हमारी स्किन बहुत सेंसिटिव होती है। शरीर में अगर किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो इसका असर कई बार स्किन में भी दिखाई पड़ता है। ऐसी ही एक बीमारी है कैंसर की बीमारी। कैंसर की बीमारी के कारण स्किन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लिम्फोमा (Lymphoma) एक प्रकार का कैंसर है, जो लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) नाम की इम्यून सेल्स (Immune cells) में शुरू होता है। जब लिम्फोमा स्किन को प्रभावित करता है, तो यह एक या एक से अधिक पपड़ीदार, लाल-से-बैंगनी पैच, प्लाक्स या नोड्यूल्स के रूप में प्रकट होने वाले दाने का कारण बन सकता है। इसके कारण लिम्फोमा रैश (Lymphoma rash) पैदा हो जाती है। लिम्फोमा रैश क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे कैसे डायग्नोज किया जाता है, आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से।
और पढ़ें: Face Wash For Oily Skin: ऑयली स्किन के लिए कौन-से फेसवॉश का किया जा सकता है इस्तेमाल?
लिम्फोमा रैश (Lymphoma rash) की समस्या क्या है?
एक लिम्फोमा रैश (lymphoma rash) जैसे माइकोसिस फनगोइड्स या फिर अन्य स्किन कंडीशन जैसे कि सोरायसिस या एक्जिमा आदि के समान पैदा कर सकता है। यानी अगर किसी व्यक्ति को स्किन में इस प्रकार की समस्या पैदा होती है, तो ऐसे में ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि ये कंडीशन कैंसर से जुड़ी है फिर किसी स्किन की समस्या है। एक व्यक्ति को अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है और लिम्फोमा रैश (Lymphoma rashv) के बारे में जानकारी डॉक्टर डायग्नोसिस के बाद ही लगा सकते हैं।
स्किन में होने वाली समस्या को आमतौर पर लिंफोमा रैश के नाम से नहीं जाना जाता है। डॉक्टर इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसे स्किन रिलेटेड लक्षणों के रूप में भी जाना जाता है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने यह बात नोट की है कि स्किन लिम्फोमा त्वचा में कैंसरयुक्त टी कोशिकाएं पैच, प्लेक और कभी-कभी ट्यूमर जैसे घावों के साथ मौजूद रहती है।
लिंफोमा रैश होने पर स्किन में पपड़ी पड़ जाती है और साथ ही सूजन भी पैदा हो जाती है। इसमें आपको खुजली का भी एहसास हो सकता है। आमतौर पर यह जांघों के पास या बटॉक्स में पाए जा सकते हैं। समय बढ़ने के साथ-साथ अगर इनका ट्रीटमेंट ना कराया जाए, तो यह अधिक गंभीर भी हो सकते हैं और इनमें प्लाक भी बन सकता है। कुछ लोगों में तो घाव भी पैदा हो जाता है और साथ ही उससे खून भी निकलने लगता है। वहीं कुछ लोगों में यह ट्यूमर जैसी स्थिति पैदा करता है, जिसमें घाव उभर आता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
और पढ़ें: स्किन का रंग अगर पड़ गया है ब्लू, तो यह हो सकता है पेरीफेरल सायनोसिस का लक्षण!
लिम्फोमा रैश के क्या दिख सकते हैं लक्षण?
यदि किसी व्यक्ति को लिम्फोमा रैश की समस्या हो गई है, तो उसे एक नहीं बल्कि कई प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। कुछ लक्षण जैसे कि रैश वाले स्थान में खुजली होना और आसपास दाने हो जाना सामान्य बात होती है। बुखार आना, वजन घटना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर बीमारी को सही समय पर डायग्नोज कर लिया जाए , तो इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है। इसके लिए बहुत जरूरी होता है कि बायोप्सी की मदद ली जाए।
माइकोसिस फेंग्नोइड्स (Mycosis fungoides) या लिम्फोमा रैश की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि कुछ लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। अगर अमेरिकन कैंसर सोसायटी की बात मानें, तो त्वचा में लिंफोमा रैश की समस्या 50 से 60 की उम्र में होने का अधिक खतरा रहता है। वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसका खतरा कम होता है। पुरुषों में यह 2 गुना तेजी से हो सकता है।
और पढ़ें: पैरों की ड्राय स्किन के लिए उपाय अपनाने हैं, तो पढ़ें यहां
बीमारी को कैसे किया जा सकता है डायग्नोज?
इस बीमारी को डायग्नोज करने में समय लग सकता है। लिम्फोमा रैश के लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता है क्योंकि इस समस्या के होने पर त्वचा पर पैच दिखाई देते हैं, जो कि सामान्य स्किन कंडीशन जैसा लग सकते हैं। डायग्नोसिस के दौरान फिजिकल एग्जामिनेशन के साथ-साथ कुछ क्वेश्चन भी पूछ सकते हैं और साथ में ही ब्लड टेस्ट (Blood test) भी कर सकते हैं। अगर डॉक्टर इंलार्ज्ड लिम्फ नोड्स की जांच करते हैं, तो ऐसे में वह बायोप्सी (Biopsy) की सलाह भी दे सकते हैं। इसके अलावा इमेजिंग टेस्ट (Imaging test) की मदद से स्किन लिंफोमा के बारे में जानकारी मिल जाती है और साथ ही ये भी पता चल जाता है कि ये शरीर में कितना फैला है। डॉक्टर लिम्फोमा रैश के लिए सीटी स्कैन (CT scans), एमआरआई (MRI), पीईटी स्कैन (PET scans) आदि कराने की भी सलाह दे सकते हैं।
और पढ़ें: Sunburn On Dark Skin: जानिए डार्क स्किन पर सनबर्न के बारे में यहां!
कैसे किया जा सकता है बीमारी का ट्रीटमेंट?
लिंफोमा के ट्रीटमेंट के दौरान इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि आखिरकार लिंफोमा की समस्या कितनी बढ़ चुकी है। उसी के अनुसार डॉक्टर ट्रीटमेंट देते हैं। स्टैंडर्ड कैंसर थेरिपी के साथ ही कुछ कॉमन ट्रीटमेंट जैसे कि इम्यूनोथेरेपी, कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy) का सहारा लिया जाता है। इनके माध्यम से कैंसर की बीमारी को ठीक किया जाता है। धीरे-धीरे ये समस्या ठीक हो जाती है। इसके लिए डॉक्टर मरहम लगाने की सलाह दे सकते हैं, जिसमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, कीमोथेरेपी दवाएं, या रेटिनोइड शामिल हो सकते हैं। यह दर्द के साथ ही खुजली की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। इससेस कैंसर की समस्या को कम करने में मदद मिलती है। कुछ मामलों में यह पाया गया है कि दवा और यूवी लाइट थेरिपी के कॉम्बिनेशन से इलाज करने में मदद मिलती है।
जैसा कि आपको पता है कि कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी से बचने के लिए बीमारी का सही समय पर डायग्नोसिस बहुत जरूरी है। कैंसर के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा होते हैं। स्किन में पैदा होने वाली समस्या भी इसी में शामिल है। अगर आप कैंसर की बीमारी को सही समय पर पहचान लेते हैं, तो आप कई समस्याओं से बच सकते हैं। अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान दें और किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
और पढ़ें: स्किन के लिए अंजीर के फायदे : चेहरे को चमक प्रदान करने के साथ ही हेयर ग्रोथ में करती है मदद
इस आर्टिकल में हमने आपको लिम्फोमा रैश (Lymphoma rash) के बारे में अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको स्किन कंडीशन के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हैलो हेल्थ की वेबसाइट में आपको अधिक जानकारी मिल जाएगी।