backup og meta

गले में परेशानी से वजायनल डिसचार्ज में वृद्धि तक, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव से ना हो परेशान

गले में परेशानी से वजायनल डिसचार्ज में वृद्धि तक, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव से ना हो परेशान

प्रेग्नेंसी की शुरुआत में बॉडी में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। इन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान आने वाले बदलाव भी कह सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव आना स्वभाविक है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव आने से परेशान ना हो। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव हमेशा नहीं रहते। जिन महिलाओं की पहली प्रग्नेंसी है, हो सकता है कि शरीर में होने वाले बदलाव उन्हें परेशान कर दें। जो महिलाएं इन परिवर्तनों से गुजर चुकी हैं, उन्हें सेकेंड प्रग्नेंसी में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। महिलाएं सेकेंड प्रग्नेंसी में होने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार कर लेती हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम प्रेग्नेंसी के दौरान परेशान करने वाले कुछ ऐसे ही बदलावों के बारे में बताएंगे।

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव

1. गले में समस्या के साथ बढ़े हुए ब्रेस्ट

गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव आते है जिसमें गले के साथ बढ़े हुए ब्रेस्ट बहुत कॉमन हैय़ आमतौर पर इस समस्या का सामना पहली तिमाही में करना पड़ता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्राॅन के बढ़े हुए स्तर ये ब्रेस्ट का साइज बढ़ जाता है। साथ ही गला रूंधने जैसा लग सकता है। इन लक्षणों को देखकर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान होता ही है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव आना नॉर्मल है और डिलिवरी के बाद ज्यादातर परेशानियां खत्म हो जाती है।

गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव से कैसे बचें?

गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव वाली समस्या से बचने का कोई उपाय नहीं है। आप इसके लिए इस समय के लिए डिजाइन की गई स्पेशल ब्रा का यूज कर सकते हैं।

और पढ़ें : IVF को सक्सेसफुल बनाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

2.स्पॉटिंग होना

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव में स्पॉटिंग होना भी एक बदलाव है। ऐसा प्रग्नेंसी के चार से छह सप्ताह के बीच अनुभव होता है। प्रग्नेंसी के शुरुआत में हल्की स्पॉटिंग हो सकती है। ये इस बात का संदेश देती है कि फर्टिलाइज एग यूटरस की दीवाल के संपर्क में आ गया है। इस कारण से लाइट पिंक या व्हाइट डिस्चार्ज हो सकता है। अगर आपके साथ ऐसा नहीं हुआ है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि जरूरी नहीं है कि ये लक्षण सभी महिलाओं में दिखाई दें। एक बात का ध्यान रखें कि लेट प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ब्लीडिंग हो रही है  तो ये खतरे का संकेत हो सकती है। अगर आपके साथ ऐसा कुछ भी हो रहा है तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

अगर आपके साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा है तो परेशान न हो। ऐसा कुछ भी लक्षण दिखे या फिर कोई समस्या हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

और पढ़ें : आईवीएफ से जुड़े मिथ, जान लें क्या है इनकी सच्चाई?

3.मॉर्निंग सिकनेस के कारण थकान व मतली

गर्भावस्था  के दौरान शरीर में बदलाव में आपको मॉर्निंग सिकनेस का एहसास प्रग्नेंसी की पहली तिमाही में हो सकता है। इस दौरान आपको मतली और थका हुआ सा महसूस हो सकता है। अभी तक मॉर्निंग सिकनेस का ठीक प्रकार से कारण नहीं पता चला है। एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हारमोन (एचसीजी) के कारण ऐसा होता है।

आपको मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए प्रोटीन की अधिक मात्रा वाले फूड लेने होंगे। आप चाहे तो सुबह के समय अदरक के रस की कुछ बूंदे गरम पानी या चाय के साथ ली जा सकती है। आप चाहे तो मार्केट में उपलब्ध अदरक कैप्सूल भी ले सकती हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए विटामिन B6 ले सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव से होने वाली परेशानी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

और पढ़ें : महिलाओं को इन वजहों से होती है प्रेग्नेंसी में चिंता, ये हैं लक्षण

4.वजायनल डिस्चार्ज में वृद्दि होना

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव में ज्यादातर महिलाओं को वजायनल डिस्चार्ज ज्यादा होता है। आमतौर पर महिलाओं को वजायनल डिस्चार्ज होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान डिस्चार्ज बढ़ जाता है। शरीर में ऐसा एस्ट्रोजन की वृद्धि के कारण होता है।डिस्चार्ज के कारण योनि साफ रहती है और इंफेक्शन गर्भ में प्रवेश नहीं कर पाता है।गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव के साथ आपको अपने वजायनल एक्टिविटी में भी कुछ बदलाव दिखेंगे। गर्भावस्था  के दौरान शरीर में बदलाव की वजह से बहुत ज्यादा डिस्चार्ज होना परेशानी की बात है। अगर आपको हद से ज्यादा डिस्चार्ज की समस्या हो रही है तो इस दौरान डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर रहेगा।

और पढ़ें : गर्भधारण के लिए सेक्स ही काफी नहीं, ये फैक्टर भी हैं जरूरी

5. ऊर्जा में कमी महसूस होना

तीसरी तिमाही तक आपको एहसास हो सकता है कि आप ऊर्जा की कमी महसूस कर रही हैं। जरा सा काम करने के बाद आपको थकावट महसूस होने लगती है। अगर ऐसा हो रहा है तो ये हाॅर्मोन बदलाव के कारण ही है। इस दौरान आपके बेबी की बॉडी पार्ट बनने का काम हो रहा है। आपके ब्लड के थ्रू उसे भी एनर्जी मिल रही है। कई बार मानसिक और भावनात्मक तनाव के कारण भी थकावट महसूस होती है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव में थकान और एनर्जी में कमी होती है। हालांकि कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बदलाव महसूस नहीं होते लेकिन कुछ को ये बदलाव परेशान करते हैं।

गर्भावस्था में बॉडी में बदलाव:  कैसे बचें इससे ?

थकावट से बचने के लिए दिन में कुछ समय के लिए छपकी लें। आप गार्डन एरिया या पसंदीदा जगह पर कुछ समय के लिए वॉक कर सकती हैं। रात में सोने से दो घंटे पहले तक खाना खा लें। तीन से चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाएं । साथ ही खाने में कार्बोहाइड्रेड की पर्याप्त मात्रा, प्रोटीन और वसा जरूर शामिल करें।

6. हार्टबर्न की समस्या

कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान खाने के बाद पेट बहुत भारी लगता है या फिर कुछ खाने की इच्छा नहीं करती है। ये बहुत बड़ी समस्या नहीं है। हार्टबर्न की समस्या प्रेग्नेंसी की दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान ज्यादा दिख सकती है। ये समस्या 50 प्रतिशत से अधिक प्रग्नेंट महिलाओं में देखने को मिलती है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव का एक और उदाहरण है हार्टबर्न यानि एसिडिटी की समस्या । ज्यादातर महिलाओं को ये परेशानी भी होती है।

और पढ़ें : इन वजहों से कम हो जाता है स्पर्म काउंट, जानिए बढ़ाने का तरीका

गर्भावस्था में बॉडी में बदलाव: कैसे बचें इससे ?

खाने को एक साथ न खाएं। कोशिश करें कि दिन में पांच से छह बार खाना खाएं। सोने के तुरंत पहले खाना न खाएं। इस दौरान स्पाइसी फूड को इग्नोर करेंगी तो अच्छा रहेगा। साथ ही फाइबर फूड लेने से पाचन संबंधी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

गर्भावस्था की शुरुआत में दिखने वाले इन लक्षणों को लेकर परेशान न हो। अगर किसी भी वजह से असहज महसूस कर रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

[embed-health-tool-pregnancy-weight-gain]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What Bodily Changes Can You Expect During Pregnancy?/ars.usda.gov/research/publications/publication/?seqNo115=302042/Accessed on 11/12/2019

Pregnancy stages and changes/https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/HealthyLiving/pregnancy-stages-and-changes/Accessed on 11/12/2019

Body changes and discomforts/https://www.womenshealth.gov/pregnancy/youre-pregnant-now-what/body-changes-and-discomforts/Accessed on 11/12/2019

Physiological changes in pregnancy/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4928162/Accessed on 11/12/2019

Body Changes During Pregnancy – Week By Week/http://aao.org/eyenet/article/ocular-changes-during-pregnancy Accessed on 11/12/2019

Current Version

23/09/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

Updated by: Bhawana Awasthi


संबंधित पोस्ट

क्यों प्लेसेंटा और प्लेसेंटा जीन्स को समझना है जरूरी?

क्या आप जानते हैं गर्भावस्था के दौरान शहद का इस्तेमाल कितना लाभदायक है?



Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/09/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement