डायबिटीज ईटिंग प्लान को फॉलो करने से भी इस समस्या से राहत मिल सकती है। ईटिंग प्लान में स्मॉल पोरशन में आहार या शुगरी खाद्य पदार्थों का सेवन करना आदि शामिल हो सकता है। अगर आपको इस मील प्लान को फॉलो करने में समस्या होती है तो आप अपने डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं।
ब्लड शुगर लेवल को चेक करें (Check your blood sugar)
T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट (Management of Hyperglycemia in T2DM patients) में यह पॉइंट बेहद महत्वपूर्ण है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ब्लड ग्लूकोज को मॉनिटर करना जरूरी है। अगर आप सीवियर हायपरग्लाइसीमिया या हायपोग्लाइसीमिया को लेकर चिंतित हैं, तो यह और भी जरूरी है।
हायपरग्लाइसीमिया को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन को एडजस्ट करना भी महत्वपूर्ण है। इंसुलिन प्रोग्राम या शार्ट-एक्टिंग इंसुलिन का सप्लीमेंट से भी इसे कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अगर आप को हाय ब्लड शुगर की समस्या है, तो डॉक्टर से जानें कि आपको कब इंसुलिन सप्लीमेंट की जरूरत हो सकती है। अब जानिए T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट (Management of Hyperglycemia in T2DM patients) में एमरजेंसी ट्रीटमेंट के बारे में।

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सीवियर हायपरग्लाइसीमिया के लिए एमरजेंसी ट्रीटमेंट Emergency treatment for severe hyperglycemia
अगर रोगी में डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) या हायपरग्लाइसीमिक हायपरोस्मॉलर स्टेट (Hyperglycemic hyperosmolar state) के लक्षण हों, तो उन्हें एमरजेंसी रूम में एडमिट करना पड़ सकता है। एमरजेंसी ट्रीटमेंट से ब्लड शुगर लेवल को नार्मल रेंज तक कम किया जा सकता है। T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट (Management of Hyperglycemia in T2DM patients) में यह उपचार इस प्रकार संभव है:
T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट: फ्लूइड रिप्लेसमेंट (Fluid replacement)
इसमें रोगी को नसों के माध्यम से तब तक फ्लूइड दिया जाता है, जब तक रोगी रिहाइड्रेटेड न हो जाए। यह फ्लूइड उस फ्लूइड की जगह ले लेता है, जिसे रोगी अत्यधिक यूरिन के माध्यम से लोस्ट हो चुके होते हैं। इसके साथ ही य ब्लड में अत्यधिक शुगर को डायल्यूट करने में भी मददगार है।
इलेक्ट्रोलाइट रिप्लेसमेंट (Electrolyte replacement)
इलेक्ट्रोलाइट खून में मौजूद वो मिनरल्स हैं, जो टिश्यूज के सही से काम करने के लिए जरूरी हैं। इंसुलिन की अनुपस्थिति से ब्लड में कई इलेक्ट्रोलाइट्स का लेवल कम हो सकता है। ऐसे में हार्ट, मसल्स और नर्व सेल्स के सामान्य रूप से काम करने के लिए नसों के माध्यम से इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं।
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इंसुलिन थेरेपी (Insulin therapy)
इंसुलिन उन प्रक्रियाओं को रिवर्स कर देती है, जो आपके ब्लड में कीटोन का निर्माण करती हैं। तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ, आप इंसुलिन थेरेपी प्राप्त कर सकते हैं, जो आमतौर पर एक नस के माध्यम से दी जाती है। जैसे ही रोगी की कंडिशन थोड़ी स्थिर हो जाती है, तो आपके डॉक्टर इस बात पर विचार करेंगे कि सीवियर हाइपरग्लेसेमिया का कारण क्या हो सकता है। परिस्थितियों के आधार पर, रोगी को अतिरिक्त एवल्यूशन और ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है। अगर डॉक्टर को लगता है कि रोगी को बैक्टीरियल इन्फेक्शन हैं, तो वो एंटीबायोटिक्स की सलाह दे सकते हैं।
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यह तो थी जानकारी T2DM पेशेंट्स में हायपरग्लाइसीमिया मैनेजमेंट (Management of Hyperglycemia in T2DM patients) के बारे में। T2DM पेशेंट्स के लिए इसे मैनेज करना बेहद जरूरी हैं। अन्यथा, यह कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकता हैं। अगर आपको डायबिटीज नहीं भी हैं और आपको हायपरग्लाइसीमिया के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। ताकि, हायपरग्लाइसीमिया को मैनेज किया जा सके। अगर इसके बारे में आपके दिमाग में कोई भी सवाल हैं तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।