backup og meta

कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज क्या है? इन लक्षणों को न करें अनदेखा....

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/02/2022

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज क्या है? इन लक्षणों को न करें अनदेखा....

    हार्ट डिजीज, आज के समय में दुनिया भर में बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम में से एक है। सबसे बड़ा चिंता का विषय है यह कि युवाओं में हार्ट प्रॉब्लम का खतरा ज्यादा बढ़ता जा रहा है। भारत में हार्ट प्रॉब्लम लाखों लोगों के मौत का कारण भी बन रहा है। केवल युवा और बजुर्ग ही नहीं, बल्कि बच्चे भी हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हाे रहे हैं। 100 में हर 10 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। आज हम बात करेंगे कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज की। चलिए आज जानते हैं कि बच्चों में होने वाला जन्मजात हृदय रोग क्या है और इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है। इसी के साथ जानें कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज (Cyanotic Congenital heart disease) के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में भी।

    और पढ़ें: हाय ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज में क्या डैश डायट दिखाती है कमाल?

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज क्या है? (What is Cyanotic Congenital heart disease)

    कुछ बच्चाें में जन्मजात ही दिल में छेद होता है या कई के दिल के आकार में परिवर्तन होना या जन्मजात हृदय विकार (Congenital Heart Disease) का शिकार होना कायनॉटिक हार्ट डिजीज कहा जाता है। कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) बच्चों में जन्म से ही देखा जाता है। इस बीमारी में बच्चों के हृदय और उसकी प्रमुख नलिकाओं की संरचना में विकृति हो जाती है। बच्चों में होने वाली हार्ट डिजीज का सही उपचार न होने पर कई बच्चाें की जान पर बन आती है।

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज के प्रकार (Types of Congenital Heart Disease)

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज की बात करें, तो वैसे तो इसमें कई प्रकार होते हैं, लेकिन तीन इसमें से मुख्य रूप से देखा गया है, जिनमें शामिल हैं:

    • एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस
    • मिट्रल वाल्व स्टेनोसिस
    • पेटेंट वाल्व स्टेनोसिस
    • एट्रिअल सेप्टल डिफेक्ट
    • एट्रियोवेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट
    • कार्कटशन ऑफ द ओराटा
    • डबल आउटलेट राइट वेंट्रिकल
    • डी ट्रांसपोजिशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज
    • एबस्टीन एनोमली
    • हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम
    • इंटेरप्टेड एओर्टिक आर्क
    • पल्मोनरी अट्रेसिया
    • सिंगल वेंट्रिकल
    • टेट्रालजी ऑफ फ्लो
    • टोटल अनोमलोउस पल्मोनरी वीनस रिटर्न
    • ट्राइकसपिड अट्रेसिया
    • ट्रकस आर्टेरियोसस
    • वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट

    हृदय वाल्व प्रॉब्लम में हृदय के अंदर के वाल्व में, रक्त प्रवाह बंद हो सकता है। इस कारण हृदय काे रक्त को सही ढंग से पंप करने की क्षमता में रूकावट आती है। इसके अलावा, हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम में, बाएं और दाएं वॉल और हृदय के ऊपरी और निचले हिस्सों के बीच मौजूद दीवारें ठीक से विकसित नहीं हो पाती हैं और ऐसे में  रक्त हृदय में वापस आ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप हाय ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकता है। रक्त वाहिका दोषों में, धमनियां और नसें, जोकि रक्त को हृदय तक ले जाती हैं और शरीर को वापस शरीर में ले जाती हैं, ठीक से काम नहीं कर सकती हैं। यह रक्त प्रवाह को कम या अवरुद्ध कर सकता है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं।

    और पढ़ें: बायोवैक वैक्सीन: हेपेटाइटिस ए वायरस के गंभीर लक्षणों से राहत दिला सकती है ये वैक्सीन!

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज के लक्षण क्या हैं? (Congenital Heart Disease Symptoms in Child)

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज की बात करें, तो गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के दौरान अक्सर जन्मजात हृदय दोष का पता लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका डॉक्टर पेट में पल रहे बच्चे की असामान्य दिल की धड़कन को सुनता है, तो वे कुछ अन्य टेस्ट द्वारा इस बीमारी का पता लगा सकते हैं। इन जरूरी टेस्ट में इकोकार्डियोग्राम, चेस्ट एक्स-रे या एमआरआई स्कैन शामिल हो सकता है। इसके अलावा, कुछ मामलों में, जन्मजात हृदय दोष के लक्षण जन्म के कुछ समय बाद तक प्रकट नहीं हो सकते हैं। कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज वाले नवजात शिशु  इस तरह की परेशानियों का अनुभव कर सकते हैं:

    अन्य मामलों में, कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज प्रॉब्लम के लक्षण जन्म के कई वर्षों बाद तक प्रकट हो सकते हैं। एक बार लक्षण विकसित होने के बाद, उनमें शामिल हो सकते हैं:

    और पढ़ें: दिल की परेशानियों को दूर करने में इस तरह से काम करती हैं एल्डोस्टेरॉन एंटागोनिस्ट्स मेडिसिन्स

    बड़े बच्चों में दिखने वाले लक्षण (Congenital Heart Disease in Adults)

    कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज बड़ें बच्चों में होने पर उनमें इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • बच्चे को बहुत जल्दी और अधिक थकान महसूस होना
    • हार्ट बीट का तेज होना
    • चक्कर आना भी इसका एक लक्षण है
    • खाना खाते समय दिक्कत होना
    • हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होना
    • उठने-बैठने में दिक्कत महसूस होना

    जन्मजात हृदय विकृति के कारण (Congenital Heart Disease Causes)

    प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ाने वाले कारण और रिस्क फैक्टर्स:

    • फैमिली हिस्ट्री होने पर
    • गर्भावस्था के दौरान नशीली दवाओं या शराब का सेवन करने पर
    • गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं या एंटीबायोटिक्स लेने पर
    • गर्भावस्था के दौरान दौरे पड़ने की दवा लेने पर
    • गर्भावस्था के दौरान ल्यूपस जैसे ऑटोइम्यून विकार होने पर
    • गर्भावस्था के दौरान रूबेला की समस्या होने पर
    • कभी-कभी आईवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीक भी इसके रिस्क को बढ़ा सकता है
    • जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर
    • मोटापा भी इसका एक कारण है
    • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने पर

    और पढ़ें: हार्ट अटैक के बाद जल्दी रिकवर होने के लिए आहार में इन चीजों को शामिल करना न भूलें!

    कैसे करें इसका बचाव? (Prevention of Congenital Heart Disease)

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज के शिकार बच्चों के स्वास्थ को देखते हुए उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। जिसमें इन बातों का ध्यान रखना आवश्य है, जैसे कि:

    • घर में अगर किसी को दिल से संबंधित बीमारी है, तो ऐसे में गर्भावस्था के दौरान बच्चे का चेकअप नियमित रूप से कराते रहें।
    • समय-समय पर हृदय रोग विशेषज्ञों से शिशु की जांच कराएं और उनके द्वारा बताए गए मेडिकेशन का पालन करें।
    • कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) से पीड़ित बच्चों को फैमिली सपोर्ट की ज्यादा जरूरत होती है।
    • ऐसे बच्चों की देखभाल करें और प्यार से उन्हें रखें।
    • अगर इस बीमारी से पीड़ित बच्चे स्कूल जाते हैं, तो टीचर्स को भी कहें कि उनका सपोर्ट करें।

    और पढ़ें: अल्जाइमर और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज: हार्ट फेलियर बन सकता है अल्जाइमर का कारण?

    कैसे होता है कंजेनिटल हार्ट डिजीज का इलाज (Congenital Heart Disease Treatment)

    दवाएं (Medicines)

    ऐसी कई दवाएं हैं, जो हार्ट फंक्शन को बहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। कुछ का उपयोग रक्त के थक्कों को बनने से रोकने या अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है।

    इंप्लांट (Implant)

    जन्मजात हृदय दोषों से जुड़ी कुछ जटिलताओं को पेसमेकर और इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (आईसीडी) सहित कुछ इंप्लांट थेरिपी से रोका जा सकता है। एक पेसमेकर असामान्य हृदय गति को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, और एक आईसीडी जीवन के लिए खतरा अनियमित दिल की धड़कन को ठीक कर सकता है।

    और पढ़ें: दिल की परेशानियों को दूर करने में इस तरह से काम करती हैं एल्डोस्टेरॉन एंटागोनिस्ट्स मेडिसिन्स

    ओपन हार्ट सर्जरी (Open heart surgery)

    यदि जन्मजात हृदय दोष को ठीक करने के लिए कैथेटर प्रक्रियाएं पर्याप्त नहीं हैं, तो इस प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इसमें सर्जन दिल में छेद को बंद करने के लिए हृदय वाल्व की रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने के लिए ओपन-हार्ट सर्जरी कर सकते हैं।

    लक्षणों की गंभीरता के आधार पर सीसीएचडी के लिए उपचार आवश्यक हो भी सकता है और नहीं भी। कई मामलों में, हृदय में शारीरिक दोषों को ठीक करने के लिए सर्जरी अंततः आवश्यक होती है।जब दोष बहुत खतरनाक होता है, तो जन्म के तुरंत बाद सर्जरी करने की आवश्यकता हो सकती है। अन्य मामलों में, बच्चे के बड़े होने तक सर्जरी में देरी की जा सकती है। कभी-कभी, केुछ केसेज में एक से अधिक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यदि सर्जरी में देरी हो रही है, तो बच्चे को बीमारी के इलाज के लिए दवाएं दी जा सकती हैं:

    दुर्लभ मामलों में जिनमें जन्मजात हृदय दोष ठीक करना बहुत जटिल होता है, हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया के दौरान, बच्चे के दिल को डोनर के स्वस्थ दिल से बदल दिया जाता है। कायनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement