स्किन टैग का रंग ब्राउन हो सकता है। स्किन सरफेस पर यये स्मूथ दिख सकता हैं। यह सरफिस के सबसे ऊपर उगते हैं और इनमें डंठल भी दिख सकती है। शुरुआत में स्किन टैग (Skin tags) छोटे होते हैं और यह ऊभार की तरह दिखते हैं। फिर कुछ समय बाद ही बड़े हो जाते हैं। इनका डायमीटर 2 मिली मीटर से 1 सेंटीमीटर तक हो सकता है। कुछ लोगों में 5 सेंटीमीटर तक भी हो सकता है
स्किन टैग के क्या हैं कारण (Causes of skin tags)?
आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिरकार क्यों स्किन टैग (Skin tags) होता है। इसका कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन जब कोलेजन और ब्लड वेसल्स के ग्रुप त्वचा के मोटे टुकड़ों में फंस जाते हैं, तो उसकी स्किन में एक उभार का निर्माण होता है। यह कई लोगों में रगड़ के कारण भी पैदा हो सकते हैं। कुछ लोगों में यह इनहेरिट होते हैं। और एक से दूसरी पीढ़ी को मिलते हैं। स्किन टैग की समस्या पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी हो सकती है लेकिन यह समस्या प्रेग्नेंसी के समय अधिक होते हैं। जो लोग अधिक मोटे होते हैं या जिनको डायबिटीज की समस्या होती है, उनमें ये समस्या आम हो सकती है। हाइपरइन्सुलिमीया के कारण भी ये स्किन प्रॉब्लम पैदा हो सकती है। इस स्थिति में रक्त में बहुत अधिक इंसुलिन सर्कुलेट होता है।
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स्किन टैग से जुड़े रिस्क फैक्टर्स (Risk factors associated with skin tags)
स्किन टैग से जुड़े हुए हैं रिक्स एक नहीं बल्कि कई हैं। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या हो, जिनका वजन अधिक हो, महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान या हॉर्मोनल चेंज के दौरान, एच पी वी (HPV) संक्रमण के कारण, एस्ट्रोजन- प्रोजेस्ट्रोन के लेबल में गड़बड़ी के कारण, जिनके परिवार में किसी को स्किन टैग की समस्या हो चुकी है आदि इससे जुड़े हुए रिस्क फैक्टर्स हैं। स्किन टैग को इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) और उच्च संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन, सूजन के एक मार्कर से भी जोड़ा गया है। इससे पता चलता है कि स्किन टैग इंसुलिन प्रतिरोध, मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome), एथेरोस्क्लेरोसिस और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम का बाहरी संकेत दे सकते हैं।
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