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कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम: मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) क्या है?
मेटाबॉलिक सिंड्रोम को अगर कम शब्दों में समझें, तो इसका अर्थ है भविष्य में आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है। नहीं समझें! दरअसल जब हाय ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कमर के आसपास चर्बी होना और कोलेस्ट्रॉल लेवल इम्बैलेंस हो जाए तो ये सभी स्थितियां मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहलाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मेटाबॉलिक सिंड्रोम डायबिटीज (Diabetes), हार्ट डिजीज (Heart Disease) और स्ट्रोक (Stroke) के खतरों को बढ़ाने में सक्षम होते हैं।
ये कहानी है टाइप 2 डायबिटीज कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम की, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कनेक्शन क्या है यह समझते हैं।
क्या है टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कनेक्शन?
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार लो कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस (Low cardiorespiratory fitness) को ओल्डर एज के महिलाओं एवं पुरुषों के मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से जोड़कर देखा गया है। इस रिसर्च में 57 से 79 वर्ष के 671 पुरुष एवं 676 महिलाओं को शामिल किया गया। बाइसिकल एक्सरसाइज टेस्ट (Bicycle exercise test) के दौरान देखा गया कि मैक्सिमल ऑक्सिजन अपटेक (Vo2max) देखा गया।
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचाव कैसे करें? (Prevention from Metabolic Syndrome)
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
- डेली डायट में फाइबर रिच फूड (Fiber rich food) का सेवन करें।
- मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचाव के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां एवं होल ग्रेन डायट में शामिल करें।
- शरीर का वजन संतुलित बनाये रखें।
- नमक का सेवन कम करें और खाने में ऊपर से डालकर नमक का सेवन ना करें।
- डायबिटीज के मरीजों को चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए। आप चीनी की जगह गुड़ का सेवन कर सकते हैं।