डायबिटिक कोमा (Diabetic Coma) के बारे में सोचना ही भयानक है। डायबिटिक कोमा (Diabetic Coma) तब हो सकता है जब किसी व्यक्ति के शरीर में ब्लड ग्लूकोज की मात्रा 600 मिलीग्राम पर डेसीलीटर (mg/dL) या इससे अधिक हो जाए। इसके कारण रोगी बहुत अधिक डीहायड्रेटेड महसूस करते हैं। डायबिटीज कोमा तीन तरह के हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस आमतौर पर उन लोगों में होता है जो टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हों, जिसे जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। हालांकि, यह टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में भी पाई जाती है। यह तरह का कोमा कीटोन्स जैसे केमिकलस के बनने से ट्रिगर होता है। कीटोन्स बहुत अधिक एसिडिक होते हैं और इनके कारण खून भी एसिडिक हो जाता है। कीटोएसिडोसिस का सबसे मुख्य कारण है इन्सुलिन की डोज का मिस हो जाना या टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में एक्यूट इंफेक्शन।
डायबिटिक हायपरऑज्मोलर कोमा (Diabetic Hyperosmolar Coma)
यह कोमा गंभीर डीहायड्रेशन और हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल (Hyperglycemia) के कारण होता है। इसके साथ ही कुछ अन्य कारणों से भी ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है जैसे डायबिटीज की दवाई या इन्सुलिन लेना भूल जाना, कोई बीमारी, मीठा खाना आदि। इस प्रकार डायबिटिक कोमा (Diabetic Coma) उन टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में अधिक होता है, जो किसी इंफेक्शन या गंभीर बीमारी का शिकार हों या फ्लूइड की मात्रा कम लेते हों। यह कोमा कुछ ही दिनों या हफ्तों में धीरे-धीरे विकसित होता है। इसलिए, अगर हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल या डीहाइड्रेशन का निदान और उपचार शुरू में ही हो जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है।
डायबिटिक हायपोग्लाइसीमिक कोमा (Diabetic Hypoglycemic Coma)
हायपोग्लाइसीमिया या लौ ब्लड ग्लूकोज लेवल तब होता है जब रोगी अपनी डायबिटीज की दवाई या इन्सुलिन की अधिक डोज ले लेता है। इसके साथ ही इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। अगर ब्लड ग्लूकोज बहुत लौ लेवल तक पहुंच जाती है तो प्रभावित व्यक्ति बेहोश हो सकता है और उसे दौरे भी पड़ सकते हैं।
डायबिटिक कोमा के लक्षण (Symptoms of Diabetic Coma)
डायबिटिक कोमा (Diabetic Coma) के विकास से पहले आप हाय या लौ ब्लड शुगर के कुछ लक्षण महसूस कर सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति को इस समस्या के लक्षणों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं।
हाय ब्लड शुगर (Hyperglycemia)