EBV का एक बार संक्रमण हो जाने के बाद संक्रमण की संभावना नहीं होती है। हालांकि ये वायरस आपके शरीर में हमेशा रहेगा लेकिन एक बार संक्रमण के बाद दोबारा ये संक्रमण नहीं होगा।
EBV हवा से नहीं फैलता इसलिए अगर आप किसी प्रभावित व्यक्ति के साथ रह रहे हैं तब भी आपको ये संक्रमण नहीं होगा।
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जांच और इलाज
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए अपने अनुसार सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
मोनो की जांच किन तरीकों से की जा सकती है ?
शारीरिक जांच : मोनोन्यूक्लियोसिस (mononucleosis) की जांच आपके संकेत और लक्षणों को देखकर की जा सकती है। लिम्फ नोड्स, टॉन्सिल और स्प्लीन (Spleen )में सूजन होने पर ध्यानपूर्वक देखा जाएगा।
एंटीबाडी टेस्ट (Antibody Test): EBV वायरस के लिए बनने वाली एंटीबाडीज की जांच की जाती है जिससे की संक्रमण होने की पुष्टि की जा सके।
वाइट ब्लड सेल्स काउंट टेस्ट (White Blood Cells Count Test ): संक्रमण होने पर वाइट ब्लड सेल्स में बढ़ोतरी हो जाएगी, जिससे संक्रमण हो सकता है। इन टेस्ट से मोनोन्यूक्लियोसिस की पुष्टि तो नहीं होती लेकिन आशंका जताई जा सकती है।
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मोनोन्यूक्लियोसिस (Mononucleosis) का इलाज कैसे किया जा सकता है ?
मोनोन्यूक्लियोसिस का कोई सटीक इलाज नहीं है। बहुत अधिक पानी पीने से, साफ खाना खाने से और आराम करने से इस स्थिति में आपको आराम मिलेगा।
मोनोन्यूक्लियोसिस के संक्रमण के चलते आपको स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण (streptococcal (strep) infection) भी हो सकता है साथ ही टॉन्सिलाइटिस या फिर साइनस संक्रमण होने की भी संभावना है। अगर वाइरल संक्रमण के बाद आपको बैक्टीरियल संक्रमण होता है तो आपको एंटीबायोटिक्स लेनी पड़ेंगी ताकि संक्रमण आगे न बढ़े।
कुछ दवाओं से आपको रैशेस हो सकते हैं इसलिए ध्यान रखें कि कहीं आप गलत दवाएं तो नहीं ले रहे। मोनोन्यूक्लिओसिस होने पर अमोक्सीसीलीन (Amoxicillin) या फिर पेनिसिलिन (Penicillin) सम्बंधित दवाएं न खाएं।