आखिर क्यों होती है आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arterio Sclerosis ) की समस्या?
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) की समस्या के लिए एक नहीं बल्कि बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। जब शरीर में ज्यादा मात्रा में कोलेस्ट्रॉल हो जाता है या फिर कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है, तो ये आर्टरीज में जमने लगता है और साथ ही खून की पंपिंग पूरे शरीर में ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है। अधिक फैट वाला खाना भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis ) की समस्या पैदा कर सकता है क्योंकि फैट आर्टरीज में जमने लगता है और फिर रुकावट पैदा होने लगती है। अधिक उम्र में हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा आर्टरीज में आने वाले बदलाव के कारण होता है।
जो लोग अधिक स्मोकिंग (Smoking) या टबैको का सेवन करते हैं, उनमें भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा या डायबिटीज की समस्या भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) की प्रमुख वजह बन सकता है। जिन लोगों को अर्थराइटिस या फिर इंफ्लामेटरी बाउल डिज़ीज़ (inflammatory bowel disease) या इंफ्लामेशन है, ये भी बीमारी का कारण बन सकती है। आपको आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के कारणों के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। आर्टीरीओस्क्लेरोसिस(Arteriosclerosis ) के रिस्क फैक्टर के रूप में हाय ब्लड प्रेशर, हाय कोलेस्ट्रॉल, स्लीप एप्निया (Sleep apnea), एक्सरसाइज की कमी (Lack of exercise) और अनहेल्दी डायट शामिल है।
हार्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें ये 3डी मॉडल:
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस का डायग्नोसिस (Diagnosis of Arteriosclerosis)
डॉक्टर बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेने के बाद शारीरिक परिक्षण के साथ ही अन्य टेस्ट कराने का सुझाव भी दे सकते हैं। इन जांच में मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट या खून की जांच शामिल होती है, जिसके माध्यम से कोलेस्ट्रॉल या शुगर लेवल की जानकारी मिलती है। डॉक्टर से जांच से पहले पूछें कि आपको टेस्ट से पहले क्या सावधानी रखने की जरूरत है। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से हार्ट अटैक के खतरे के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। एंजियोग्राम के दौरान डॉक्टर आर्टरीज का एक्स-रे करते हैं और ब्लॉकेज के बारे में जानकारी लेते हैं। अगर आपको भी बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और खुद को बड़े खतरे से बचाएं।
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