के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
डिस्टोनिया की स्थिति में मांसपेशियां बेकाबू हो जाती हैं और उनमें बहुत अधिक खिंचाव और सिकुड़न होने लगती है। शरीर के प्रभावित अंग में अकड़न और अपने आप उसकी बनावट बदलने लगती है। डिस्टोनिया शरीर की एक नस या फिर बहुत सारी मांसपेशियों को एक साथ भी प्रभावित कर सकती है। कई मामलों में पूरा शरीर भी प्रभावित हो सकता है।
पूरी जनसंख्या में से लगभग 1 प्रतिशत लोग डिस्टोनिया से पीड़ित हैं। महिलाओं में इसके होने की संभावना पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होती है। किसी भी और जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
शुरुआत में डिस्टोनिया के लक्षण हल्के हो सकते हैं लेकिन समय के साथ ये गंभीर हो जाएंगे। डिस्टोनिया शरीर के एक हिस्से से होते हुए शरीर के बाकी सभी अंगों को धीरे-धीरे प्रभावित करता है। डिस्टोनिया के शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
तनाव और थकान की वजह से ये लक्षण और बढ़ सकते हैं। डिस्टोनिया से पीड़ित मरीज मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से थकान और दर्द की शिकायत करते हैं।
अगर किसी को डिस्टोनिया बचपन में होता है तो लक्षण पहले हाथों और पैरों को प्रभावित करेंगें और धीरे -धीरे पूरे शरीर में नजर आने लगते हैं। अगर डिस्टोनिया युवावस्था की शुरुआत में होता है तो ये शरीर के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करेगा और इसके लक्षण पूरे शरीर को प्रभावित नहीं करेंगे। युवावस्था में ये बीमारी सेग्मेंटल (Segmental) या केंद्रित (Focal) हो जाती है, जिसका मतलब ये है कि ये शरीर के किसी एक हिस्से या किसी एक अंग को ही प्रभावित करेगी।
अगर आपको इनमें से कोई संकेत या लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें। हर व्यक्ति का शरीर अलग स्थिति में अलग तरह से व्यवहार करता है इसलिए अपने अनुसार सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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डिस्टोनिया के सटीक कारण के बारे में बता पाना मुश्किल है। लेकिन मस्तिष्क में पाई जाने वाली नर्व सेल्स में खराबी की वजह से डिस्टोनिया होना आम है। डिस्टोनिया कई बार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी जा सकता है।
डिस्टोनिया किसी और बीमारी के लक्षण के रूप में भी प्रभाव डाल सकता है जैसे कि :
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डिस्टोनिया के खतरे को क्या बढ़ा देता है ?
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। सटीक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
आपकी शारीरिक जांच और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर डिस्टोनिया का पता लगाया जा सकता है। आपके लक्षणों का क्या मतलब है? या फिर आपको डिस्टोनिया है या नहीं इसका पता इन टेस्ट से लगाया जा सकता है :
खून की जांच या यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट से शरीर में दिखने वाले लक्षणों का कारण पता लगाया जा सकता है।
MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग ) या फिर CT (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) : मस्तिष्क में किसी प्रकार की असमानता, ट्यूमर या फिर स्ट्रोक की स्थिति को इन तकनीकों से देखा जा सकता है।
इलेक्ट्रोमायोग्रफी(Electromyography)(EMG): मांसपेशियों में कितनी इलेक्ट्रिकल सक्रियता है इसकी जांच इस तकनीक से की जा सकती है।
दवाइयों, थेरेपी और सर्जरी की मदद से मांसपेशियों में खिचाव का इलाज किया जा सकता है।
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डॉक्टर आपको ये सलाह भी दे सकते हैं :
अगर आपकी स्थिति गंभीर है तो आप सर्जरी भी करवा सकते हैं :
डीप ब्रेन स्टिम्यूलेशन : इलेक्ट्रोड्स को आपके दिमाग के किसी एक हिस्से में लगाया जाएगा और इन्हें सीने में लगे हुए जनरेटर से फिर एक बार जोड़ा जाएगा। जनरेटर इलेक्ट्रिकल सिग्नल दिमाग को भेजेगा जिससे कि मांसपेशियों की अकड़न को नियंत्रित किया जा सके।
सिलेक्टिव डी नर्वेशन सर्जरी : इस सर्जरी में मांसपेशियों के स्पाज्म (Muscle Spasm )को नियंत्रित किया जा सकता है। ये सर्जरी बाकी थेरेपी के मुकाबले डिस्टोनिया के इलाज का एक गुणकारी तरीका है।
जीवनशैली में किन बदलावों और घरेलू नुस्खों की मदद से डिस्टोनिया को नियंत्रित किया जा सकता है?
किसी भी और सवाल या जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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