हार्ट पेशेंट के लिए स्वीटनर : आर्टिफिश्यल स्वीटनर से बनी ड्रिंक हो सकती है खतरनाक (Drinks made from artificial sweetener can be dangerous)
हार्ट के लिए स्वीटन में आर्टिफिश्यल स्वीटनर काफी नुकसानदेह है। एक्सपर्ट की मानें तो रोजाना यदि कोई दो से अधिक आर्टिफिशियल ड्रिंक्स का सेवन करता है, तो लेने वालों इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा, सामान्य लोगों की तुलना में 31 फीसदी और अटैक का रिस्क 25 प्रतिशत तक अधिक होता है। इतना ही नहीं, कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा की ऐसे लाेगों में अधिक देखा जाता है। यह उनमें ब्लड क्लॉट का कारण भी बन सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आर्टिफिशियल स्वीनर में कई ऐसे केमिकल्स पाए जाते हैं, जो ड्रिंक्स को मीठा बनाने का काम करते हैं और यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसलिए डायट में सॉफ्ट ड्रिंक्स के लिए मना करते हैं, खासतौर पर डायबिटीज या हार्ट पेशेंट के लिए। अधिकतर ड्रिंक्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर का ही प्रयोग अधिक किया जाता है, इस हार्ट पेशेंट के लिए स्वीटनर का सेवन अच्छा नहीं माना गया है।
और पढ़ें: हार्ट पेशेंट्स के लिए योग है बेहतर उपाय लेकिन ये योग कहीं पैदा न कर दें खतरा!
हार्ट पेशेंट के लिए स्वीटनर :मिठास कैसी भी हो, हार्ट के लिए सुरक्षित नहीं है (Not safe for heart)
डायबिटीज रोगी चीनी से परहेज करने के लिए अक्सर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि आर्टिफिशियल स्वीटनर, जिसमें शुगर फ्री भी शामिल है। कहने को इसमें लो शुगर होती है, पर यह हेल्थ के लिए काफी नुकसानदेह है। यह डायबिटीज के मरीजों में हार्ट डिजीज के खतरे को और भी बढ़ा देती है। मीठा जैसा चाहें कैसा भी हो, जो हार्ट और शरीर दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इन ड्रिंक्स में एसपारटेम, सैकरीन, सुक्रालोज, ऐसेसल्फेम-के आदि जैसे तत्व पाए जाते हैं। जिसका रोजाना सेवन नुकसानदेह है हार्ट के लिए। इसके हार्ट अटैक का खतरा ओर भी अधिक बढ़ जाता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर का अधिक इस्तेमाल याददाश्त पर भी प्रभाव डालता है। जिससे याद जाने आदि की शिकायत हो सकती है। इसका बुरा प्रभाव ब्रेन फंक्शन पर भी पड़ता है।
और पढ़ें: सनफ्लावर ऑयल और ग्राउंडनट ऑयल में से कौन सा तेल है हार्ट के लिए हेल्दी?
हार्ट पेशेंट के लिए स्वीटनर :गट की बैक्टीरियल फ्लोरा के लिए हानिकारक है (harmful to the bacterial flora of the gut)
आर्टिफिशियल स्वीटनर का लगातार सेवन पेट के गट बैक्टीरिया के लिए अच्छा नहीं है। यह पेट के अन्दर की नार्मल बैकटिरियल फ्लोरा पर हानिकारक प्रभाव डालता है। जिससे पेट की बीमारी और मोटापे जैसी समस्याएं बढ़ने लगती है। इनके सेवन से ब्रेन के उन सेन्टर्स को सिग्नल मिलने में दिक्कत होती है, जो हमारे शरीर को बताते हैं कि हमारा पेट अब भर गया है। जिसका असर कहीं न कहीं हार्ट हेल्थ पर भी पड़ता है। यह मोटापे को बढ़ाता है और बढ़ता मोटापा कई हार्ट डिजीज को जन्म देता है, जोकि सही नहीं है।