महिला को किसी प्रकार की कोई बीमारी है और कंसीव करने से पहले उस बीमारी का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जाता है, तो इसका असर होने वाले बच्चे पर भी दिख सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients) क्या होता है, इस बारे में बताने वाले हैं। आपको बताते चलें कि भारत में कुष्ठ रोग के मामले न के बराबर हैं लेकिन इस संबंध में जानकारी जरूरी है। आइए पहले जान लेते हैं कि आखिर लेप्रोसी (Leprosy) क्या होती है।

    लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients) क्या होता है, इससे पहले आपको ये जान लेना चाहिए कि आखिर लेप्रोसी की बीमारी क्या होती है। लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी त्वचा पर असर दिखाती है। इस कारण से त्वचा पर घाव हो जाता है और स्किन खराब होने लगती है। जिन लोगों को कुष्ठ रोग की समस्या गंभीर रूप से हो जाती है, उनके स्किन में छाले और चकत्ते पड़ जाते हैं और साथ ही मसल्स में कमजोरी का एहसास होने लगता है। ये संक्रमण प्रजनन अंग यानी कि रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी की वजह से होने वाले रोग की तुलना में यह बीमारी अधिक संक्रामक मानी जाती है। कुष्ठ रोग या लेप्रोसी होने की संभावना अफ्रीका और एशिया में अधिक है।

    माइकोबैक्टीरियम लेप्राई (एम. लेप्राई) नामक बैक्टीरिया के कारण लेप्रोसी की समस्या होती है। ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और नर्व या नसों को प्रभावित करने वाला यह संक्रामक रोग आंख के अंधेपन का कारण भी बन सकता है। कुष्ठ रोग के कारण त्वचा पर नोड्यूल्स भी आ सकते हैं। साथ ही पैरों के तलवों में अल्सर हो सकता है। स्किन मोटी, कठोर और सुखी दिखती है। चेहरे में या फिर सिर में सूजन (Swelling) आ सकती है। त्वचा का रंग बदलने लगता है और स्किन बेरंग हो जाती है या हल्की गुलाबी दिखने लगती है। अगर आपको स्किन में कोई भी परिवर्तन दिखाई दे, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर को सूचना देनी चाहिए। लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients) बुरा हो सकता है। इस संबंध में कई स्टडी की जा चुकी हैं। जानिए लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में क्या प्रभाव हो सकता है।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज मैनेजमेंट (Management Of Diabetes In Pregnancy) कैसे किया जा सकता है?

    लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients)

    लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव

    जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि अगर कुष्ठ रोग का इलाज समय पर नहीं कराया जाता है, तो इससे नसों को बहुत क्षति पहुंचती है। साथ ही पेशेंट की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ऐसे में अगर कोई महिला कुष्ठ रोग से जूझ रही है और साथ ही वह प्रेग्नेंट भी है, तो ऐसे में उसे अपना ट्रीटमेंट जरूर कराना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान लेप्रोसी का ट्रीटमेंट कराने से मां और होने वाले बच्चे पर बुरा असर नहीं होता है। इस संबंध में एनसीबीआई (NCBI) में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि कुष्ठ रोग के ट्रीटमेंट के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं होने वाली मां और बच्चे पर बुरा असर नहीं डालती हैं।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान टमी में खुजली के कारणों के बारे में जानिए यहां

    अमेरिकन जर्नल ऑब्सटेरिक्स गायनेकोलॉजी के अंतर्गत की गई स्टडी में करीब सक्रिय कुष्ठ रोग वाली 26 महिलाओं में 52 प्रेग्नेंसीज की समीक्षा की जाती है। स्टडी के दौरान पाया गया कि कुष्ठ रोग की शुरुआत 14 रोगियों में मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान या उसके तुरंत बाद हुई। बीमारी का बढ़ना 23 में से 18 प्रेग्नेंसीज में हुआ, जिसके दौरान कुष्ठ रोग या लेप्रोसी का इलाज नहीं किया गया था। 23 प्रेग्नेंसीज में से केवल 5 में वृद्धि हुई, जिसके दौरान रोगियों को सल्फोन दवाओं (sulfone drugs) के साथ इलाज किया गया था। 6 प्रेग्नेंसीज में से, कुष्ठ रोग के लिए अन्य प्रकार के उपचार प्राप्त करने वाले पेशेंट्स में यह रोग बढ़ गया था। साथ ही रीनल इनसफिसिएंसी के साथ अमाइलॉइडोसिस ( amyloidosis) के दो मामले, प्री-एक्लेमप्सिया ( pre-eclampsia) का एक मामला, सेवर पोस्टपार्टम हेमोरेज ( severe postpartum hemorrhage) का एक मामला और 6 जुड़वां गर्भधारण का उल्लेख किया गया था। आपको बताते चले कि यूरोपीय देशों में कुष्ठ रोग के कम या न के बराबर मामले हैं वहीं लेप्रोसी और प्रेग्नेंसी के बारे में शायद ही अब कोई मामला आता हो।

    और पढ़ें: क्या आपको पता है कि आरएच फैक्टर टेस्ट और प्रेग्नेंसी में क्या संबंध है?

    लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव: गर्भावस्था में लेप्रोसी ट्रीटमेंट का नहीं हुआ बच्चे पर बुरा असर!

    लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients) बुरा होता है लेकिन अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ही इस संक्रामक बीमारी का इलाज कराया जाए, तो होने वाले बच्चे पर बुरा असर नहीं होता है। ऐसा स्टडी के दौरान सामने आ चुका है। गर्भावस्था के दौरान कुष्ठ रोग बढ़ सकता है, और उपचार के बिना यह त्वचा, नसों, अंगों और आंखों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान कुष्ठ रोग का इलाज करना महत्वपूर्ण है। एनसीबीआई (NCBI) में प्रकाशित रिपोर्ट में मल्टीबैसिलरी लेप्रोमेटस कुष्ठ रोग से पीड़ित एक रोगी के बारे में बताया गया है, जिसका गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान मल्टीड्रग थेरेपी से इलाज किया गया था। पेशेंट ने बिना किसी परेशानी के स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। 1 साल तक फॉलो अप के बाद बच्चे का विकास और वृद्धि सामान्य पाई गई। मल्टीड्रग थेरिपी के दौरान डैप्सोन (dapsone), रिफैम्पिसिन (Rifampicine) और क्लोफाजिमाइन (clofazimine) बहुत इफेक्टिव या प्रभावी साबित हुए।

    और पढ़ें: क्या आपको पता है कि आरएच फैक्टर टेस्ट और प्रेग्नेंसी में क्या संबंध है?

    कुष्ठ रोग का इलाज है संभव (Treatment of leprosy is possible)

    हम आपको बताते चलें कि कुष्ठ रोग (Leprosy) का इलाज संभव है। लेप्रोसी को खत्म करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं को लेने की सलाह देते हैं। जिन लोगों को कुष्ठ रोग बहुत अधिक फैल चुका है, उनको लंबे समय तक दवा लेने की जरूरत पड़ती है। डॉक्टर पेशेंट को एंटी इंफ्लामेटरी (anti-inflammatory) दवाओं को लेने की भी सलाह दे सकते हैं। इससे नसों में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है लेकिन जो महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं, डॉक्टर उन्हें दवाएं देते समय सावधानी रखते हैं। कुष्ठ रोग को अगर इग्नोर किया जाए, तो यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है। इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए बहुत जरूरी है कि स्किन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। बीमारी डायग्नोज (Diagnose) होने के बाद डॉक्टर जितने समय तक दवा लेने की सलाह दें, तब तक दवा का सेवन करें। इस तरह से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

    इस आर्टिकल में हमने आपको लेप्रोसी का प्रेग्नेंसी में प्रभाव (Leprosy affect pregnant patients) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement