कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि जिन पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या होती है, उन्हें इनरेग्युल हार्टबीट की समस्या से भी गुजरना पड़ सकता है। यानी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और अनियमित हार्टबीट (Erectile Dysfunction and irregular heartbeat) एक दूसरे से संबंधित है। इनरेग्युल हार्टबीट से मतलब धड़कनों का तेजी से धड़कना है। इस कंडीशन को एरिदमिया (Arrhythmia) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी स्थिति है हार्ट बहुत तेजी से या असामान्य रूप से धड़कता है, जो कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और अनियमित हार्टबीट (Erectile Dysfunction and irregular heartbeat)
एट्रियल फिब्रिलेशन या अनियमित हार्टबीट ब्लड क्वॉट, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर आदि का कारण बन सकती है। अगर यू एस की बात की जाए, तो करीब 6.1 मिलियन लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। एनसीबीआई में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से जूझ रहे लोगों में करीब दो से तीन साल बाद हार्टबीट से संबंधित समस्याएं सामने दिखती हैं। यानी ये कहना कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण कहीं न कहीं भविष्य में अनियमित हार्टबीट की समस्या के बारे में जानकारी देते हैं।
स्टडी के दौरान अनियमित धड़कन की हिस्ट्री के बिना 1,760 ओल्डर मेन को शामिल किया गया। चार वर्षों के बाद, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होने की जानकारी देने वाले 9.6% पुरुषों में अनियमित धड़कन डायग्नोज किया गया था, जबकि 2.9% पुरुषों में कोई भी कंडीशन नहीं थी। धूम्रपान (Smoking), वजन (Weight), मधुमेह और हाय बीपी सहित विभिन्न रिस्क फैक्टर को एडजस्ट करने के बाद भी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से जूझ रहे पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के डायग्नोज की संभावना 66% अधिक थी।