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नींद पूरी न होने के सामान्य और जोखिम भरें लक्षण

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Arvind Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/06/2021

    नींद पूरी न होने के सामान्य और जोखिम भरें लक्षण

    इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सब चींजे आसान नहीं रह गई है। समय के साथ जीवनशैली में इतना बदलाव आ गया है कि हम समयानुसार कुछ भी करने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। चाहे उसमें खाना, पीना, परिवार को समय देना और सबसे बड़ी बात समय से सोना। जी हां, हम लोगों को जीने के लिए नींद बहुत ही जरुरी है। व्यक्ति बिना खाए 1-2 महीने तक जीवित रह सकता है लेकिन बिना सोए 11 दिन में व्यक्ति की मौत हो सकती है। आज हम जानेगे नींद यानि की स्लीप के बारे में बेहद रोचक और मज़ेदार तथ्य जो आपको चकित करके रख देगा। नींद की कमी एक ऐसी स्थिति है जिसमें आप पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। यह या तो लम्बे समय से चली आ रही दिक्क्त हो सकती है या अचानक से पनपी समस्या भी हो सकती है। अगर एक लंबे समय तक आप ठीक से पूरी नींद न लें तो थकान, दिन में नींद आना, बेचैनी के साथ साथ अचानक बहुत अधिक वजन घटना या वजन बढ़ना जैसी दिक्क्तें हो सकती है। चलिए हैलो हेल्थ के इस खास आर्टिकल में जानते हैं नींद पूरी न होने के लक्षण (Sleep Deprivation Symptoms) और भी बहुत कुछ।

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    नींद पूरी न होने के लक्षण (Sleep deprivation symptoms)

    निरंतर नींद की कमी का मुख्य लक्षण होता है दिन में अत्यधिक नींद आना, लेकिन इसके अन्य नुकसादेह लक्षण भी हैं। नींद न आने के लक्षणों में कई बातें आपकी नींद में खलल डालने की जिम्मेदार होती हैं, जोकि आपकी रोजाना की जिंदगी में देखने को मिलती है।

  • चिड़चिड़ापन
  • उदासी
  • तनाव
  • नई चीजों को सीखने में हो रही कठिनाई
  • ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
  • उत्तेजना में कमी
  • उबासी लेना
  • ज्यादा भूख लगना
  • मनोदशा में लगातार परिवर्तन
  • थकान
  • बेचैनी
  • कामेच्छा में कमी
  • नींद की कमी के सामान्य कारण (Sleep deprivation Causes)

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    • व्यवहार- अमूमन लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनके शरीर को नींद की जरूरत है बावजूद इसके वे सोते नहीं हैं। उत्तेजक का इस्तेमाल भी नींद पर असर डालता है। जैसी कि कुछ लोग सोते समय एल्कोहॉल और कैफीन का उपभोग करते हैं जो नींद के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है।
    • पढ़ाई और काम का बोझ- नींद की कमी कारण एक ये हो सकता है, आपके पास काम और पढ़ाई का बोझ ज्यादा है जिसके कारण उचित नींद नहीं ले पाते हैं। खासकर वे लोग जो शिफ्ट मे काम करने वाले लोग जो हवाई यात्रा करते हैं, उनके लिए पूरी नींद ले पाना मुश्किल होता है। बच्चों और नौजवानों को बड़ों की तुलना में ज्यादा नींद लेने की जरुरत है। लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी में भरपूर्ण नींद ले पाना इतना आसान नहीं।
    • आसपास का माहौल- नींद पूरी ना होने या इसमें कमी के कारणों में आसपास का वातावरण बहुत मायने रखता है। अधिक तापमान, आसपास शोर या फिर साथ में लेटे शख्स का जोर-जोर से खर्राटे लेना नींद में खलल डालते हैं। यहीं से आपके नींद का रूटीन बिगड़ जाता है।
    • स्लिप एप्निया- शरीर से संबंधित ऐसी बीमारी जिसमें सोते समय सांस रुकने लगती है और फेफड़ों में हवा की कमी हो जाती है। इसका कारण ऑक्सीजन की कमी होती है जिससे व्यक्ति बार-बार जागने लगता है।
    • बीमारियां- सर्दी, जुकाम, फ्लू या टॉन्सिल ऐसी अल्पकालिक बीमारियां जो नींद में खलल डालने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। क्योंकि इन बीमारियों में सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होती है। ऐसे में व्यक्ति कम नींद ले पाता है।

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    नींद की कमी के जोखिम भरे कारण

    • जीवनशैली में बदलाव- आज के समय में व्यक्ति की जीवनशैली बार-बार बदल रही है। पूरे दिन भागदौड़ करने के बाद जब व्यक्ति बिस्तर पकड़ता है तो वह अब मोबाइल में अपना समय खपाते हैं। मोबाइल चलाना आपकी नींद पर सबसे ज्यादा और बुरा असर छोड़ रहा है।
    • बढ़ती उम्र- दरअसल, बढ़ती उम्र में बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वह पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। शुगर, हाई बीपी और गैस्ट्रोइसोफेगल रिफलक्स जैसी बीमारी बुजुर्गों की नींद पूरी नहीं होने दे रही हैं।
    • चिकित्सा संबंधी समस्याएं- यदि आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और उसका इलाज भी करवा रहे हैं तो यह आपकी मानसिक और शारीरिक स्थितियों पर बुरा असर डाल सकती है जिससे आपको नींद की कमी महसूस हो सकती है। उदाहरण, अस्थमा के मरीज को रात में सांस लेने की समस्या होती है जिससे उनके सोने की क्रम पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ता है।
    • अवसाद और तनाव- चैन से न सोने का सबसे बड़ा कारण आज के समय में अवसाद और तनाव है।
    • मानसिक विकार के कारण भी नींद पूरी नहीं हो पाती है जैसे कि डरावने सपने आना भी नींद पूरी नहीं होने देते हैं।

    नींद की कमी का उपचार (Sleep deprivation Treatment) 

    नींद न आने का कोई एक कारण तो नहीं है जो इसका उपचार एक ही विधि से हो जाए। इसलिए अलग-अलग स्थितियों के लिए अलग-अलग उपचार की जरूरत होती है। लेकिन आमतौर पर चिकित्सा उपचार और जीवन शैली में बदलाव ही नींद की कमी का मुख्य कारण होता है। नींद की कमी के उपचार को हम दो भागों में बांट सकते हैं। एक चिकित्सक और दूसरी जीवनशैली में बदलाव।

    1. नींद की कमी में चिकित्सक उपचार में क्या करें
    • एलर्जी जैसे कि सर्दी, खांसी और सांस लेने की समस्या के लिए दवाएं लें।
    • आगर आपको दांत मिसमिसाने की आदत है तो आप नींद पूरी करने के लिए डेंटल गार्ड का इस्तेमाल करें।
    • अच्छी नींद के लिए मेलेटोनिन (Melatonin) की दवा लें।
    • नींद की गोलिया लेना भी एक उपचार है।

         2. वहीं, नींद की कमी का उपचार जीवनशैली में बदलाव कर भी किया जा सकता है

    • सबसे पहले आपको सोने के नियम बनाने की जरूरत है।
    • अच्छी नींद के लिए आप तनाव को खत्म करें, इसके लिए आप व्यायाम और योगा भी सहारा ले सकते हैं।
    • अगर आप नशे के आदी हैं तो आपको अच्छी नींद लेने के लिए इन्हें त्यागना होगा।
    • समयानुसार और योजनानुसार सोने से नींद की गुणवत्ता में बड़ा असर देखने को मिलेगा।
    • कैफीन का सेवन ना के बराबर करें। कोशिश करें कि दोपहर और शाम को इसे ना लें।
    • डिनर की थाली में कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा हो।
    • सब्जियों में मछली का सेवन करना और चीनी का सेवन कम करना होगा।

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    नींद पूरी न हो पाने के बड़े नुकसान

    नींद की आवश्यकता हर व्यक्ति के लिए अलग होती है लेकिन एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रति 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए।

    • स्वास्थ्य पर भावनात्मक असर– कम सोना आपमें चिड़चिड़ापन, जल्दी से नाराज हो जाना, गुस्सा करना, आवेगी होना और मूडी भी बना सकती है। इतना ही नहीं आत्महत्या प्रवृत्ति, अवसाद, ध्यान की कमी के भी आप शिकार हो सकते हैं।
    • शारीरिक स्वास्थ्य पर असर- अच्छी नींद क्षतिग्रस्त या रक्त वाहिकाओं, मासपेशियों और ऊतकों को उर्जा प्रदान करती है। अगर उचित नींद न लो तो वह मोटापा, मधुमेह, ह्द्य रोग, हाई बीपी, गुर्दों के विकारों और स्ट्रोके जैसी बिमारियों का शरीर में प्रवेश होने लगता है।
    • कुशलता में कमी- नींद से वंचित होने का मतलब है कि आप अपने समकक्षों से कार्य करने में पिछड़ रहे हैं। आपके काम में कम कुशलता आती है। काम के समय में आपको नींद आती है और आपको काम करने में समय लगता है। ऐसे में ध्यान देना और निर्देशों का पालन कर पाना आपके लिए आसान नहीं होता है।
    • हार्मोनल इंबैलेंस- नींद लेने के दौरान हमारे शरीर में हार्मौनल प्रक्रिया चलती है। इस दौरान हमारे शरीर में कई अहम हार्मौन्स जन्म लेते हैं जो भूख,  ऊर्जा के स्तर को संतुलन में रखती है।
    • मस्तिष्क पर असर- नींद हमारे दिमाग को रोजाना चार्ज करती है। नींद ही हमारे दिमाग में नए तंत्रिका तंत्र बनाती हैं जो अगले दिन के लिए चीजों को अच्छे से समझने में मदद करती है। पूरी नींद ही आपको रचनात्मक, निर्णय लेने में कुशल, ध्यान क्रेंद्रित करने में अव्वल और स्पष्ट रूप से सोचने में सहायता करती है।

    डिस्क्लेमर

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