अगर प्रेग्नेंसी से पहले या प्रेग्नेंसी के दौरान मां को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है, तो ऐसे में डॉक्टर की देखरेख बहुत जरूरी हो जाती है। हार्ट संबंधी बीमारियों से ग्रसित महिलाओं को समय-समय पर डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए ताकि होने वाले बच्चे को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा ना रहे। ऐसे में आपको क्या सावधानी रखनी चाहिए और कौन-से टेस्ट कराने चाहिए, इस बारे में जानकारी जरूर हासिल करें। जिन महिलाओं को हार्ट संबंधित समस्याओं का मध्यम से अधिक जोखिम है, उन्हें कॉर्डियोलॉजिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए साथ ही प्रेग्नेंसी से पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और प्रेग्नेंसी के बाद में मेडिकल सेंटर में जाकर समय-समय पर जांच करानी चाहिए।
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लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स: लेट प्रेग्नेंसी के खतरों से जुड़े हो सकते हैं ये रिस्क फैक्टर्स!
लेट प्रेग्नेंसी के वॉर्निंग्स साइन और टिप्स में आपको लेट प्रेग्नेंसी के खतरों से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। हृदय रोग और संबंधित हृदय स्थितियों के लिए कुछ रिस्क फैक्टर्स जिम्मेदार हो सकते हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन से पूरी तरह से नहीं बचा जा सकता है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स होते हैं, जिन्हें कम किया जा सकता है। अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो उससे पहले आप डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें फैमिली हेल्थ हिस्ट्री के बारे में भी बताएं। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। आपको प्रेग्नेंसी के दौरान 300 से 500 कैलोरी प्रतिदिन अधिक चाहिए होती है। साथ ही प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज करने से भी आप फिट रह सकते हैं। आपको बहुत अधिक वेट गेन नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन ना करें। अगर आपको पहले से दांत संबंधी कोई समस्या है, तो बेहतर होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान चेकअप जरूर कराएं। रोजाना प्रीनेटल विटामिंस जरूर लें। प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) होने से हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure), कार्डियोवस्कुल डिजीज, किडनी डिजीज आदि का खतरा बढ़ जाता है। आपको इस संबंध में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।