एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: रिस्क
यूके में नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सिलेंस के अनुसार साउथ एशियन ओरिजन के वयस्कों में टाइप 2 डायबिटीज डेवलप होने के कई रिस्क फैक्टर हैं।
बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) (BMI) 23 या इससे अधिक बीएमआई होना। जिसका मतलब है कि लोग ओवरवेट हैं। महिलाओं की कमर का साइज 35 इंच से अधिक होने पर और पुरुषों में 31.5 इंच से अधिक होने पर। इसका कारण पता नहीं है, लेकिन कई एक्सपर्ट कहते हैं कि डायट, लाइफस्टाइल और शरीर के कई हिस्सों में फैट का जमा होना रिस्क बढ़ाने का काम करते हैं।
एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: डायट और ओबेसिटी (Diet and obesity)

अगर बात डायट की हो तो ऐसे पारंपरिक फूड्स जिसमें शुगर और फैट अधिक मात्रा में हो जिन्हें फास्ट फूड कहा जाता है मोटापे में योगदान देते हैं और डायबिटीज डेवलपमेंट में योगदान देते हैं। ओबेसिटी, जिसमें सेंट्रल और एब्डोमिनल ओबेसिटी शामिल है टाइप 2 डायबिटीज से जुड़ा हुआ है। साउथ एशियन लोगों में एब्डोमिन में अधिक मात्रा में फैट स्टोर होना टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।
एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: जेनेटिक्स (Genetics)
साउथ एशियन लोगों में डायबिटीज के रिस्क को बढ़ाने में जीन्स का भी अहम योगदान है। जर्नल नेचर जेनेटिक्स में 2011 में छपी एक स्टडी के अनुसार 6 सेपरेट जीन्स की पहचान की गई है जो इस ग्रुप के लोगों में डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है।
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एथेनिसिटी और सेक्स का डायबिटीज के मामलों और परिणाम पर असर: मसल्स और फैट मेटाबॉलिज्म (Muscles and fat metabolism)
2010 में, पीएलओएस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि जिस तरह से दक्षिण एशियाई मूल के लोग अपनी मांसपेशियों के माध्यम से फैट बर्न करते हैं, उससे उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने का अधिक खतरा हो सकता है। ग्लासगो यूनिवर्सिटी की टीम ने पाया है कि साउथ एशियन्स स्केलेटल मसल्स होते हैं जो फैट को उस प्रकार बर्न नहीं करती जैसे कि यूरोपियन्स करते हैं। यह बिगड़ा हुआ फैट मेटाबॉलिज्म इंसुलिन प्रतिरोध की संभावना को बढ़ा सकता है, जो अक्सर पूर्ण विकसित टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।
इसके अलावा इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि, कम मांसपेशी द्रव्यमान,सफेद चावल और परिष्कृत अनाज की खपत में वृद्धि, फैट इंटेक बढ़ना, रेड मीट की खपत में वृद्धि
अधिक फास्ट फूड का सेवन, खराब प्रीनेटल न्यूट्रिशनल, वायु प्रदूषण का उच्च स्तर आदि शामिल है।