हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार बेबी डिलिवरी के दौरान पेरेनियल मसाज से वजायना में होने वाली पेरेनियल टेर और एपीसीओटॉमी से बचा जा सकता है। 2434 गर्भवती महिलाओं में पेरेनियल मसाज के कारण एपीसीओटॉमी का खतरा 15 प्रतिशत तक बेबी डिलिवरी के दौरान कम हुआ। हालांकि डिलिवरी के 6 हफ्ते पहले से पेरेनियल मसाज और एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स भी हैं लेकिन, सबसे पहले जानते हैं पेरेनियल मसाज और एपीसीओटॉमी क्या हैं और पेरेनियल मसाज और एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स क्या हैं ?
पेरेनियल मालिश से पेरिनेम को फ्लेक्सिबल करने की कोशिश की जाती है। अगर इसे सामान्य भाषा में समझें तो वजायना की मसाज की जाती है। पेरेनियल मालिश डिलिवरी डेट से 6 हफ्ते पहले शुरू करना चाहिए (प्रेग्नेंसी के आखरी डेढ़ महीने में मसाज की जा सकती है)।
डॉक्टर गंधाली के अनुसार पेरिनियल मसाज नियमित रूप से करने पर महिलाओं की वजायनल डिलिवरी कराने में आसानी होती है। पेरिनियल मसाज वजायनल डिलिवरी में किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना को न्यूनतम करने में मददगार साबित होती है। दरअसल पेरिनियल मसाज से वजायना और पेरिनियम के बीच के हिस्से को सॉफ्ट बनाया जाता है। सावधानी पूर्वक इस हिस्से में मौजूद ऊतकों की मसाज की जाती है। हालांकि, इस मसाज के लिए किसी भी तरह के मशीन की आवश्यकता नहीं होती है और हाथों से ही यह मसाज की जाती है। डिलिवरी के 3-4 हफ्ते पहले पेरिनियल मसाज करने से एपीसीओटॉमी का खतरा कम हो जाता है।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार पेरिनियल मसाज करते वक्त महिलाओं को काफी सावधानी रखनी चाहिए। मसाज करते वक्त वजायना या अन्य संवेदनशील अंगों में किसी भी प्रकार की खरोंच नहीं आनी चाहिए। पेरिनियल मसाज करते वक्त महिलाओं के नाखून कटे होने चाहिए। ऐसा न होने पर वजायना के भीतर खरोंच आ सकती है। मसाज से पहले महिलाओं को अपने हाथों को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए।’
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डिलिवरी के दौरान एपीसीओटॉमी की जरूरत बच्चे का सिर बाहर निकालने के लिए की जाती है। दरअसल शिशु के जन्म के दौरान अगर नवजात का सिर या कंधा वजायना से बाहर नहीं निकल पाता है, तो ऐसी स्थिति में एपीसीओटॉमी की जाती है। डिलिवरी के दौरान एपीसीओटॉमी एक प्रक्रिया के तौर पर आपनाया जाता है जिसमें चीरा लगाया जाता है। ये चीरा वजायना और एनस के बीच के टिशू में लगाया जाता है। एपीसीओटॉमी को सामान्य तौर पर नैचुरल टीयरिंग से बचने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया से पेल्विक मसल्स और कनेक्टिव टिशू को सपोर्ट मिलता है। एपीसीओटॉमी दो तरह के होते हैं। मिडलाइन इंसीजन( Midline (median) incision) और मेडियोलेटरल इंसीजन (Mediolateral incision)
मिडलाइन इंसीजन वर्टिकल किया जाता है। मिडलाइन इनसीजन आसानी से रिपेयर हो जाता है, लेकिन इसका एनल एरिया तक फैलने का खतरा अधिक होता है। ऐसा होने पर एनस के आसापास के टिशू को नुकसान पहुंच सकता है।
मेडियोलेटर इंसीजन को अलग एंगल से किया जाता है। एनस के आसपास के टिशू को इस इंसीजन से कम खतरा रहता है, लेकिन ये चीरा पेनफुल रहता है। साथ ही इसके ठीक होने में भी ज्यादा समय लग सकता है।
पेरेनियल मसाज और एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स निम्नलिखित हैं
एपीसीओटॉमी की जरूरत 35 साल या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं में वजायनल डिलिवरी के दौरान होती है।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स ये बताते हैं कि विश्वभर में तकरीबन 1 मिलियन महिलाओं में नॉर्मल डिलिवरी के दौरान एपीसीओटॉमी की जरूरत पड़ती है।
पेरेनियल मसाज जुड़े फैक्ट्स के अनुसार ऐसा नहीं है कि मसाज सिर्फ आप अपने करीबी या हेल्थ एक्सपर्ट से ही करवा सकते हैं बल्कि गर्भवती महिला खुद से भी वजायना की मसाज कर सकती हैं।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स फैक्ट्स बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर्स गर्भवती महिला को कीगल एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। कीगल एक्सरसाइज पेल्विस फ्लोर के लिए बेस्ट एक्सरसाइज माना जाता है। पेरेनियल मसाज के दौरान वजायना की एक्सरसाइज भी हो जाती है।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स के अनुसार एपीसीओटॉमी से रिकवरी आरामदायक नहीं होती है क्योंकि सर्जिकल इंसीजन नैचुरल टीयर से ज्यादा शारीरिक परेशानी देती है। एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स ये भी बताते हैं कि इससे इंफेक्शन की संभावना भी ज्यादा होती है। डिलिवरी के बाद कुछ महिलाओं को एपीसीओटॉमी के कारण सेक्स के दौरान दर्द भी हो सकता है। मिडलाइन एपीसीओटॉमी से फोर्थ डिग्री वजायनल टीयरिंग का खतरा रहता है। ऐसे में एनल स्फिंक्टर (anal sphincter) और म्यूकस मेंबरेन में टिशू को खतरा बढ़ जाता है। फीकल इंकॉन्टिनेंस यानी मल न रोक पाने की समस्या भी हो सकती है।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स के अनुसार डिलिवरी के दौरान एपीसीओटॉमी के लिए वजायना में टांके लगाए जाते हैं। ये टांके काटने वाले नहीं होते हैं। ये कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इसके दर्द से छुटकारा पाने के लिए ओवर द काउंटर मेडिसिन का यूज किया जा सकता है। एपीसीओटॉमी से जुड़े ये फैक्ट्स जानकार रिकवरी में आसानी हो सकती है।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स ये भी बताते हैं कि पेरिनियल एरिया में आइस पैक रखने से भी आराम मिल सकता है। एपीसीओटॉमी एक्सपर्ट्स से इसकी सलाह जरूर लें।
एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स जानने के बाद यह भी समझना जरूरी है की इसकी जरूरत क्यों पड़ती है।
अगर आप पेरेनियल मसाज और एपीसीओटॉमी से जुड़े फैक्ट्स के अलावा कोई और जानकारी चाहते हैं या इससे जुड़े सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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