backup og meta

बुजुर्गों के लिए मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस का सही होना है जरूरी!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    बुजुर्गों के लिए मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस का सही होना है जरूरी!

    डायबिटीज की समस्या कई अन्य कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकती है। यदि डायबिटीज की समस्या को कंट्रोल में ना लाया जाए, तो आपको इससे जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम एक ऐसी ही समस्या के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका डायबिटीज की समस्या से सीधा ताल्लुक माना जाता है। हम बात कर रहे हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) की। मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी समस्या मानी जाती है, जिसमें आपको एक से ज्यादा समस्याएं हो सकती है और यह सभी समस्याएं मिलकर गंभीर खतरे खड़े करती है। जिसमें हाय ब्लड प्रेशर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज (High blood pressure, obesity, cholesterol and diabetes) की समस्या हो सकती है। वहीं मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women) जरूरी मानी जाती है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस किस तरह जरूरी मानी जाती है, इस आर्टिकल में आप जानेंगे। लेकिन इससे पहले जानते हैं कि किस तरह मेटाबॉलिक सिंड्रोम की समस्या डायबिटीज की समस्या से जुड़ी हुई है।

    और पढ़ें : रिसर्च: हाई फाइबर फूड हार्ट डिसीज और डायबिटीज को करता है दूर

    क्या है मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome)?

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women) के बारे में जानने से पहले मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बारे में जानना जरूरी है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम कई समस्याओं का एक समूह माना जाता है, जो एक साथ मिलकर आपके लिए हार्ट डिजीज और टाइप टू डायबिटीज (Type 2 diabetes) जैसी समस्याओं की वजह बनता है। टाइप टू डायबिटीज या हार्ट से जुड़ी समस्या होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो सकता है, जिसकी वजह से आप की स्थिति गंभीर बन सकती है। यदि आप मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से जुड़ी समस्याओं को समय पर ठीक नहीं कर पाते, तो यह आपके लिए जान का जोखिम भी खड़ा कर सकती है। आमतौर पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम की स्थिति बड़ी उम्र के लोगों में देखी जा सकती है, जिसकी वजह से मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस सही होना बड़ी उम्र में जरूरी माना जाता है।

    और पढ़ें : डायबिटीज में फल को लेकर अगर हैं कंफ्यूज तो पढ़ें ये आर्टिकल

    क्या हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण? (Symptoms of Metabolic Syndrome)

    बात करें मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) के लक्षणों की तो मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े लक्षण आमतौर पर दिखाई नहीं देते, बल्कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से बढ़ी हुई समस्या जैसे कि टाइप टू डायबिटीज से जुड़े लक्षण आपको दिखाई दे सकते हैं। जिसमें डायबिटीज के लक्षण, जैसे –

    इत्यादि समस्याएं हो सकती है। यदि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से जुड़ी एक समस्या भी दिखाई दे रही हो, तो आपको तुरंत अपना पूरा चेकअप करवाना चाहिए। जिससे पता लग सके कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम की समस्या आपको है या नहीं। आइए अब जानते हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े कॉम्प्लिकेशन के बारे में।

    और पढ़ें : Diabetes insipidus : डायबिटीज इंसिपिडस क्या है ?

    क्या हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े कॉम्प्लिकेशन? (Metabolic Syndrome complication)

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women) जरूरी मानी जाती है, लेकिन इसके बारे में जानकारी लेने से पहले आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कॉम्प्लिकेशन के बारे में पता होना चाहिए। दरअसल मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े कॉम्प्लिकेशन दो तरह के हो सकते हैं। टाइप टू डायबिटीज (Type 2 diabetes) और हार्ट या ब्लड वेसल से जुड़ी समस्याएं। टाइप टू डायबिटीज की समस्या में मेटाबॉलिक सिंड्रोम आसानी से हो सकता है, क्योंकि टाइप टू डायबिटीज लाइफस्टाइल डिजीज मानी जाती है। यह आमतौर पर वजन ज्यादा होने की वजह से इन्सुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) के चलते होती है। यही वजह है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम की समस्या टाइप टू डायबिटीज के साथ हो सकती है। वहीं हाय कोलेस्ट्रोल और हाय ब्लड प्रेशर (High cholesterol and high blood pressure) दोनों ही हार्ट से जुड़ी समस्याओं को न्यौता देते हैं। इसलिए हार्ट डिजीज के चलते आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस जरूरी मानी जाती है। आइए अब जानते हैं मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस के क्या मायने हैं।

    और पढ़ें : बढ़ती उम्र और बढ़ता हुआ डायबिटीज का खतरा

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस क्यों हैं जरूरी? (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women)

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome

    कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस या सीआरएस शरीर की उस एबिलिटी का नाम है, जिसमें शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है। शरीर के ऑक्सीजन के इस्तेमाल करने की एबिलिटी को कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस से जोड़कर देखा जाता है। यह आपके पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस सही होना बेहद जरूरी है। यदि कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस सही ना हो, तो आपको हाय ब्लड प्रेशर, हाय कोलेस्ट्रॉल और टाइप टू डायबिटीज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन में छपी एक रिसर्च के मुताबिक मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women) का बेहद महत्व माना गया है। खासतौर पर उन लोगों में जिनकी उम्र ज्यादा है। इस रिसर्च के मुताबिक यह बात सामने आई है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस का प्रभाव बड़े तौर पर देखा गया है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) की स्थिति का कारण आपकी कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस मानी जा सकती है, इसलिए खास तौर पर बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम की समस्या कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस के कारण देखी जा सकती है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस सही ना होने पर बुजुर्गों में टाइप टू डायबिटीज और हार्ट से संबंधित समस्याएं हो सकती है। खासतौर पर महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज पुरुषों के मुकाबले ज्यादा देखी गई है। वहीं इस स्थिति में टाइप टू डायबिटीज भी एक गंभीर समस्या के तौर पर देखी जाती है।

    और पढ़ें : जानें कैसे स्वेट सेंसर (Sweat Sensor) करेगा डायबिटीज की पहचान

    लाइफस्टाइल में खराबी के चलते मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस (Cardiorespiratory Fitness as a Feature of Metabolic Syndrome in Older Men and Women) पर प्रभाव पड़ता है और इसका सीधा असर आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल पर पड़ता है, जिससे व्यक्ति टाइप टू डायबिटीज का शिकार हो सकता है। इसलिए मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस सही होना जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस को सही बनाए रखने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने के करने की सलाह दी जाती है। खासतौर पर बुजुर्गों को अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस बेहतर बन सके।

    इसके लिए बुजुर्गों को रोजाना 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी की सलाह दी जाती है, जो उनकी सेहत को ध्यान में रखकर की जाए। इसके साथ साथ सही आहार, जिसमें सब्जी, फल, लीन प्रोटीन और होल ग्रेन के सेवन की सलाह दी जाती है। इसके अलावा नमक और फैट को आहार में कम करने की सलाह दी जाती है, जिससे आप एक सही वजन बनाए रख सकें और इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस से जुड़ी समस्याएं ना हो। बुजुर्गों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) की समस्या आम तौर पर देखी जाती है, जिसके लिए कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस जिम्मेदार होती है। यही वजह है कि सही लाइफस्टाइल के साथ अपनी सेहत पर ध्यान देकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कार्डियोरेस्पिरेट्री फिटनेस बेहतर बनाई जा सकती है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Sayali Chaudhari

    फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement