महिलाएं अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए इंट्रायुट्राइन डिवाइस (आईयूडी) का इस्तेमाल करती हैं। यह दो प्रकार की होती हैं। कॉपर आईयूडी (IUD) और हार्मोनल आईयूडी। आम बोलचाल की भाषा में इसे कॉपर टी के नाम से जाना जाता है। इसका आकार अंग्रेजी अल्फाबेट के ‘टी’ जैसा होता है और इसके निचले हिस्से में कॉपर लिपटा रहता है। गर्भधारण को रोकने के लिए यह उपकरण सभी मामलों में बेहतर साबित नहीं होता है लेकिन, ज्यादातर महिलाएं इसे अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए सुरक्षित समझती हैं।
आईयूडी (IUD) एक प्रभावी और लंबे समय तक चलने वाली जन्म नियंत्रण विधि है। हालांकि अगर आप कभी गर्भवती होना चाहती हैं तो आईयूडी (IUD) को आसानी से हटाया जा सकता है। यह नसबंदी की तरह स्थायी गर्भनिरोधर नहीं है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें महिलाएं कॉपर- टी के इस्तेमाल के बावजूद गर्भवती हो गईं। इस तरह के मामले गर्भधारण को रोकने की इसकी क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं।
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कैसे काम करती है आईयूडी (IUD)?
IUD को महिलाओं के गर्भाशय में लगाया जाता है। यह पुरुष के शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचने से रोकती है। इसके चलते अंडे फर्टिलाइज नहीं हो पाते। इस पूरी प्रक्रिया के होने से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। यह गर्भाशय की भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) को भी बदलने का काम करता है। इससे एंडोमेट्रियम गर्भावस्था के लिए उपयुक्त नहीं रहती। यदि महिला के गर्भ में अंडा उर्वरित हो भी जाए तो ये अंडे का विकास नहीं होने देती। डॉक्टरों की मानें तो यह 99 प्रतिशत मामलों में अनचाहे गर्भ को रोकने में कारगर साबित होती है।
महिलाएं आईयूडी (IUD) की नियमित चिकित्सा जांच से खुद को गर्भवती होने से सुरक्षित रख सकती हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार की समस्या का अनुभव होता है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
दिल्ली के कालकाजी स्थित सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर अनीता सभरवाल ने कहा, ‘हर आईयूडी (IUD) अपनी एक्सपायरी डेट के साथ आती है। एक्सपायरी डेट के बाद भी इसका इस्तेमाल करने से महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं।’ उनके मुताबिक, ‘आईयूडी (IUD) में कई तरह के रसायन होते हैं जो गर्भाशय के एरिया को बाधित करते हैं। इस स्थिति में भी महिलाओं के प्रेग्नेंट होने की संभावना होती है। कई बार उन्हें संक्रमण भी हो जाता है।’
इसे लगाने के बाद गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने की जरूरत नहीं होती है। नॉन हार्मोनल आईयूडी (IUD) लगाने के बाद से ही काम करना शुरू कर देती है। हार्मोनल आईयूडी को अगर पीरियड्स के दौरान लगाया जाता है तो यह तुरंत काम करना शुरू कर देती। नहीं तो इसे एक्टिव होने में 7 दिन तक का समय लग सकता है। शिशु को जन्म देने या गर्भपात के चार हफ्तों बाद इसे गर्भाशय में लगाया जा सकता। वहीं शिशु को जन्म देने वालीं महिलाएं इसे लगाने के बाद सुरक्षित रूप से स्तनपान करा सकती हैं।
सेक्स के दौरान आपको इसे लगाने का अहसास भी नहीं होगा। साथ ही इसे किसी भी वक्त निकाला जा सकता है। वैसे तो इसके अनेक फायदे हैं लेकिन, ऐसी कई महिलाएं हैं जो इसे लगाने के बावजूद भी गर्भवती हुई हैं।
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IUD आईयूडी (IUD) के बावजूद प्रेग्नेंट होने का खतरा!
आईयूडी (IUD) का इस्तेमाल के बावजूद महिलाओं के प्रेग्नेंट होने के मामले सामने जरूर आए हैं लेकिन, इनकी संख्या ज्यादा नहीं है। करीब 2 से 10 प्रतिशत मामलों में आईयूडी अपनी जगह से थोड़ा खिसक सकती है या पूरी तरह गर्भाशय से बाहर आ सकती है। यदि ऐसा होता है तो आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं।
कई बार आपको अहसास भी नहीं होता कि आईयूडी (IUD) अपनी जगह से बाहर आ गई है। कई मामलों में आईयूडी के प्रभावी न होने की स्थिति में महिलाएं प्रेग्नेंट हो जाती हैं। डॉ. अनीता अपने अनुभव को शेयर करते हुए बताती हैं कि कई बार महिलाएं आईयूडी (IUD) लगवाने के बाद इसे बार-बार चेक करती हैं, जिससे यह अपनी जगह से खिसक जाती है और महिला गर्भवती हो जाती है।
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क्वालिफाइड डॉक्टरों की तंगी भी जिम्मेदार
उनके मुताबिक, ‘इसके इस्तेमाल की जानकारी रखने वाले प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी भी महिलाओं में इसको लेकर गलतफहमी पैदा करती है। कुछ मामलों में डॉक्टर प्रशिक्षित नहीं होते हैं और इसे गलत जगह लगा देते हैं। ऐसे में आईयूडी (IUD) कारगर साबित नहीं होती है। ‘ कॉपर आईयूडी, पेरागार्ड तुरंत प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए एक्टिव हो जाती हैं लेकिन, सामान्य आईयूडी (IUD) जैसे मिरेना और स्कायला प्रभावी होने में सात दिनों का समय लेती हैं। यदि आप इस अवधि के दौरान बिना कंडोमया किसी अन्य गर्भनिरोधक के सेक्स करती हैं तो आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं।
एक्सपायरी डेट से ज्यादा इस्तेमाल
यदि आप आईयूडी (IUD) की एक्सपायरी डेट से ज्यादा वक्त तक इसका इस्तेमाल करती हैं तो यह खराब हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी आप प्रेग्ननेंट हो जाती हैं। डॉ. अनीता के मुताबिक, ‘आईयूडी लगाने के बाद इसकी नियमित जांच बेहद जरूरी है। पहली जांच शुरुआती महीने में और इसके बाद तीसरे महीने में होनी चाहिए। साथ ही इस्तेमाल के छठे महीने पर इसकी जांच होनी चाहिए कि यह ठीक से कार्य कर रही है या नहीं।
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पीरियड्स आने पर ही लगाएं आईयूडी (IUD)
डॉक्टर अनीता ने बताया कि, ‘पीरियड्स आने पर ही आईयूडी (IUD) लगाएं। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आप पहले से गर्भवती नहीं हैं ताकि इससे बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकें।’ हालांकि 2015 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की मिरेना आईयूडी एक्सपायरी डेट खत्म होने के बाद भी पूरे एक वर्ष तक प्रेग्नेंट होने से बचाती है। इसकी पुष्टि के लिए अभी और अध्ययनों की आवश्यकता है। उनके अनुसार, ‘कई मामलों में कुछ महिलाएं पहले ही गर्भवती हो जाती हैं, जिसके बाद वह आईयूडी लगाती हैं।
आईयूडी (IUD) के उपयोग के फायदे तो आप समझ ही गईं होगी। इसको यूज करके अनवांटेड प्रेग्नेंसी से बचा जा सकता है लेकिन, इसका उपयोग सावधानी और सर्तकता के साथ किया जाना चाहिए। इसका उपयोग करना चाहिए या नहीं या फिर कैसे करना चाहिए है इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में इंट्रायुट्राइन डिवाइस (आईयूडी) से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इंट्रायुट्राइन डिवाइस (आईयूडी) के बारे में कोई अन्य जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल हमें कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
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