परिभाषा
ग्लोसाइटिस की समस्या में आपकी जीभ में सूजन हो सकती है और जीभ में जलन भी हो सकती है। इसकी वजह से आपकी जीभ में चिकनाहट भी आ सकती है। ग्लोसाइटिस बहुत से प्रकार के हो सकते हैं जैसे कि :
एक्यूट ग्लोसाइटिस : इस स्थिति में जीभ में जलन हो सकती है और ये लम्बे समय तक रहेगी। इस प्रकार का ग्लोसाइटिस एलर्जिक रिएक्शन के दौरान हो सकती है। इसका प्रकार की जीभ की सूजन का होना आम है और ये कभी भी हो सकता है।
क्रोनिक ग्लोसाइटिस : क्रोनिक ग्लोसाइटिस ऐसी जलन होती है जो कि बार-बार हो सकती है। ये स्थिति किसी और बीमारी के चलते भी होती है।
एट्रोफिक ग्लोसाइटिस : इसे हंटर ग्लोसाइटिस भी कहते हैं, इस स्थिति में जीभ पर पाए जाने वाले पैपिला संक्रमण और सूजन की वजह से खो जाते हैं जिसकी वजह से जीभ के रंग में परिवर्तन आ सकता है। इसकी वजह से जीभ में चिकनाहट रहेगी और जीभ चमकदार दिखेगी।
ग्लोसाइटिस होना कितना आम है ?
ये बहुत ही आम समस्या है और ज्यादातर ज्यादा तेल और मसाले खाने से होता है। इसकी समस्या किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकती है। किसी भी जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर मिलें।
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लक्षण
ग्लोसाइटिस के क्या लक्षण हो सकते हैं ?
ग्लोसाइटिस के आम लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
- जीभ में दर्द और सूजन होना।
- जीभ के रंग में बदलाव।
- आपको खाने, बोलने और निगलने में परेशानी हो सकती है।
- जीभ में जलन या खुजली होना।
- जीभ के रंग में बदलाव होना।
- बात करने में परेशानी होना।
- खाना खाने में परेशानी होना और निगलने के दौरान गले में दर्द होना
अपने डॉक्टर से कब मिलें ?
अगर आपको कोई लक्षण और संकेत दिखाई दे रहे हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें। हर शरीर अलग स्थिति में अलग तरीके से व्यवहार करता है इसलिए सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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क्या हैं इस बीमारी के कारण?
एलर्जिक रिएक्शन
दवा, खाने या फिर और भी कई और चीजें एलर्जी का कारण बन सकते हैं। ऐसी किसी भी एलर्जी के होने पर आपकी जीभ में सूजन हो सकती है। कुछ आम एलर्जी पैदा करने वाली चीजों में टूथपेस्ट और ब्लड प्रेशर की दवाऐं महत्त्वपूर्ण हैं।
बीमारी
ऐसी कोई बीमारी जिसमें आपका इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है उसमें आपकी जीभ में सूजन आ सकती है। हर्पीस सिम्पलेक्स (Herpes Simplex) एक वायरस है, जिसकी वजह से मुंह के आसपास छाले हो सकते हैं। ये आपकी जीभ में जलन और दर्द का कारण हो सकता है।
आयरन
शरीर में आयरन की कमी होने पर भी ग्लोसाइटिस हो सकता है। आयरन की मदद से रेड ब्लड सेल्स बनती हैं जिनका काम शरीर के सभी हिस्सों तक खून पहुंचाना होता है। मायोग्लोबिन (Myoglobin) मांसपेशियों में पाए जाने वाले प्रोटीन को कहते हैं, आयरन की कमी होने पर शरीर में मायोग्लोबिन की कमी हो जाती है।
माउथ ट्रामा (Mouth Trauma)
मुंह में लगने वाली कोई भी चोट आपकी जीभ की मांसपेशियों पर प्रभाव डाल सकती है। किसी भी कट, जलन या फिर ब्रेसेस की वजह से भी जीभ में सूजन आ सकती है।
इंफेक्शन होना
बैक्टेरियल, वायरल या फंगल इंफेक्शन के कारण ग्लोसाइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है। वायरल इंफेक्शन और फंगल यीस्ट इंफेक्शन के कारण ओरल हर्पिस होने का खतरा बढ़ जाता है और इन्हीं सब कारणों से ग्लोसाइटिस की परेशानी शुरू हो जाती है।
पौष्टिक आहार की कमी
शरीर में विटामिन-बी 12 की कमी के कारण ग्लोसाइटिस की समस्या हो सकती है। इसलिए इसकी कमी शरीर में न होने दें।
खतरों के कारण
ग्लोसाइटिस के खतरे को क्या बढ़ाता है ?
ग्लोसाइटिस बहुत से कारणों की वजह से बढ़ सकता है जैसे कि :
- मुंह में चोट होना।
- बहुत अधिक मसालेदार खाना।
- ब्रेसेर या फिर डेन्चर के इस्तमाल से भी जीभ में सूजन हो सकती है।
- हर्पीस होने पर।
- बहुत कम आयरन होने पर भी ग्लोसाइटिस हो सकता है।
- किसी भी खाने की चीज से एलर्जी होने पर भी ग्लोसाइटिस हो सकता है।
- अगर आपको इम्यून सिस्टम की कोई बीमारी है तो भी ग्लोसाइटिस होने की संभावना हो सकती है।
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जांच और इलाज
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। सही चिकित्सा परामर्श के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
ग्लोसाइटिस की जांच कैसे की जा सकती है ?
अपनी स्थिति की जांच के लिए आप डेंटिस्ट या डॉक्टर से मिल सकते हैं। डॉक्टर छालों के लिए आपके मसूढ़ों और मुंह के टिशूज की जांच करेंगे। इसके साथ ही सलाइवा और खून की जांच भी की जा सकती है।
ग्लोसाइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है ?
1 . दवाओं और घरेलू नुस्खों की मदद से इलाज करवाया जा सकता है। एंटी-बायोटिक और दवाओं की मदद से बैक्टीरियल संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।
2 . दांत, मसूढ़ों और जीभ की सुरक्षा के लिए फ्लॉसिंग और ब्रशिंग समय -समय पर करते रहें।
इससे ग्लोसाइटिस से जुड़े लक्षणों का इलाज किया जा सकता है साथ ही अगर आपको पहले ये हो चुका है तो इन बातों को मानने से आपको ये स्थिति दोबारा नहीं झेलनी पड़ेगी।
इस परेशानी से कैसे बचा जा सकता है?
निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर इस परेशानी से बचा जा सकता है। जैसे-
- संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन रोजाना करें।
- ओरल हाइजीन जैसे दो बार ब्रश करना, फ्लॉसिंग और नियमित रूप से माउथ वॉश करना चाहिए।
- अत्यधिक मिर्च मसाले वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कब्ज की परेशानी से बचना चाहिए। इसके लिए फायबर युक्त आहार का सेवन करना लाभकारी होगा।
- रोजाना दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए।
- सिगरेट (ध्रूमपान) का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
- एसिडिक खाद्य पदार्थों से भी दूरी बनाये रखें। वैसे खाद्य पदार्थों से भी दूरी बनाये रखें जिससे आपके शरीर और जीभ को एलर्जी हो।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू नुस्खे
जीवनशैली में इन बदलावों और घरेलू नुस्खों की मदद से आप ग्लोसाइटिस का इलाज कर सकते हैं :
- मुंह की अच्छी देखभाल करें। कम से कम दिनभर में दो बार ब्रश और दिन में एक बार फ्लॉस (Floss) जरूर करें।
अगर आप ग्लोसाइटिस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का अजवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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