अक्सर महिलाएं शिशु को जन्म देने के बाद कई तरह की परेशानियों से गुजरती हैं। इसमें प्रसव के बाद होने वाला दर्द भी शामिल है। कई बार वजायनल एरिया के आसपास खरोंच आ जाती है तो वहीं सिजेरियन डिलिवरी के बाद ऑपरेशन के बाद लगाए जाने वाले स्टिचिस में दर्द का होता है। इस स्थिति में कई बार चलना फिरना, खांसना और हंसना तक मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द (Pain after delivery) को ठीक करने के कुछ उपाय बता रहे हैं।
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डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द के कारण और उपाय (Cause and treatment for Pain after delivery)
दर्द से बचना है तो रखें पेरेनियम का ख्याल
वजायनल एरिया को साफ करने से पहले और बाद में हमेशा हाथ धोएं। पेरेनियम के ऊपर बर्फ रखें, जिससे सूजन (Swelling) और दर्द (Pain) दोनों ही कम होगा। बेड या कुर्सी पर बैठते वक्त पेरेनियम, बटक्स और जांघ की मांसपेशियों को सख्त रखें। सारा प्रेशर एक हिप पर रखने से टांके खुल सकते हैं।
यूरिनेशन या स्टूल पास करने के बाद गर्म पानी को टांकों के ऊपर से लेकर पीछे रेक्टम तक साफ करें। यदि आपको यूरिनेशन के वक्त टांकों के ऊपर जलन महसूस होती है तो यूरिन को पतला करने के लिए इस हिस्से पर थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी डालें। आगे से लेकर पीछे तक साफ- सुथरे सेनेटरी पेड लगाएं। ऐसा करने से कई महिलाओं को टांकों के ऊपर आराम महसूस होता है।
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लाजपत नगर स्थित सपरा क्लीनिक की गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर एस के सपरा ने कहा, ‘डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द (Pain after delivery) के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कमजोरी और संपूर्ण पोषण की कमी भी इन्हीं कारणों में से एक है। इस दौरान ऐसी चीजों को आहार में शामिल करनी चाहिए जो पोषणयुक्त हो। डिलिवरी के बाद महिलाओं को कई खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह भी दी जाती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से ऐसा भोजन अपनाएं जो शिशु और मां दोनों को पोषण दे, क्योंकि डिलिवरी के बाद महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) भी करा रहीं होती हैं।’
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डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द: सिजेरियन डिलिवरी की स्थिति में करें यह उपाय
यदि आपको खांसना या छींकना है तो तकिए को अपने टांके वाले हिस्से से चिपका कर खांस सकते हैं। ऐसा करने से स्टिचिस पर कम प्रेशर पड़ेगा। पेट की किसी भी प्रकार की सर्जरी के बाद बदहजमी एक आम समस्या है। हालांकि, यह कई दवाइयों का दुष्प्रभाव भी हो सकता है। इसलिए स्टूल को सॉफ्ट करने वाली दवाइयों और फाइबर से भरपूर सब्जियों का सेवन करना बेहद जरूरी है।
शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त दर्द से बचने के लिए डॉक्टर या मिडवाइफ की सुझाई गई दवाइयों का सेवन सुरक्षित होता है। अपने आपको सहज स्थिति में बनाए रखने के लिए इनका सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें और अपने बच्चे के वेट से ज्यादा वेट वाली चीजों को उठाने से बचें।
स्तनपान के दौरान अपने आपको आराम देने और बच्चे को घाव वाले हिस्से से दूर रखने के लिए एक तकिए का इस्तेमाल करें। इससे स्टिचिस वाले हिस्से पर दबाव नहीं पड़ेगा।
सिजेरियन डिलिवरी के बाद पेट पर स्टिचिस लगाने के बाद डॉक्टर छोटे-छोटे टेप लगाता है। यह टेप उसी स्थान पर रहने चाहिए जब तक कि डिलिवरी के बाद डॉक्टर या मिडवाइफ इन्हें हटा न दें। आपको इन्हें खुद अपने हाथों से नहीं हटाना है।
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डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द: सिट्ज बाथ अपनाएं
यूरिन करते वक्त छोटी बोतल में गर्म पानी भरकर पेरेनियम पर फुहार की तरह छिड़कें। टब में कमर तक गर्म पानी भरकर बैठें जिससे आपके हिप्स पानी में डूब जाएं। ऐसा आपको पांच मिनट के लिए करना है। आप चाहें तो ठंडे पानी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द: ‘OTC’ दवाइयाें का सेवन करें
ओवर द काउंटर पेन रिलीवर(over-the-counter) दवाई भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आपको चीरे वाली जगह पर लगातार और तेज दर्द का अहसास होता है तो अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं। यह संक्रमण का लक्षण हो सकता है।
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डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द: कब्ज और पाइल्स में करें यह उपाय
प्रसव के दौरान अक्सर गुदा(रेक्टम) की नसें सूज जाती हैं, जिसके चलते महिलाओं को लगातार दर्द या दबाव का अहसास होता है। आमतौर पर प्रसव के दौरान महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है जो आगे चलकर बवासीर में भी बदल सकती है।
डिलिवरी के बाद किन कारणों से कब्ज और पाइल्स की समस्या होती है?
- लो फाइबर डायट (Low-fiber diet)
- हॉर्मोन्स में बदलाव (Hormonal changes)
- स्ट्रेस (Stress)
- प्रसव के बाद शारीरिक गतिविधि कम होना (Reduced physical activity after delivery)
- वजायनल टीयर (Vaginal tears)
- बवासीर (Hemorrhoids)
- एपिसियोटमी साइट पर दर्द (Pain at an episiotomy site)
ऐसे में कई बार एनल में सूजन, खुजली और ब्लीडिंग हो सकती है। इसके दर्द से बचने के लिए आप घर पर 20 से 30 मिनट तक दिन में कई बार आइस पैक लगा सकती हैं। इसके अतिरिक्त आप कमर से निचले हिस्से को गर्म या ठंडे पानी से भी धो सकती हैं। ऐसा करने के बाद आप 15 मिनट के लिए लेट जाइए। इसके बाद आप टक्स, विच हेजल या बवासीर मरहम जैसी दवाओं का भी इस्तेमाल करें।
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स्टूल को सॉफ्ट बनाने वाली दवाओं का सेवन भी किया जा सकता है। साथ ही आप हरी सब्जियां, फल और साबुत अनाज का सेवन कर सकती हैं। सबसे अहम बात की दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
डॉक्टर से कंसल्ट करने की जरूरत कब होती है?
यदि आपका दर्द गंभीर और लगातार है तो आपको डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। ये किसी तरह का इंफेक्शन या हैमरेज का लक्षण हो सकता है। यदि आपको डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द के साथ निम्न में से कोई लक्षण हैं तो बिना देरी करें डॉक्टर से कंसल्ट करें:
- अत्यधिक और गाढ़े लाल रंग का वजायनल ब्लीडिंग होना (Excessive or bright red vaginal bleeding)
- बुखार (Fever)
- जी मिचलाना या उल्टी (Nausea or vomiting)
- त्वचा का लाल होना या सूजन होना (Redness or swelling around skin)
- एब्नॉर्मल वजायनल या रेक्टल डिसचार्ज (Abnormal vaginal or rectal discharge)
- सिरदर्द (Headache)
- सीने में दर्द (Chest pain)
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यहां बताएं गए उपायों को अपनाकर डिलिवरी के बाद होने वाले दर्द से बचा जा सकता है। डिलिवरी के बाद सामान्य दर्द से हर महिला को गुजरना पड़ता है इसलिए इसको लेकर ज्यादा परेशान न हो। अगर दर्द असहयनीय हो रहा है और इसके साथ कोई दूसरी परेशानी भी हो रही है तो बिना देर करें डॉक्टर से संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इससे जुड़ा कोई प्रश्न है तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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