खान-पान की आदतों में सुधार- डायटिशियन या न्यूट्रिशनस्ट से मिलकर हेल्दी और टेस्टी फूड सिलेक्शन के बारे में बात करें ताकि अधिक कार्बोहाइड्रेट के सेवन से आप बच जाएं, क्योंकि यह ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा देता है।
इलाज का मूल्यांकन- आपकी पर्सनल हेल्थ हिस्ट्री के आधार पर डॉक्टर इलाज के तरीके पर फिर से विचार कर सकता है। वह आपकी डायबिटीज की दवा की टाइमिंग, खुराक और टाइप बदल सकता है। डॉक्टर से बिना पूछे कभी भी अपनी दवा की डोज या दवा न बदलें।
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हाइपरग्लाइसेमिया से होने वाली जटिलताएं (Complications of Hyperglycemia)
गंभीर हाइपरग्लाइसेमिया का यदि इलाज न कराया जाए तो कुछ जटिलाएं आ सकती हैं-
- नर्व डैमेज या न्यूरोपैथी
- किडनी डैमेज या नेफरोपैथी
- किडनी फेलियर
- कार्डियोवस्कुलर डिसीज
- आई डिसीज या रेटिनोपैथी
- खराब ब्लड फ्लो या नर्व डैमेज के कारण पैरों की समस्या
- बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन जैसी स्किन प्रॉब्लम
हाइपरग्लाइसेमिया का इलाज नहीं कराने पर क्या होता है? (What if of Hyperglycemia goes untreated)?
हाइपरग्लाइसेमिया का समय पर इलाज नहीं करवाने पर यह बहुत गंभीर हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि इसका पता चलते ही तुरंत उपचार कराया जाए। यदि आप हाइपरग्लाइसेमिया का इलाज नहीं करवा पाते हैं तो कीटोएसिडोसिस (ketoacidosis) का शिकार हो सकते हैं इसे डायबिटिक कोमा भी कहा जा सकता है। कीटोएसिडोसिस तब होता है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं होता और बिना इंसुलिन के आपका शरीर ग्लूकोज का एनर्जी के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में शरीर एनर्जी के लिए फैट्स को तोड़ता है और फैट के टूटने पर जो अपशिष्ट बनता है उसे ही किटोन्स कहते हैं। शरीर की इसकी अधिक मात्रा को सहन नहीं कर पाता और पेशाब के रास्ते इसे बाहर निकालने की कोशिश करता है, लेकिन वह इसे पूरी तरह से नहीं निकाल पाता और रक्त में किटोन्स का निर्माण होता रहता है जिससे कीटोएसिडोसिस (ketoacidosis) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कीटोएसिडोसिस (ketoacidosis) जानलेवा होता है और इसलिए तुरंत उपचार की आवश्यकता है। कीटोएसिडोसिस के लक्षणों में शामिल है-
- सांस उखड़ना
- सांसों से मीठी सुगंध
- मितली या उल्टी
- मुंह सूखना
इस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए इस बारे में डॉक्टर से बात करें।
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हाइपरग्लाइसेमिया से बचाव कैसे किया जा सकता है (Hyperglycemia prevention)?
डायबिटीज का सही मैनेजमेंट और सावधानीपूर्वक ब्लड ग्लूकोज लेवल की मॉनिटरिंग करके हाइपरग्लाइसेमिया से बचा जा सकता है या इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है।
नियमित रूप से टेस्ट कराएं- अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की रोजाना जांच करें और रिकॉर्ड रखें। हर बार डॉक्टर से मिलने पर यह जानकारी उनके साथ साझा करें।
कार्बोहाइड्रेट को मैनेज करना- इस बात की जानकारी रखें कि आप हर भोजन के साथ कितनी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं और डॉक्टर या डायटिशियन ने जो मात्रा तय की है उसी तक सीमित रहने की कोशिश करें।
सतर्क रहें- आपका शुगर लेवल कब बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए के बारे में डॉक्टर से पहले ही पूछ लें। दवा हमेशा समय पर लें और अपने भोजन और स्नैक्स की टाइमिंग का भी ध्यान रखें।