कैसे किया जा सकता है डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) का निदान?
दरअसल 40 से ज्यादा की उम्र के व्यक्तियों को जिन्हें एचआईवी की समस्या है, साल में एक बार अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करवाना चाहिए। इस टेस्ट को हिमोग्लोबिन ए1सी (Hemoglobin A1C) का नाम दिया गया है। इस टेस्ट से एचआईवी की समस्या में डायबिटीज की स्थिति को समझा जा सकता है। इसलिए डायबिटीज और एचआईवी के बीच के संबंध को समझ कर उसका सही उपचार किया जा सकता है। जब व्यक्ति डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की स्थिति में रेगुलरली अपना ब्लड टेस्ट करके ब्लड शुगर मॉनिटर करता है, तो डायबिटीज और एचआईवी दोनों ही स्थितियों को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है।
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क्या है डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) के उपचार की स्थिति?
डायबिटीज और एचआईवी की स्थिति में कई तरह के उपचार दिए जाते हैं, लेकिन डायबिटीज मैनेजमेंट के जरिए भी इन दोनों समस्याओं को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है। आमतौर पर एचआईवी से ग्रसित लोगों में डायबिटीज का ट्रीटमेंट लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी किया जा सकता है। डायबिटीज और एचआईवी की समस्या में व्यक्ति को क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन (Chronic inflammation) की समस्या हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में सही खानपान और फिजिकल एक्टिविटी के जरिए डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की समस्या को सामान्य बनाया जा सकता है। इसके साथ-साथ सही तरह से एचआईवी से जुड़ी हुई दवाइयां लेकर और अपने ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करके इस स्थिति का सही मुआयना किया जा सकता है। जिससे समय रहते डायबिटीज और एचआईवी की स्थिति को संभाला जा सके। टाइप टू डायबिटीज (Type two diabetes) से ग्रसित कुछ लोगों को इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ सकती है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की समस्या अपने आप में चुनौतीपूर्ण मानी जाती हैं, ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप और सही दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है, जिससे समय पर सही इलाज करके स्थिति को संभाला जा सके।