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एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणामों पर असर क्या होता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/12/2021

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणामों पर असर क्या होता है?

    डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो दुनियाभर के लोगों को प्रभावित करती है, लेकिन शायद आप नहीं जानते होगे कि एशियन में इस बीमारी का रिस्क ज्यादा होता है। वहीं इस बीमारी का जेंडर पर भी प्रभाव होता है। यानी आप ऐसा कह सकते हैं कि एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर (Ethnicity and Sex Affect Diabetes Incidence and Outcomes) होता है। एनसीबीआई (NCBI) में छपी स्टडी के अनुसार अमेरिकन डायबिटीज गाइडलाइंस टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की स्क्रीनिंग एशियन पेशेंट में करने की सिफारिश करता है क्योंकि इनमें डायबिटीज का जोखिम ज्यादा माना गया है। इस स्टडी में एशियन सबग्रुप्स, साउथ एशियन, चाइनीज और श्वेत मरीजों के बीच डायबिटीज के इंसीडेंस का अध्ययन किया गया। इस स्टडी में क्या सामने आया और डायबिटीज की बीमारी कैसे एथेनिसिटी और सेक्स को प्रभावित करती है इस आर्टिकल में बताया जा रहा है।

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर (Ethnicity and Sex Affect Diabetes Incidence and Outcomes)

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर को लेकर जो स्टडी की गई उसमें 15066 साउथ एशियन, 17,754 चाइनीज और 244,017 श्वेत मरीज शामिल हुए थे। जिनमें हाल ही में डायबिटीज डायग्नोस हुई थी। इस स्टडी में पता चला कि चाइनीज महिला और पुरुषों में साउथ एशियन और श्वेत मरीजों की तुलना में डायबिटीज के मामले कम थे। वहीं साउथ एशियन और चाइनीज लोगों में मृत्यू दर कम थी। वहीं एक्यूट मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Acute myocardial infarction), स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का रिस्क एथनिक ग्रुप्स में श्वेत मरीजों की समान या कम था और सेक्स के अनुसार भिन्न था। इस स्टडी में यह निष्कर्ष निकला कि जातीय समूहों के अनुसार डायबिटीज का प्रिवलेंस अलग हो सकता है।

    वर्तमान में 60 प्रतिशत से अधिक एशिया के लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं। जिसमें चीन और भारत शामिल है। कई सारे ऐसे कॉम्प्लिकेटेड फैक्टर्स हैं जिनकी वजह से देश के इन क्षेत्रों में डायबिटीज का निदान लोगों में किया जा रहा है। चलिए उन कारणों के बारे में भी जान लेते हैं।

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    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर (Ethnicity and Sex Affect Diabetes Incidence and Outcomes) के कारण तेजी से

    औद्योगीकरण और शहरीकरण से जीवनशैली में बदलाव आया है जो एशिया में मधुमेह की बढ़ती दर का एक कारण है। बता दें कि साउथ एशियन लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क जर्नल पॉपुलेशन से 6 टाइम अधिक होता है। इसके कारणों में निम्न शामिल हैं।

    • शहरी क्षेत्रों में किफायती और स्वस्थ खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच
    • कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के प्रति प्राथमिकताएं बदलना
    • डायबिटीज मैनेजमेंट में असफलता
    • अधिक गतिहीन जीवन शैली (Sedentary lifestyle) जीना

    बता दें कि साउथ एशियन रीजन में अफगानिस्तान, बंग्लादेश, भूटान, मालदीव्स, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। हालांकि, जब यूके में साउथ एशियन कम्युनिटी के बारे में बात की जाती है तो उनमें इंडिया, पाकिस्तानी और बंग्लादेशी लोगों को शामिल किया जाता है। मधुमेह के बिना दक्षिण एशियाई लोगों में भी हृदय रोग विकसित होने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज के साथ, यह जोखिम और भी बढ़ जाता है, विशेष रूप से 20 से 60 वर्ष की आयु के टाइप 2 डायबिटीज वाले वयस्कों के लिए। इसके अलावा, इन युवा रोगियों में जीवित रहने की दर भी काफी कम है।

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    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: रिस्क

    यूके में नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सिलेंस के अनुसार साउथ एशियन ओरिजन के वयस्कों में टाइप 2 डायबिटीज डेवलप होने के कई रिस्क फैक्टर हैं।

    बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) (BMI) 23 या इससे अधिक बीएमआई होना। जिसका मतलब है कि लोग ओवरवेट हैं। महिलाओं की कमर का साइज 35 इंच से अधिक होने पर और पुरुषों में 31.5 इंच से अधिक होने पर। इसका कारण पता नहीं है, लेकिन कई एक्सपर्ट कहते हैं कि डायट, लाइफस्टाइल और शरीर के कई हिस्सों में फैट का जमा होना रिस्क बढ़ाने का काम करते हैं।

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: डायट और ओबेसिटी (Diet and obesity)

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर (Ethnicity and Sex Affect Diabetes Incidence and Outcomes)

    अगर बात डायट की हो तो ऐसे पारंपरिक फूड्स जिसमें शुगर और फैट अधिक मात्रा में हो जिन्हें फास्ट फूड कहा जाता है मोटापे में योगदान देते हैं और डायबिटीज डेवलपमेंट में योगदान देते हैं। ओबेसिटी, जिसमें सेंट्रल और एब्डोमिनल ओबेसिटी शामिल है टाइप 2 डायबिटीज से जुड़ा हुआ है। साउथ एशियन लोगों में एब्डोमिन में अधिक मात्रा में फैट स्टोर होना टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।

    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: जेनेटिक्स (Genetics)

    साउथ एशियन लोगों में डायबिटीज के रिस्क को बढ़ाने में जीन्स का भी अहम योगदान है। जर्नल नेचर जेनेटिक्स में 2011 में छपी एक स्टडी के अनुसार 6 सेपरेट जीन्स की पहचान की गई है जो इस ग्रुप के लोगों में डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है।

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    एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: मसल्स और फैट मेटाबॉलिज्म (Muscles and fat metabolism)

    2010 में, पीएलओएस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि जिस तरह से दक्षिण एशियाई मूल के लोग अपनी मांसपेशियों के माध्यम से फैट बर्न करते हैं, उससे उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने का अधिक खतरा हो सकता है। ग्लासगो यूनिवर्सिटी की टीम ने पाया है कि साउथ एशियन्स स्केलेटल मसल्स होते हैं जो फैट को उस प्रकार बर्न नहीं करती जैसे कि यूरोपियन्स करते हैं। यह बिगड़ा हुआ फैट मेटाबॉलिज्म इंसुलिन प्रतिरोध की संभावना को बढ़ा सकता है, जो अक्सर पूर्ण विकसित टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।

    इसके अलावा इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि, कम मांसपेशी द्रव्यमान,सफेद चावल और परिष्कृत अनाज की खपत में वृद्धि, फैट इंटेक बढ़ना, रेड मीट की खपत में वृद्धि

    अधिक फास्ट फूड का सेवन, खराब प्रीनेटल न्यूट्रिशनल, वायु प्रदूषण का उच्च स्तर आदि शामिल है।

    टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) क्या है?

    टाइप 2 डायबिटीज एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति है जो रक्त में ग्लूकोज के उच्च स्तर के कारण होती है। मधुमेह के सामान्य लक्षणों में लगातार थकान, बार-बार पेशाब आना, प्यास, धुंधली दृष्टि और आंखों का सूखना शामिल है। टाइप 2 डायबिटीज अक्सर अधिक वजन से रिलेटेड होती है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता और इसे विकसित होने में कई साल लग सकते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर अगर इसका निदान जल्दी नहीं किया जाता है।

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    टाइप 2 डायबिटीज का इलाज (Type 2 diabetes treatment)

    हर देश में मधुमेह के प्रबंधन और उपचार के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों के लिए आप डाक्टर या डायटीशियन की मदद ले सकते हैं। साथ ही एक्सरसाइज को भी अपने रूटीन में शामिल करें। हालांकि, मधुमेह के इलाज के लिए पहली पंक्ति की दवाएं एशिया में भिन्न हैं। पश्चिमी देशों में, मेटफॉर्मिन टाइप 2 मधुमेह का स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट है। एशिया में, अल्फा-ग्लूकोसिडेज इनहिबिटर जैसी दवाएं अधिक लोकप्रिय हैं। वे उच्च कार्बोहाइड्रेट सेवन और बिगड़े हुए इंसुलिन रिलीज के कारण भोजन के बाद शुगर स्पाइक्स को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी हैं। टाइप 2 डायबिटीज के लिए किसी भी दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर (Ethnicity and Sex Affect Diabetes Incidence and Outcomes) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर से संबंधित कोई सवाल है, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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