हमारी स्किन बहुत सेंसिटिव होती है यानी कि अगर उसे अनुकूल वातावरण ना मिले, तो उसमें विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा होना शुरू हो जाती हैं। वहीं कई बार इसमें इंफेक्शन हो जाने के कारण भी घाव या समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में स्किन में क्या समस्या पैदा हुई है, उसकी जानकारी के लिए टेस्ट करना बहुत जरूरी हो जाता है। फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections) भी इसी तरह का एक परीक्षण या फिर टेस्ट है। ये टेस्ट एक सिंपल टेस्ट होता है, जो किसी व्यक्ति की त्वचा, बालों और नाखूनों पर फंगल संक्रमण की पहचान करने में मदद करता है। फंगल टेस्ट के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाता है और प्रोसीजर में क्या शामिल किया जाता है, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि इन स्किन इन्फेक्शन के लिए अन्य कौन से टेस्ट किए जा सकते हैं।
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फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections)
जब डॉक्टर फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections) करते हैं, तो वे त्वचा की कुछ मात्रा टेस्ट के लिए लेते हैं, जिसे वे फिर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (केओएच) के घोल में रखते हैं और माइक्रोस्कोप की मदद से जांच करते हैं।फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम को पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड टेस्ट या फंगल स्मीयर (fungal smear) भी कहा जाता है। त्वचा, बालों, नाखूनों या योनि स्राव में विभिन्न प्रकार के फंगल संक्रमणों की जांच के लिए केओएच एक्जाम की सलाह दी जा सकती है।
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इन समस्याओं की जांच के लिए किया जा सकता है टेस्ट?
फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections) त्वचा, बालों, नाखूनों या वजायनल फ्लूड में विभिन्न प्रकार के फंगल संक्रमणों की जांच के साथ ही दाद ,एथलीट फुट (athlete’s foot), जॉक खुजली, वजायनल कैंडिडा आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को फंगल इंफेक्शन की समस्या है, तो जरूरी नहीं है कि उसमें कुछ लक्षण नजर आएं। संक्रमण के कारण स्किन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं जरूर दिख सकती हैं। अगर किसी व्यक्ति को ऐसी समस्या होती है, तो ऐसे में डॉक्टर को दिखाया जाता है और डॉक्टर उसी के आधार पर टेस्ट कराने की सिफारिश कर सकते हैं। आइए जानते हैं फंगल इंफेक्शन होने पर किस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
- त्वचा पर दाने आ जाना
- स्केलिंग या धारदार निशान बनना
- लालपन
- उभरे हुए धब्बे
- त्वचा में सूजन
- खुजली होना
अगर आपको भी उपरोक्त लक्षण नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और बीमारी की जांच करानी चाहिए। अगर समय पर ट्रीटमेंट मिल जाता है तो फंगल इंफेक्शन का ट्रीटमेंट करना आसान हो जाता है।
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कैसे किया जाता है फंगल इंफेक्शन टेस्ट?
फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections) एक आसान प्रक्रिया है। अगर आपको बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो ऐसे में डॉक्टर से जांच से पहले आपसे कुछ प्रश्न कर सकते हैं और साथ ही वह यह भी देखते हैं कि आपको क्या लक्षण दिखाई दे रहे हैं? वह आपसे पूछेंगे कि आपको यह समस्या कब से हो रही है और कितने दिनों बाद आपको ज्यादा समस्या महसूस हो रही थी। इसके बाद डॉक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। अगर त्वचा में घाव हो गया है, तो उस घाव के आसपास के स्किन का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए त्वचा की कुछ मात्रा को लिया जाता है और उसके बाद त्वचा के सैंपल को पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (potassium hydroxide) के घोल में रखा जाता है। ऐसा करने से त्वचा की वह सभी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जिनमें फंगस नहीं है और बाकी फंगल वाली त्वचा बच जाती हैं। इसके बाद बची हुई कोशिकाओं को माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जाता है। इसे यह जानकारी मिल जाती है कि उस त्वचा में फंगस है या फिर नहीं।
जब भी आप डॉक्टर के पास टेस्ट के लिए जाएं, तो डॉक्टर को यह जरूर बताएं कि आपको इंफेक्शन वाले स्थान में दर्द की समस्या, ब्लीडिंग होना या फिर अन्य समस्या तो नहीं है। परीक्षण से पहले किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती है। परीक्षण के दौरान जब सैंपल लिया जाता है, तो उस दौरान आपको घाव वाले स्थान पर हल्का दबाव महसूस हो सकता है। आमतौर पर यह बहुत दर्दनाक नहीं होता है लेकिन आपको हल्का दर्द महसूस हो सकता है। अगर ऐसा है तो आप इस बारे में डॉक्टर को जानकारी दे सकते हैं। कुछ लोगों को घाव वाले स्थान में सूजन की समस्या, लालिमा भी हो सकती है।
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फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम : रिजल्ट से क्या है मतलब?
फंगल इंफेक्शन के टेस्ट के दौरान जब रिजल्ट आता है, तो उस टेस्ट में यह पता चलता है कि घाव में फंगस यानी कि कवक है या फिर नहीं। कुछ मामलों में यह टेस्ट गलत भी साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो भी सैंपल लिया गया है, उसमें पर्याप्त मात्रा में फंगल सेल्स मौजूद नहीं होते हैं। कई बार गलत सैंपल लेने के कारण भी टेस्ट का नतीजा गलत आ सकता है। कवक धीरे-धीरे ग्रोथ करते हैं, जिसके कारण उन्हें देखना मुश्किल हो जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने सैंपल लेने के पहले फंगल इंफेक्शन से संबंधित दवा ली है, तो भी टेस्ट का रिजल्ट गलत हो सकता है। अगर व्यक्ति को फंगल इनफेक्शन नहीं है, तो डॉक्टर अन्य टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
स्किन फंगस की समस्या होने पर डॉक्टर अन्य टेस्ट करने की भी सलाह दे सकते हैं। इन टेस्ट में वुड लैम्प एक्जामिनेशन (Wood lamp examination), स्टेंड वेट माउंट (Stained wet-mount), बायोप्सी विद स्पेशल स्टेंस (Biopsy with special stains) आदि शामिल है। ज्यादातर फंगल इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट आसानी से किया जा सकता है। फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं या फिर एंटीफंगल क्रीम का इस्तेमाल भी संक्रमण को कम करने के लिए किया जाता है। जिस व्यक्ति को संक्रमण हुआ है, बेहतर होगा कि वो लोग बीमारी की जांच करवाएं। अगर समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलता है, तो कई बार गंभीर समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको फंगल इंफेक्शन के लिए केओएच एक्जाम (KOH Exam For Fungal Infections) से संबंधित अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।