कुछ मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हमारे रोजाना के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से सबसे सामान्य है डायबिटीज यानि मधुमेह। मेटाबॉलिक डिसऑर्डर उस समस्या को कहा जाता है जब शरीर के मेटाबोलिज्म में परेशानी होती है। मोटाबॉलिज्म शरीर की फूड को एनर्जी में बदलने और वेस्ट को रिमूव करने की क्षमता को कहा जाता है। आज हम बात करने वाले हैं टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के रोगियों में फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में। लेकिन, फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में जानने से पहले टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के बारे में जान लेते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज क्या है? (Type 2 diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज एक क्रॉनिक मेडिकल कंडिशन है जिसमें रोगी का शरीर सही से ब्लड ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाता या सही से बना नहीं पाता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे सामान्य प्रकार हैं और इसका स्ट्रांग लिंक ओबेसिटी से है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के मरीजों को इंसुलिन की जरूरत हो भी सकती है या ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें इसकी जरूरत न पड़े। बहुत से मरीजों को केवल व्यायाम, सही डायट और अन्य तरीकों से ही डायबिटीज में लाभ हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है और इसके सबसे सामान्य रिस्क फैक्टर्स हैं:
जैसे की पहले ही बताया गया है कि फिजिकल एक्टिविटी से भी इस समस्या से लाभ हो सकता है। फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में जानने से पहले जान लेते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति में फिजिकल एक्टिविटी के क्या लाभ हैं?
डायबिटीज पेशेंट्स के लिए फिजिकल फिटनेस क्यों है जरूरी? (Physical fitness for Diabetes Patients)
अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या है, तो फिजिकल एक्टिविटी उनके उपचार का मुख्य हिस्सा है। इसके साथ ही सही आहार का सेवन करना और ब्लड ग्लूकोज लेवल को सही बनाए रखना भी जरूरी है। अगर आप जीवन में फिट रहते हैं तो आप अपनी डायबिटीज को बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं। ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करना, लॉन्ग-टर्म कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के लिए बेहद जरूरी है जैसे नर्व डैमेज और किडनी डिजीज आदि। फिजिकल फिटनेस हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही इसके अन्य लाभ इस प्रकार हैं:
इसके अलावा भी इसके कई लाभ हैं। अब फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में समझते हैं। लेकिन, इससे पहले मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के बारे में भी जान लेते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम किसे कहा जाता है? (Metabolic Syndrome)
मेटाबॉलिक सिंड्रोम कंडिशंस के एक क्लस्टर को कहा है, जो एक साथ होती हैं और हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। इन कंडिशंस के कारण ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, वजन, कोलेस्ट्रॉल लेवल या ट्राइग्लिसराइड लेवल बढ़ता है। हालांकि, इनमें से कोई भी एक कंडिशन होना का मतलब यह नहीं है कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) है। लेकिन, इसका अर्थ है कि इससे आपको गंभीर समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है। अगर आपको इनमें से एक से अधिक समस्याएं हैं, तो कॉम्प्लीकेशन्स का रिस्क जैसे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और हार्ट डिजीज का जोखिम और भी अधिक बढ़ जाता है। अब जानिए फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) क्या है?
फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक, Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome
फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक: क्या कहती है रिसर्च? (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome)
फिजिकल एक्टिविटी हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक है। हालांकि, डेवलपिंग कन्ट्रीज में फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) के प्रसार के बारे में एविडेंस की कमी है, खासतौर पर अगर इसका संबंध मेटाबॉलिक सिंड्रोम रिस्क फैक्टर से हो। इसके बारे में नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) द्वारा एक रिसर्च की गई। इस स्टडी का उद्देश्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम के प्रसार को कम करने के लिए उपयुक्त फिजिकल एक्टिविटीज के बारे में जानना था। इस रिसर्च के परिणामों से यह साबित हुआ है कि फिजिकल एक्टिविटी से मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) की संभावना को कम किया जा सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम का सबसे कम प्रसार तब देखा गया, जब रोगी हर सप्ताह छह बार गंभीर फिजिकल एक्टिविटी करते हैं। इससे संबंधित फायदेमंद इफेक्ट्स में खास फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) के प्रकार और फ्रीक्वेंसी के आधार पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम के रिस्क फैक्टर्स में सुधार शामिल हैं। जिस व्यक्ति में मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) का निदान हुआ है, उन्हें इससे जुड़े अंडरलायिंग रिस्क फैक्टर्स के बारे में पता होना चाहिए ताकि टार्गेटेड फिजिकल एक्टिविटी इंटरवेंशन के बारे में जाना जा सके।
फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक: पाएं और अधिक जानकारी
संक्षेप में कहा जाए तो फिजिकल इंएक्टिविटी के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटीज में सुधार बेहद जरूरी है। इसके बारे में की गई स्टडी के अनुसार मॉडरेट फिजिकल एक्टीविज, वाकिंग, फ्लेक्सिबिलिटी से मेटाबॉलिक सिड्रोम (Metabolic syndrome) की दर कम हो सकती है। फिजिकल एक्टिविटी की फ्रीक्वेंसी को गंभीर फिजिकल एक्टिविटी, मॉडरेट फिजिकल एक्टिविटी, वाकिंग, स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी के लिए मेटाबॉलिक सिंड्रोम के प्रसार के साथ जोड़ कर देखा जाता है। यह तो थी फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के मैनेजमेंट के लिए हमें फिजिकल एक्टिविटीज के साथ और क्या करना चाहिए? यानी मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मैनेजमेंट के लिए क्या करना चाहिए अब पाएं इसके बारे में जानकारी।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मैनेजमेंट के लिए क्या करें? (Management of Metabolic Syndrome)
मेटाबॉलिक सिड्रोम (Metabolic syndrome) को ओवरवेट और इंएक्टिविटी के साथ जोड़ा जाता है। ऐसे में, हेल्दी लाइफस्टाइल को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और मेटाबॉलिक सिड्रोम दोनों से बचाव के लिए लाभदायक माना जाता है। यह हेल्दी लाइफस्टाइल इस प्रकार है:
अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। अपने आहार में सब्जियों, फलों और साबुत अनाजों को अवश्य शामिल करें।
फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में तो आप समझ ही गए होंगे। इसके साथ ही टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की स्थिति में भी फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी है। रोजाना दिन में कम से कम तीस मिनट इसके लिए अवश्य निकालें।
उम्मीद है कि फिजिकल एक्टिविटी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के बीच में लिंक (Association of Physical Activity with Metabolic Syndrome) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। एक्टिव रहना संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने के लिए बेहद जरूरी है। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली को भी सही बनाए रखें। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से बात अवश्य करें।
आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।