डायबिटीज … लाइफस्टाइल डिजीज की लिस्ट में शामिल डायबिटीज लोगों में तेजी से फैलती जा रही है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है और टाइप 2 डायबिटीज की समस्या सबसे कॉमन डायबिटीज मानी गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण इलाकों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) मरीजों की संख्या में 2.4 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 11.6 प्रतिशत बढ़ी है। आज इस आर्टिकल में टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Cardiorespiratory Fitness and Metabolic Syndrome) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करेंगे।
टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Cardiorespiratory Fitness and Metabolic Syndrome) का क्या है कनेक्शन? वैसे पहले इनसभी मेडिकल टर्म को सबसे समझते हैं और फिर कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स (Type 2 Diabetes Patients) पर क्या असर पड़ता है यह जानेंगे।
जब शरीर में इंसुलिन कम बनने लगता है और शरीर उसे ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति टाइप 2 डायबिटीज की समस्या पैदा कर देती है। वैसे तो टाइप 2 डायबिटीज की समस्या 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है, लेकिन अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से भी टाइप 2 डायबिटीज की समस्या किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है। चलिए अब समझते हैं टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के मरीजों के लिए कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Cardiovascular System) को फिट रखना कितना आवश्यक है।
कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम: डायबिटीज पेशेंट्स के लिए कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस क्यों है महत्वपूर्ण?
हेल्दी सर्कुलेटरी सिस्टम (Circulatory system) एक नहीं, बल्कि कई लाइफ थ्रेटनिंग डिजीज से बचाव में सहायक होती है। इसलिए कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस (Cardiovascular System) पर ध्यान देकर ना सिर्फ डायबिटीज से बचा जा सकता है, बल्कि निम्नलिखित गंभीर बीमारियों से भी दूरी बनाई जा सकती है। जैसे:
इन गंभीर बीमारियों के नाम से ही समझा जा सकता है कि कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस का ध्यान रखना कितना आवश्यक है। चलिए अब कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस के बाद मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) के बारे में समझते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम को अगर कम शब्दों में समझें, तो इसका अर्थ है भविष्य में आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है। नहीं समझें! दरअसल जब हाय ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कमर के आसपास चर्बी होना और कोलेस्ट्रॉल लेवल इम्बैलेंस हो जाए तो ये सभी स्थितियां मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहलाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मेटाबॉलिक सिंड्रोम डायबिटीज (Diabetes), हार्ट डिजीज (Heart Disease) और स्ट्रोक (Stroke) के खतरों को बढ़ाने में सक्षम होते हैं।
ये कहानी है टाइप 2 डायबिटीज कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम की, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कनेक्शन क्या है यह समझते हैं।
क्या है टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कनेक्शन?
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार लो कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस (Low cardiorespiratory fitness) को ओल्डर एज के महिलाओं एवं पुरुषों के मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से जोड़कर देखा गया है। इस रिसर्च में 57 से 79 वर्ष के 671 पुरुष एवं 676 महिलाओं को शामिल किया गया। बाइसिकल एक्सरसाइज टेस्ट (Bicycle exercise test) के दौरान देखा गया कि मैक्सिमल ऑक्सिजन अपटेक (Vo2max) देखा गया।
इन कारणों से ब्लड शुगर (Blood Sugar) की समस्या हो सकती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड शुगर लेवल उम्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं। जैसे:
डायबिटीज के कारण हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) बॉडी में मौजूद ब्लड वेसल्स, हार्ट ब्लड वेसेल्स और हार्ट को कंट्रोल करने वाले नर्व्स को नुकसान पहुंचा सकता है। जितने ज्यादा वक्त तक आपको डायबिटीज की समस्या रहेगी, तो हृदय रोग की संभावना भी बढ़ेगी। डायबिटीज की वजह से हार्ट डिजीज का खतरा युवा अवस्था से ही शुरू हो जाता है। ज्यादातर डायबिटीज के वयस्क मरीजों में मौत का कारण हार्ट डिजीज ही देखा गया है। वहीं कम उम्र में स्ट्रोक का भी खतरा बना रहता है। हालांकि, अगर आप डायबिटीज को नियंत्रित रखेंगे तो दिल की बीमारी या स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। इसके अलावा अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट्स की मानें तो मधुमेह और हृदय रोग का आपस में एक-दूसरे से संबंध है। लगभग 80 प्रतिशत डायबिटीज के पेशेंट्स को दिल की बीमारी होती है।
अगर आप डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Cardiorespiratory Fitness and Metabolic Syndrome) से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Cardiorespiratory Fitness and Metabolic Syndrome in Type 2 Diabetic) के आपसी तालमेल को समझने में सुविधा हुई होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी डायबिटिक हैं, तो उन्हें ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस में बनाये रखने की सलाह दें, जिससे अन्य बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
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Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women: The Dose-Responses to Exercise Training Study (DR’s EXTRA)/https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/18332159/Accessed on 14/01/2022