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मां के स्पर्श से शिशु को मिलते हैं 5 फायदे

मां के स्पर्श से शिशु को मिलते हैं 5 फायदे

शिशु और मां के बीच एक अनदेखा संबंध होता है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ऐसा कोई उपकरण नहीं है जिससे मां और बच्चे के बीच के प्यार को मापा जा सके। पूराने समय से मां अपने शिशु को पैदा होने के बाद अपनी छाती से चिपकाकर सुलाती हैं। क्या आप जानते हैं एक बच्चे के लिए मां के स्पर्श (Mothers touch) यानी मां से स्किन टू स्किन टच कितना फायदेमंद होता है। बच्चे के लिए यह जीवनदायनी शक्तियां हासिल करने के समान होता है। आपने अक्सर सुना या देखा होगा कि डॉक्टर्स डिलिवरी के बाद मां को हमेशा कहते हैं कि बच्चे को खुद से चिपकाकर सुलाएं। ऐसी सलाह डॉक्टर इसलिए देते हैं क्योंकि नवजात बच्चे का मां की स्किन से संपर्क में रहना दोनों की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

स्किन-टू-स्किन केयर या कंगारू केयर भी कहते हैं। इसे कंगारू केयर इसलिए कहा जाता है क्योंकि कंगारू अपने बच्चे को दो साल तक अपने पेट की थैली में रखती है। कंगारू का बच्चा उसी थैली में बड़ा होता है। जन्म के बाद स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट शिशु और उनकी माता को कई तरह से मदद करता है तो आइए जानते हैं क्या हैं इसके खास फायदे?

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मां के स्पर्श से बच्चे को क्या क्या फायदे होते हैं? (What are the Benefits of Mothers touch?)

बच्चे को मिले गर्माहट (Baby get warm)

शिशु के लिए मां का स्पर्श तोहफा समान होता है। एक नवजात बच्चे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसकी मां का स्पर्श होता है इसलिए मां और बच्चे का स्किन-टू-स्किन संपर्क हर लिहाज से अच्छा होता है। डॉक्टर भी ऐसा ही करने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे सबसे ज्यादा फायदा बच्चे को मिलता है। बच्चों के लिए गर्माहट जरूरी होती है जो कि उन्हें मां के साथ स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट से मिलती है। 

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सांस लेना सही होता है (Help breathing properly)

कभी-कभार बच्चे बहुत तेजी से सांस लेने लगते हैं और कभी-कभी स्थिति बिल्कुल विपरीत हो जाती है। वे सांस लेना एकदम कम कर देते हैं जिससे हार्ट-रेट भी कम होने लगती है। मां का नवजात शिशु के साथ स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट से बच्चे मां की सांस लेने की प्रकिया के संपर्क में आते हैं जिससे बच्चे की सांस लेने की प्रकिया सही होने लगती है। 

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बच्चा कम रोता है (Baby cries less)

बच्चे जब अपनी मां के पास होते हैं तो वे कम रोते हैं। यही कारण है कि वे सबसे ज्यादा खुश भी अपनी मां के पास ही होते हैं इसीलिए मां और बच्चे का स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट जरूरी होता है। 

नींद अच्छी आती है (Sleep well)

मां के पास सोने से बच्चों को बहुत ही अच्छी और गहरी नींद आती है। ऐसा होने से बच्चे फ्रेश, कम चिड़चिड़े और अच्छे मूड में रहते हैं जिसके कारण उनकी ग्रोथ अच्छी और सही तरीके से होती है।

पाचन क्रिया का सही रहना (Helps in digestion)

स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट से बच्चे की पाचन क्रिया सही रहती है। मां के साथ इस तरह से संपर्क में रहने से बच्चे की वेगल नर्व में बढ़ोतरी होती है जिससे उनकी अब्सॉर्ब करने की क्षमता बढ़ती है। यही कारण है कि बच्चे की पाचन-शक्ति सुधरती है।

बच्चे की सोच पर पड़ता है प्रभाव (Impact on child thinking)

कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि जो जब मां अपने बच्चे तो गोद में बिठाकर खेलती है, तो बच्चे के ब्रेन में ऑक्सीटोसीन नामक हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हॉर्मोन सुख और संतुष्टि प्रदान करता है। मां के स्पर्श से बच्चे में ऑक्सीटोसीन का रिसाव होता है जिससे बच्चे का मन शांत रहता है। इससे आपका बच्चा दूसरों के प्रति काफी दोस्ताना व्यवहार रख सकता है। यही कारण है कि बच्चे को जन्म के तीन महीनों तक अलग लेटाने के लिए मना किया जाता है। कुछ महिलाएं शुरू से बच्चे को पालने में सुलाने की आदत डालती हैं। ऐसा न करें। इस अवधि के दौरान बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है।

कंगारू मदर केयर भी भारत में शुरू किया गया

मां के स्पर्श से शिशु को किस तरह से लाभ मिल सकता है, इसके लिए देश में कंगारू मदर केयर की सुविधा भी शुरू की गई है। इसमें शिशु का उपचार डॉक्टर या नर्स की बजाय खुद ही मां करती हैं। हालांकि, उन्हें डॉक्टर या नर्स द्वारा निर्देशत किया जाता है। कंगारू मदर केयर की सुविधा समय पूर्व जन्मे और कम वजन के बच्चों के उपचार के लिए शुरू की गई है। इसकी सुविधा देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू भी हो गई है। इस नई विधि में मां डॉक्टर की देखरेख में अपने बच्चे का स्वयं उपचार करेगी। अभी तक कंगारू मदर केयर की सुविधा सिर्फ ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कई अफ्रीकी देशों में ही देखी गई है। जहां पर इसके परिणाम काफी अच्छे पाए गए हैं।

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भारत में इन राज्यों में शुरू हो चुका है कंगारू मदर केयर

  • बिहार (Bihar)
  • ओडिशा (Orissa)
  • राजस्थान (Rajasthan)
  • मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
  • दिल्ली (Delhi)
  • महाराष्ट्र (Maharashtra)

कैसे होता है कंगारू मदर केयर से बच्चे का इलाज? (How does a kangaroo mother care treat a child?)

कंगारू मदर केयर की प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले विशेषज्ञ स्वास्थ्यकर्मियों को इसके बारे में प्रशिक्षित करते हैं। इन केंद्रों में गंभीर बीमार बच्चों के उपचार के लिए शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एनआईसीयू) भी बनाया गया है। इसके एक कमरे में केएमकेसी की प्रक्रिया शुरू की जाती है जहां कम वजन के बच्चों को रखा जाता है। ऐसे बच्चों को उनकी मां उस कमरे में वीडियो से अपने सीने से हर एक घंटे पर चिपका कर रखती हैं।

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कंगारू मदर केयर के फायदे क्या हैं? (Benefits of Kangaroo mother care)

कंगारू मदर केयर के कई फायदे हैं, जो मां के स्पर्श से ही शुरू होते हैं, जिनमें शामिल हैंः

मां के स्पर्श का असर (Effects of mother’s touch on baby)

कंगारू मदर केयर मां के स्पर्श से शिशुओं में पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक और व्यवहारात्मक प्रभावों पर आधारित है। ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले कंगारूओं में यह विधि स्वाभाविक रूप में देखने को मिलती है। इस प्रक्रिया के तहत मां अपने नवजात शिशु को सीने से चिपका कर रखती हैं। इससे बच्चे को गर्मी मिलती है। अगर नवजात शिशु की हृदय की गति बहुत धीमी है तो इश प्रक्रिया से इसे भी ठीक किया जा सकता है। इसे ही ‘स्किन टू स्किन ट्रीटमेंट’ भी कहा जाता है।

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स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट यानी कंगारु केयर बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे मां और बच्चे के बीच का रिश्ता मजबूत होता है। इसके साथ ही बच्चे यह बच्चे के सही विकास के लिए भी मददगार साबित होता है।

उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में शिशु के लिए मां के स्पर्श से जुड़ी जानकारी दी गई है।  अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Mothers Touch Charity Foundation vs Union Of India & Anr on 12 May, 2021/https://indiankanoon.org/doc/78756516/Accessed on 22/09/2021

KANGAROO MOTHER CARE IN INDIA. https://www.healthynewbornnetwork.org/hnn-content/uploads/India-KAP-Summary-Sheet.pdf. Accessed on 19 February, 2020.

KANGAROO MOTHER CARE. http://www.nrhmorissa.gov.in/writereaddata/Upload/Documents/Operational_Guidelines-KMC_&_Optimal_feeding_of_Low_Birth_Weight_Infants.pdf. Accessed on 19 February, 2020.

“Kangaroo Mother Care” programme in India helps premature triplets thrive. https://www.who.int/news-room/feature-stories/detail/-kangaroo-mother-care-programme-in-india-helps-premature-triplets-thrive. Accessed on 19 February, 2020.

Bonding with your baby during pregnancy. https://www.pregnancybirthbaby.org.au/bonding-with-your-baby-during-pregnancy. Accessed on 19 February, 2020.

Current Version

22/09/2021

Sushmita Rajpurohit द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nidhi Sinha


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डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Sushmita Rajpurohit द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/09/2021

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