इलेक्ट्रोलाइट रिप्लेसमेंट (Electrolyte replacement)
इलेक्ट्रोलाइट खून में मौजूद वो मिनरल्स हैं, जो टिश्यूज के सही से काम करने के लिए जरूरी हैं। इंसुलिन की अनुपस्थिति से ब्लड में कई इलेक्ट्रोलाइट्स का लेवल कम हो सकता है। ऐसे में हार्ट, मसल्स और नर्व सेल्स के सामान्य रूप से काम करने के लिए नसों के माध्यम से इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं।
और पढ़ें: डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज करने इस तरह से हो सकता है असर!
इंसुलिन थेरेपी (Insulin therapy)
इंसुलिन उन प्रक्रियाओं को रिवर्स कर देती है, जो आपके ब्लड में कीटोन का निर्माण करती हैं। तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ, आप इंसुलिन थेरेपी प्राप्त कर सकते हैं, जो आमतौर पर एक नस के माध्यम से दी जाती है। जैसे ही रोगी की कंडिशन थोड़ी स्थिर हो जाती है, तो आपके डॉक्टर इस बात पर विचार करेंगे कि सीवियर हाइपरग्लेसेमिया का कारण क्या हो सकता है। परिस्थितियों के आधार पर, रोगी को अतिरिक्त एवल्यूशन और ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है। अगर डॉक्टर को लगता है कि रोगी को बैक्टीरियल इन्फेक्शन हैं, तो वो एंटीबायोटिक्स की सलाह दे सकते हैं।
और पढ़ें: एंड्यूरेंस एक्सरसाइज का डायबिटिक्स पर असर होता है काफी अच्छा, लेकिन ध्यान में रखनी होंगी ये बातें!
यह तो थी जानकारी T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट (Management of Hyperglycemia in T2DM patients) के बारे में। T2DM पेशेंट्स के लिए इसे मैनेज करना बेहद जरूरी हैं। अन्यथा, यह कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकता हैं। अगर आपको डायबिटीज नहीं भी हैं और आपको हायपरग्लाइसीमिया के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। ताकि, हायपरग्लाइसीमिया को मैनेज किया जा सके। अगर इसके बारे में आपके दिमाग में कोई भी सवाल हैं तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।