परिचय
खांसी एक तरह का रिफ्लेक्स है जो आपके गले और वायुमार्ग को साफ रखती है। हालांकि, यह कभी-कभी बहुत ही अनकम्फर्टेबल भी हो जाती है। खासकर जब खासी लंबे समय से आ रही हो। एक्यूट कफ अचानक शुरू होकर आमतौर पर दो से तीन सप्ताह के अंदर में ठीक हो जाती है। वहीं, क्रॉनिक कफ अक्सर आपको सर्दी, फ्लू या तीव्र ब्रॉन्काइटिस के साथ होता है। सूखी खांसी और कफ वाली खांसी का इलाज अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट यानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से भी कर सकते हैं। आयुर्वेद में सभी स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज संभव है। खांसी का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for cough) क्या है, खांसी की आयुर्वेदिक दवा , आयुर्वेद में खांसी कैसे सही करें? जानते हैं इस लेख में-
आयुर्वेद में खांसी (Cough) क्या है?
आयुर्वेद में खांसी को कास (Kasa) कहा जाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुसार, खांसी वात दोष के बढ़ने की वजह से होती है। यह दोष सूखी खांसी या कफ वाली खांसी दोनों की वजह बनता है। खांसी के आयुर्वेदिक उपचार में दोष के उचित निदान की आवश्यकता होती है। इसके अलावा धूल, धुएं या अत्यधिक शारीरिक व्यायाम (physical workout) के कारण, ड्राय और बासी खाना, अन्नप्रणाली (Esophagus) के अलावा असामान्य जगह में खाद्य पदार्थों का प्रवेश भी खांसी का कारण बन सकते हैं। ईटियोलॉजिकल फैक्टर्स के कारण कफ उत्तेजित हो जाता है और चेस्ट में वात की गति के लिए रुकावट पैदा करता है। जो प्राण वात (Prana vata) और उदान वात (Udana vata) को बढ़ाता है। नतीजन, वात शरीर में ऊपर की दिशा में बढ़ता हुआ ऊपरी हिस्से में सर्क्युलेशन चैनलों को हटा देता है, जिससे गले और चेस्ट में कफ बढ़ जाता है। खांसी का आयुर्वेदिक इलाज या कफ का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for cough) वात को कम करने और रोग को पैदा करने वाली (Pathogenesis) लाइन को तोड़ता है, जिससे खांसी होती है।
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खांसी के लक्षण क्या हैं?
खांसी से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं :
- बार-बार खांसी आना,
- कफ/थूक आना,
- सीने में जलन या घुटन,
- बुखार,
- सिर, पेट के आस-पास के हिस्से में दर्द,
- चिड़चिड़ापन,
- मुंह में सूखापन,
- अत्यधिक प्यास लगना,
- मुंह का स्वाद कड़वा होना,
- गले में खराश,
- आवाज में कर्कशता,
- खाना निगलने में कठिनाई
- खाना खाने के बाद मतली लगना आदि।
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कारण
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : खांसी के कारण क्या हैं?
सूखी खांसी का मुख्य कारण रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शंस (respiratory tract infections), साइनसाइटिस, निमोनिया, एलर्जी के कारण सूजन हैं।
जब सूखी खांसी हाई पॉल्यूशन लेवल, धूल और जहरीले धुएं (सिगरेट की तरह) के लंबे समय तक संपर्क में आने से विकसित होती है, तो इसे आयुर्वेद में ‘वातजा कास’ के रूप में जाना जाता है।
पुरानी खांसी के कारणों में शामिल हैं :
- क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस,
- दमा या अस्थमा,
- एलर्जी,
- सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज)
- जीईआरडी (गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज)
- धूम्रपान
- गले के विकार, जैसे छोटे बच्चों में क्रुप (croup)
- कुछ दवाएं आदि।
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खांसी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for cough) है थेरेपी
अगर आप आयुर्वेद में खांसी का रामबाण इलाज ढूंढ रहे हैं, तो ये आयुर्वेदिक चिकित्सा आपके काम आ सकती है। लेकिन इन्हें एक्सपर्ट के दिशा-निर्देश में ही करना चाहिए। ये आयुर्वेदिक थेरेपी हर तरह की खांसी के इलाज के लिए उपयोगी हैं-
वमन (Emesis therapy)
वमन क्रिया में पेट की सफाई के साथ-साथ नाडियों से अमा (विषाक्त पदार्थ) को बाहर निकाला जाता है। पल्मोनरी टीबी, बुखार, दस्त, साइनस और स्किन डिजीज के आयुर्वेदिक इलाज में भी वमन का इस्तेमाल किया जाता है। कई तरह की जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से उल्टी को प्रेरित किया जाता है।
विरेचन कर्म (Purgation therapy)
इस थेरेपी में शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा बलगम को बाहर निकाला जाता है, जिससे कफ रोगों में आराम मिलता है। इसके अलावा इस आयुर्वेदिक थेरेपी का उपयोग पेट के फूलने की समस्या और पेट में ट्यूमर को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
स्नेहन
आयुर्वेद में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खांसी का उपचार करने के लिए स्नेहन विधि का प्रयोग किया जाता है। यह शरीर में बढ़े दोष के कारणों को खत्म करता है। हालांकि, बहुत ज्यादा शारीरिक या मोटापे से ग्रस्त लोगों को स्नेहन की मनाही होती है। इस आयुर्वेदिक विधि में हर्बल तेलों को गर्म करके पूरे शरीर पर लगाया जाता है। तेलों का चुनाव बढ़े हुए दोष के हिसाब से किया जाता है।
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खांसी का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for cough) है हर्ब्स
खांसी के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां इस प्रकार हैं-
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : पिप्पली
पिप्पली में वायुनाशक, दर्द निवारक और कफ को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं। वात प्रकृति वाले लोगों के लिए पिप्पली का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। खांसी के साथ-साथ ब्रॉन्काइटिस, गठिया, अस्थमा और साइटिका के आयुर्वेदिक इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह आयुर्वेदिक हर्ब शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में उपयोगी है।
हल्दी
हल्दी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से सूखी खांसी का इलाज होता है। यह खांसी का देसी इलाज है, जो कि बहुत प्रभावी साबित होता है। सोने से पहले हल्दी और शहद लें। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में काम करता है।
मुलेठी
बहुत ज्यादा खांसी आने की वजह से गले के अंदर सूजन आ जाती है। इसे कम करने के लिए मुलेठी का उपयोग किया जाता है।
अदरक
अदरक का इस्तेमाल सर्दी-खांसी के घरेलू उपाय के रूप में कई सदियों से किया जा रहा है। यह गले में खराश, उल्टी और दर्द को कम करने में भी घरों में इस्तेमाल की जाती है। वात प्रकार की खांसी के आयुर्वेदिक उपचार में इसका इस्तेमाल घी के साथ किया जाता है। कई दूसरी हर्ब्स के साथ भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : तुलसी
तुलसी में दर्द निवारक, जीवाणुरोधक और रोगाणुरोधक गुण होते हैं। सभी तरह की खांसी के प्रकार में यह उपयोगी है। तुलसी से खांसी कैसे सही करें? इस सवाल का जवाब यह है कि तुलसी के पत्ते, अदरक और शहद से बनी चाय पिएं। तेज रिकवरी के लिए आप तुलसी के पत्तों को चबा भी सकते हैं। खांसी की वजह से गले में दर्द है, तो इसके लिए इसमें दालचीनी का पाउडर भी मिला सकते हैं।
खांसी की आयुर्वेदिक इलाज : दवा
सीतोपालादि चूर्ण (Sitopaladi Churna) : एक से तीन ग्राम चूर्ण को चार से छह ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से खांसी में राहत में मिलती है।
कर्पूरादि चूर्ण (Karpuradi Churna) : 300 मिलीग्राम से एक ग्राम चूर्ण को मिश्री के साथ लें। यह सूखी खांसी की आयुर्वेदिक दवा काफी प्रभावी है।
बृहत पंच मूला क्वाथ (Brihat Pancha Mula Kvatha) : 14 से 28 मिली क्वाथ में 0.5 ग्राम के साथ पिप्पली का चूर्ण मिलाकर लिया जाना चाहिए।
गोदन्ती भस्म (Godanti Bhasma) : 120 से 150 मिलीग्राम भस्म को शहद के बराबर भाग के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से खांसी से राहत मिलती है।
प्रवाल भस्म (Pravala Bhasma) : यह चूर्ण 60 से 120 मिलीग्राम में चार से छह ग्राम शहद के साथ लिया जाता है।
पिप्पलादि रसायन (Pippalyadi Rasayana) : खाना खाने से पहले तीन से छह ग्राम चूर्ण की मात्रा को 50 से 100 मिलीलीटर उबले हुए पानी से दिन में दो बार लेने से खांसी में आराम मिलता है।
वासावलेह (Vasavaleha) : 12 से 24 ग्राम दिन में दो बार लेने से हर तरह की खांसी ठीक होती है।
वासरिष्ठा (Vasarishta) : दोपहर या रात के खाने के बाद रोजाना तीन बार 15 से 30 मिली मात्रा लेने से खांसी ठीक होती है।
कांटाकरी क्वाथ (Kantakari Kvatha) : 14 से 28 मिली क्वाथ को 120 मिलीग्राम पिप्पली के चूर्ण के साथ दिन में दो बार लेने से काली खांसी (whooping cough) में लाभ मिलता है।
तेलेसी चूर्ण (Taleesadi churna) : खांसी की आयुर्वेदिक दवा तेलेसी चूर्ण की दो से तीन ग्राम मात्रा को शहद में मिलाकर लेने से लाभ होता है।
लवंगादि वटी (Lavaṅgadi Vaṭi), शवसनंद गुईका (Shvsananda Guṭika), इलादि वटी (Eladi Vaṭi), कांताकार्यवलेहा (Kaṇṭakaryavaleha), थालीश पत्रादि वटकम (Thaleesh pathradi vatakam) जैसी और भी खांसी की आयुर्वेदिक दवाएं हैं जिनका इस्तेमाल खांसी के उपचार में किया जाता है। ऊपर बताई गई दवाइयां ऐसे ही न लें। खांसी की आयुर्वेदिक दवा के लिए किसी योग्य आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श करके ही लें।
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खांसी की आयुर्वेदिक दवा के दुष्प्रभाव क्या हैं?
खांसी से राहत पाने के लिए पुराने समय से ही आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटियों और थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन खांसी के आयुर्वेदिक इलाज से प्रभावकारी नतीजे मिलते हैं। लेकिन, इन आयुर्वेदिक दवाइओं का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के करने से हेल्थ पर हानिकारक असर हो सकते हैं। विशेषकर प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्ग व्यक्तियों और बच्चों में इनके इस्तेमाल पर काफी सतर्कता बरतनी चाहिए।
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खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : खांसी के लिए योगासन
नीचे बताए गए योगासन शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है। योग मुद्राएं थाइमस ग्रंथि को उत्तेजित करके आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती हैं। यह ग्रंथि चेस्ट एरिया में स्थित होती है, जो निम्न आसनों के दौरान एक्टिव होती है:
- स्टैंडिंग फॉरवर्ड बेंड (उत्तानासन)
- सलम्ब सेतु बंधासना (Supported Bridge Pose)
- लेग अप वॉल पोज (विपरीता करणी)
- सपोर्टेड बाउंड एंगल पोज (Salamba Baddha Konasana)
- रिकॉलिंग ट्विस्ट (Modified Jathara Parivartanasana)
- हस्तपादासन
- धनुरासन (Dhanurasana)
- भुजंगासन (Bhujangasana)
ब्रीदिंग एक्सरसाइज (प्राणायाम) : जुखाम, नजला के लिए प्राणायाम में नाड़ी शोधन प्राणायाम, कपाल भाति प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम आदि करने चाहिए। ये प्राणायाम लंग फंक्शन में सुधार करते हैं। इससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के कारण आने वाली खांसी से राहत मिलती है।
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आयुर्वेद के अनुसार खांसी के इलाज में जीवनशैली में बदलाव
आपको जीवनशैली में करने चाहिए ये बदलाव
- गुनगुने पानी का सेवन करें।
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए विटामिन सी से भरपूर भोजन लें।
- लहसुन, हल्दी और अदरक को अपनी डायट में शामिल करें।
- नियमित योग एवं प्राणायाम करें।
- अपने हाथों की साफ-सफाई की तरफ पूरा ध्यान रखें। क्योंकि, अधिकतर खतरनाक वायरस व बैक्टीरिया हाथों से ही आपके मुंह या नाक तक पहुंचते हैं।
- तनाव आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है। इसलिए कोशिश करें कि रोजाना खुद को डि-स्ट्रेस कर पाएं। तनाव से निजात पाने के लिए आप ध्यान लगा सकते हैं या फिर ऐसी किसी एक्टिविटी में खुद को बिजी रख सकते हैं, जो आपको खुश रखे।
- मौसम में बदलाव के समय ज्यादा सावधान रहें। खांसी की समस्या आमतौर पर मौसम में बदलाव की वजह से भी होती है। क्योंकि हमारा शरीर एकदम नये मौसम के हिसाब से खुद को तैयार नहीं कर पाता है। मौसम की यह मार भारत जैसे देश में ज्यादा देखने को मिलती है, जहां लोगों को कई मौसमों की कुदरती सौगात मिलती है।
क्या न करें
- जंक, ड्राय या मसालेदार भोजन से परहेज करें।
- मच्छर कॉयल, अगरबत्ती आदि के धुएं के संपर्क में आने से बचें।
- दही से दूर रहें।
- ठंडे खाद्य और पेय पदार्थों को न लें।
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खांसी के घरेलू उपाय क्या हैं?
निम्नलिखित खांसी दूर करने के घरेलू उपचार आपकी खांसी को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं:
शहद : लगभग दो चम्मच शहद को गर्म पानी के साथ मिलाकर लें।
नमक के गरारे : गले में बलगम और कफ को कम करने के लिए नमक पानी के गरारे काफी मददगार साबित होते हैं। एक गिलास पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारे करें।
स्टीम : भाप लेने से फेफड़ों में जमा बलगम या कफ बाहर निकलता है।
ब्रोमलेन : ब्रोमेलैन अनानास में पाया जाने वाला एक एंजाइम है। अनानास के सेवन से गले में जमे बलगम को निकलने में मदद मिलती है, जिससे खांसी की समस्या दूर होती है।
हैलो स्वास्थ्य उम्मीद करता है कि आपको इस आर्टिकल से पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी कि खांसी का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for cough) क्या है और यह कैसे काम करता है? यहां बताए गए आयुर्वेदिक उपाय काफी हद तक सुरक्षित हैं, लेकिन कुछ खास स्थितियों व लोगों में इनके उपयोग से कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, आप जब भी किसी अन्य बीमारी या खांसी के आयुर्वेदिक उपाय को अपनाएं, तो एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। जिससे वह आपके पूरे स्वास्थ्य का आंकलन करके आपको उचित सलाह दे पाए और आपको किसी समस्या का सामना न करना पड़े।