प्रीकॉन्सेप्शन काउंसलिंग के साथ ही प्रीकॉन्सेप्शन टेस्टिंग भी बहुत जरूरी होती है। प्रीकॉन्सेप्शन टेस्टिंग में डायबिटीज स्पेसफिक टेस्टिंग A1C, थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Thyroid-stimulating hormone), क्रिएटिनिन (Creatinine), यूरीनरी एल्बुमिन (urinary albumin) आदि की जांच की जाती हैं। पहले से मौजूद डायबिटिक रेटिनोपैथी वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कड़ी निगरानी की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रेटिनोपैथी आगे नहीं बढ़े।
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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज मैनेजमेंट: लाइफस्टाइल मैनेजमेंट (Lifestyle Management) भी है जरूरी
डायबिटीज डायग्नोज हो जाने के बाद ट्रीटमेंट के साथ ही मेडिकल न्यूट्रीशन थेरिपी (medical nutrition therapy), फिजिकल एक्टिविटी के साथ ही वेट मैनेटमेंट बहुत जरूरी हो जाता है। ये डॉक्टर प्रीजेस्टेशनल वेट के अनुसार ही जानकारी देंगे की आपको कितना वेट कम करना चाहिए या फिर मैनेज करना चाहिए। समय-समय पर ग्लूकोज मॉनिटरिंग भी बहुत जरूरी हो जाती है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि केवल लाइफस्टाइल मैनेजमेंट से ही 70-85% महिलाएं जीडीएम ( GDM) को नियंत्रित कर सकती हैं। हाइपरग्लेसेमिया की ग्रेटर इनीशियल डिग्री वाली महिलाओं को फार्माकोलॉजिकल थेरिपी ( Pharmacologic Therapy) की प्रारंभिक शुरुआत की जरूरत हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होने पर डॉक्टर आपको कुछ मेडिसिंस के साथ ही इंसुलिन लेने की सलाह दी जा सकती हैं। डॉक्टर से जानकारी लें कि कैसे घर में रहकर ब्लड शुगर लेवल को चेक करना है और साथ ही इंसुलिन के इंजेक्शन (Injections of insulin) कब लेने हैं। अगर डॉक्टर ने आपको इंजेक्शन लेने की सलाह नहीं दी है, तो आपको इसे नहीं लेना चाहिए बिना डॉक्टर से जानकारी लिए कोई भी मेडिसिंस ना लें। साथ ही आपको डाइट में क्या लेना चाहिए और किन चीजों को हटा देना चाहिए इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। रोजाना एक्सरसाइज के साथ ही बैलेस्ड डायट लेना भी बहुत जरूरी है।
डायबिटीज में डायट का चयन होता है अहम!
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज मैनेजमेंट (Management Of Diabetes In Pregnancy) के दौरान डायट अहम होता है। डायबिटीज की समस्या में हेल्दी डायट का चुनाव बहुत अहम होता है। आपको खाने में हेल्दी कार्बोहाइड्रेट का चयन करना चाहिए। आप खाने में ब्रेड, राइस, पास्ता, होल ग्रेन कार्बोहाइड्रेट आदि का चयन कर सकते हैं। आपको आलू, फ्रैंच फाइज, सफेद चावल, कैंडी, सोडा के साथ ही दूसरे स्वीट्स को अवॉइड करना चाहिए। ये तेजी से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ा देते हैं। आपको शुगर ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स (Energy drinks) और फ्रूट जूस की मात्रा को बिल्कुल सीमित कर देना चाहिए या फिर बंद कर देना चाहिए। लो कैलोरी स्वीटनर्स का इस्तेमाल आप कर सकते हैं
डिलिवरी के बाद महिलाओं में अक्सर जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) की समस्या ठीक हो जाती है लेकिन ध्यान न देने पर समस्या लंबे समय तक या हमेशा भी रह सकती है। समय पर बीमारी को डायग्नोज करने के साथ ही बीमारी का ट्रीटमेंट कराना डायबिटीज से छुटकारा पाने का उपाय है। हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज से कैसे निटपा जाए, इस बारे में जानकारी दी है। आपको डॉक्टर से इस संबंध के बारे में जानकारी लेनी चाहिए और साथ ही होने वाले बच्चे पर डायबिटीज से संबंधित रिस्क के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको प्रेग्नेंसी में डायबिटीज मैनेजमेंट (Management Of Diabetes In Pregnancy) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।