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Perimenopause: पेरिमेनोपॉज क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/04/2021

Perimenopause: पेरिमेनोपॉज क्या है?

परिचय

पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) क्या है?

पेरिमेनोपॉज का अर्थ है मेनोपॉज के आसपास का समय यानी पेरिमेनोपॉज रजोनिवृति (मेनोपॉज) से पहले की अवधि है। इस दौरान बॉडी प्राकृतिक रूप से मेनोपॉज के लिए तैयार होती है। पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉज ट्रांजिशन भी कहा जाता है। इसे प्रजनन वर्ष के अंत की अवधि के नाम से भी जाना जाता है। हर महिला में पेरिमेनोपॉज अलग-अलग उम्र में शुरू होता है। आपको मासिक धर्म में अनियमित्ता जैसे मेनोपॉज की तरफ बढ़ने के लक्षण नजर आ सकते हैं। कई बार यह 40 वर्ष की उम्र में नजर आते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं को यह लक्षण 30 की उम्र के आसपास नजर आने लगते हैं।

पेरिमेनोपॉजके दौरान महिलाओं की बॉडी में एस्ट्रोजन हाॅर्मोन का स्तर बढ़ता और घटता है। आपके मासिक धर्म की अवधि लंबी या छोटी हो सकती है। आपको मेनोपॉज के लक्षण जैसे वजायना में रूखापन, नींद की समस्या और हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes) का अनुभव हो सकता है। हालांकि, इन लक्षणों से राहत पाने का उपचार उपलब्ध है। आप लगातार 12 महीने बिना मासिक धर्म के बाद गुजारने पर आप औपचारिक रूप से मेनोपॉज पर पहुंच जाती हैं। इस स्टेज पर पेरिमेनोपॉज अवधि समाप्त हो जाती है।

पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) कितना सामान्य है?

पेरिमेनोपॉज काफी हद तक महिलाओं में सामान्य है। यदि आप पेरिमेनोपॉज को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

लक्षण

पेरिमेनोपॉज के क्या लक्षण हैं? (Perimenopause Symptoms)

पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) के लक्षण निम्नलिखित हैं: 

  • मासिक धर्म में अनियमित्ता (Irregular Periods): पेरिमेनोपॉज में ओवयुलेशन काफी अप्रत्याशित हो सकता है। पीरियड्स के बीच का अंतराल लंबा या छोटा हो सकता है। आपका मासिक धर्म स्राव हल्का या हैवी हो सकता है। संभवतः आपको कुछ पीरियड्स स्किप भी हो जाएं।

पेरिमेनोपॉज

  • यदि लगातार सात दिनों तक आपके पीरियड्स में बदलाव रहता है या मासिक धर्म का साइकल लंबा चलता है तो आप जल्दी पेरिमेनोपॉज में पहुंच जाती हैं। यदि इसमें 60 दिनों का अंतराल या पीरियड्स के बीच इससे अधिक गैप होता है तो आपको पेरिमेनोपॉज देर से आता है।
  • हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes) और नींद की समस्या: पेरिमेनोपॉज () के दौरान आपको अचानक से गर्माहट का अहसास होना सामान्य बात है। इसकी तीव्रता, लंबाई और फ्रीक्वेंसी भिन्न हो सकती है। पेरिमेनोपॉज के दौरान अचानक से बॉडी में गर्माहट होने की वजह से नींद में समस्या आती है। इससे आपको रात में पसीना भी आ सकता है। कई बार हॉट फ्लैशेस के बिना भी नींद में समस्या आ सकती है।
  • मूड में बदलाव (Changing in Mood): पेरिमेनोपॉज के दौरान मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन बढ़ सकता है। शरीर में अचानक आने वाली गर्माहट की वजह से नींद में बाधा पड़ती है, जिसकी वजह से नींद खराब हो जाती है। इसके चलते आपको यह लक्षण नजर आ सकते हैं। पेरिमेनोपॉज के दौरान मूड स्विंग होता है, जो इस अवधि के दौरान हार्मोन में होने वाले बदलाव से जुड़ा नहीं होता है।
  • वजायनल (Vaginal) और ब्लैडर (Bladder) की समस्याएं: एस्ट्रोजन का लैवेल कम होने से वजायना के ऊत्तक चिकनाहट और लचीलेपन को खो देते हैं। इससे इंटरकोर्स में दर्द होता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान बॉडी में एस्ट्रोजन लेवल कम होने से यूरिनरी या वजायनल इंफेक्शन का खतरा रहता है। ऊत्तकों की टोन कम हो जाने की वजह से यूरिनरी असंयमित्ता की समस्या हो जाती है।
  • फर्टिलिटी (Fertility) घटना: पेरिमेनोपॉज के दौरान ओव्लूय अनियमित हो जाता है, जिससे गर्भधारण करने की क्षमता कम हो जाती है। हालांकि, जब तक आपको पीरियड्स आते हैं, आपके प्रेग्नेंट होने की संभावना रहती है। यदि आप प्रेग्नेंसी से बचना चाहती हैं तो बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करें। ऐसा आपको जब तक करना है तब तक 12 महीनों तक पीरियड्स आना बंद नहीं हो जाते।
  • सेक्सुअल फंक्शन में बदलाव: पेरिमेनोपॉज के दौरान सेक्स की करने की इच्छा बदलती है। यदि आप मेनोपॉज से पहले संतोषजनक सेक्स करते हैं तो यह पेरिमेनोपॉज के बाद भी जारी रह सकती है।
  • हड्डियों का नुकसान: पेरिमेनोपॉज के दौरान बॉडी में एस्ट्रोजन का स्तर घटने से बॉडी में हड्डियां बनने की रफ्तार के मुकाबले यह जल्दी विघटित होती हैं। इससे ऑस्टियोपोरियासिस का खतरा बढ़ जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
  • कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बदलाव: एस्ट्रोजन के घटने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल में बदलाव होता है। इससे एलडीएल (बुरा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसी दौरान महिला की उम्र बढ़ने से अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) घटता है। इससे भी हार्ट की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

उपरोक्त लक्षण के अलावा भी पेरिमेनोपॉज के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

निम्नलिखित स्थितियों में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • पीरियड्स के अधिक हैवी होने या पीरियड्स में ब्लड क्लॉट होने
  • सामान्य से अधिक अवधि तक पीरियड्स का रहना
  • पीरियड्स के बीच में स्पॉट
  • सेक्स के बाद स्पॉटिंग होना
  • पीरियड्स का एक साथ करीब होना

उपरोक्त स्थितियों में या आपके कोई अन्य सवाल हैं तो अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें। पेरिमेनोपॉज में हर महिला की बॉडी अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

और पढ़ें: पीरियड्स के दर्द से छुटकारा दिला सकता है मास्टरबेशन, जानें पूरा सच

कारण

पेरिमेनोपॉज का क्या कारण है? (Perimenopause Causes)

जैसी ही आप मेनोपॉज की तरफ बढ़ती हैं आपकी बॉडी में कई बदलाव होते हैं। इस बदलाव की अवधि में ईस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ता और घटता है। इनमें से ज्यादातर बदलाव पेरिमेनोपॉज के दौरान महसूस किए जा सकते हैं। नतीजतन ईस्ट्रोजेन का स्तर घटने लगता है।

और पढ़ें: Bacterial Vaginal Infection : बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन क्या है?

जोखिम

किन कारकों से पेरिमेनोपॉज का खतरा बढ़ता है? (Perimenopause Risk Factors)

महिलाओं के जीवन में मेनोपॉज की अवधि सामान्य बात है। कुछ महिलाओं के मामले में यह समय से पहले आ जाता है। हालांकि, यह निर्णायक नहीं है। कुछ सुबूतों बताते हैं कि पेरिमेनोपॉज कुछ महिलाओं में समय से पहले शुरू हो जाता है।

इसके कारक निम्नलिखित हैं:

  • स्मोकिंग (Smoking): स्मोकिंग न करने वाली महिलाओं के मुकाबले स्मोकिंग करने वाली महिलाओं में मेनोपॉज दो वर्ष पहले ही आ जाता है।
  • पारिवारिक हिस्ट्री: परिवार में जल्दी मेनोपॉज आने के आंकड़े अन्य महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं। इससे आपको समय से पहले मेनोपॉज आ सकता है।
  • कैंसर का इलाज: कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी या पेल्विक रेडिएशन थेरेपी समय से पहले आने वाले मेनोपॉज से संबंधित है।
  • हेयस्ट्रेक्टोमी (Hysterectomy): हेयस्ट्रेक्टोमी में गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, लेकिन आपकी ओवरी बॉडी में ही रहती हैं। आमतौर पर यह मेनोपॉज का कारण नहीं बनती हैं। हालांकि, इससे आपको पीरियड्स नहीं आते हैं और आपकी ओवरी अभी भी ईस्ट्रोजेन बनाती हैं। लेकिन औसतन समय के मुकाबले सर्जरी की वजह से आपको जल्दी मेनोपॉज आ सकता है। यदि आपकी एक ओवरी निकाल दी गई है और बची हुई ओवरी भी जल्द कार्य करना बंद कर देती है।

उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

पेरिमेनोपॉज का निदान कैसे किया जाता है? (Perimenopause Diagnosis)

पेरिमेनोपॉज मेनोपॉज स्टेज से पहले की अवधि है। किसी भी टेस्ट या लक्षण से यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि आप पेरिमेनोपॉज में आ गई हैं। आपकी उम्र, मासिक धर्म की हिस्ट्री और किन लक्षण या शारीरिक परिवर्तिन का आप अनुभव कर रही हैं, डॉक्टर इन कारकों पर विचार कर सकता है।

हालांकि, कुछ डॉक्टर बॉडी में ईस्ट्रोजेन लेवल का अनुमान लगाने के लिए जांच कराते हैं। इसके अतिरिक्त, थाइरॉयड फंक्शन, जो हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है, इसकी जांच दुर्लभ मामलों में जरूरी होती है। शायद ही यह पेरिमेनोपॉज का आंकलन करने के लिए उचित हो।

पेरिमेनोपॉज का इलाज कैसे किया जाता है? (Perimenopause Treatments)

अक्सर थेरेपी के दौरान पेरिमेनोपॉज के लक्षणों का इलाज किया जाता है।

  • हॉर्मोन थेरेपी: सिस्टेमिक (Systemic) ईस्ट्रोजेन थेरेपी, जो गोलियों, स्किन पैचे, जेल या क्रीम में आती है। यह पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज में अचानक गर्माहट और रात में पसीना आने जैसे लक्षणों में काफी कारगर होते हैं।
  • आपकी व्यक्तिगत और पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर डॉक्टर ईस्ट्रोजेन का न्यूनतम डोज लेने की सलाह दे सकता है। यह डोज पेरिमेनोपॉज के लक्षणों में राहत दे सकता है। यदि इस दौरान आपकी बॉडी में यूटरस है तो ईस्ट्रोजेन के अतिरिक्त आपको प्रोजेस्टिन लेने की आवश्यकता होगी। सिस्टेमिक ईस्ट्रोजन हड्डियों के विघटन में मददगार साबित होगा।
  • वजायनल ईस्ट्रोजेन: वजायना में रूखापन से राहत पाने के लिए इसमें सीधे ही ईस्ट्रोजेन डाला जा सकता है। इसमें वजायनल टेबलेट, रिंग या क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इलाज का तरीका न्यूनतम मात्रा में ईस्ट्रोजन छोड़ता है, जिसे वजायना के ऊत्तक सोख लेते हैं। यह वजायना के रूखेपन और इंटरकोर्स में असहजता और कुछ यूरिनरी लक्षणों में राहत प्रदान करता है।
  • डिप्रेशन की दवाइयां: कुछ एंटी डिप्रेशन की दवाइयां जो सेलेक्टिव सेरोटोनिन रिउप्टेक इनहिबिटर्स (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors (SSRIs)) दी जा सकती हैं। यह दवाइयां मेनोपॉज में आने वाली अचानक गर्माहट को कम करती हैं। वह महिलाएं जो स्वास्थ्य कारणों के चलते जो महिलाएं डिप्रेशन में ईस्ट्रोजेन नहीं ले सकती हैं, उनके लिए यह दवाइयां उपयोगी होती हैं। यह दवाइयां डिप्रेशन से लड़ती हैं।
  • गाबापेन्टिन (न्युरोन्टिन) Gabapentin (Neurontin): इस दवा को दौरे पड़ने में इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है। साथ ही यह पेरिमेनोपॉज में आने वाले हॉट फ्लैशेस को भी कम करती है। यह दवा उन महिलाओं के लिए उपयोगी होती है, जो स्वास्थ्य कारणों और माइग्रेन के चलते ईस्ट्रोजेन का इस्तेमाल नहीं करती हैं।

इलाज के किसी भी विकल्प पर निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। इन विकल्पों के जोखिम और फायदों के संबंध में डॉक्टर से चर्चा करें। वार्षिक आधार पर इन विकल्पों की समीक्षा करें।

और पढ़ें: जानें कितने प्रकार के होते हैं वजायनल इंफेक्शन?

घरेलू उपचार

जीवन शैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

निम्नलिखित घरेलू उपाय और जीवनशैली पेरिमेनोपॉज से लड़ने में मदद कर सकते हैं:

  • ब्लैक कोहोश (Black cohosh): ब्लैक कोहोश एक औषधि का अर्क है, जिसका इस्तेमाल हॉट फ्लैशेस और मेनोपॉज के अन्य लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है। हालांकि, इसकी प्रभाविकता के संबंध में पर्याप्त सुबूत मौजूद नही हैं। ब्लैक कोहोश लेने से क्या जोखिम हो सकते हैं, इस पर जानकार आश्वस्त नही हैं। पिछले अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि ब्लैक कोहोश लिवर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। हाल ही में हुए कुछ अध्ययनों में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि, शोधकर्ताओं के सवाल हैं कि यह महिलाओं के लिए सुरक्षित है या नहीं या इससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है।
  • फायटोइस्ट्रोजेन्स (Phytoestrogens): कुछ भोजन में प्राकृतिक रूप से ईस्ट्रोजेन पाया जाता है। प्रमुख रूप से दो फायोइस्ट्रोजेन्स हैं। पहला आइसोफ्लेवेन्स (isoflavones) और लिगनेन्स (lignans)। आइसोफ्लेवेन सोयाबीन और कुछ फलों और सब्जियों में पाया जाता है। पौधों में भी कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनकी प्रकृति ईस्ट्रोजेन जैसी होती है।
  • आमतौर पर आइसोफ्लेवेन सप्लिमेंट्स सोया या रेड क्लोवर से आते हैं। लिगनेन्स प्रमुख रूप से फ्लैक्ससीड्स से आते हैं। फायटोइस्ट्रोजेन्स पर किए गए अध्ययन या तो फूड पर किए गए हैं या सप्लिमेंट्स पर। हालांकि, यह मेनोपॉज के लक्षणों में राहत देते हैं या नहीं, इस संबंध में अभी भी विवाद बना हुआ है।
  • अध्ययनों में इस बात पर भी विवाद है कि फायोइस्ट्रोजेन्स ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, यह टेमोएक्सिफेन (tamoxifen) की प्रभाविकता में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
  • जैव रासायनिक हार्मोन: जैव रासायनिक हार्मोन वह हार्मोन होते हैं, जिन्हें आपकी बॉडी प्राकृतिक रूप से बनाती है। हालांकि, कंपाउंड जैव रासायनिक हार्मोन्स को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा नियमित नहीं किया गया है। इसकी वजह से इन हार्मोन्स की गुणवत्ता और जोखिम अलग-अलग हो सकते हैं। साथ ही इसके कोई सुबूत नही हैं कि कंपाउंड जैव रासायनिक हार्मोन सुरक्षित हैं या पारंपरिक हार्मोन थेरेपी से ज्यादा प्रभावी हैं।
  • डीहाइड्रोइपिआएन्ड्रोस्टेरॉन (Dehydroepiandrosterone (DHEA)): यह एक प्राकृतिक स्टेरॉयड है, जो आपकी एड्रेनेल ग्रंथि बनाती है। यह हार्मोन डायट्री सप्लिमेंट्स में उपलब्ध है। कुछ लोगों में सेक्स में रुचि बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, इसकी प्रभाविकता को लेकर मिलीजुली राय है। साथ ही इसके कुछ नुकसानदेह प्रभावों को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं।
  • कम खतरे वाली कॉमप्लीमेंटरी थेरेपी जैसे एक्युपंक्चर, योग और शांति से ब्रीथिंग करना स्ट्रेस को कम करने में मदद करती हैं। साथ ही यह मेंटल हेल्थ में सुधार करती हैं। हालांकि, एक्युपंक्चर के हॉट फ्लैशेस को कम करने को लेकर अभी निर्णायक अध्ययन उपलब्ध नही हैं। लेकिन इन अध्ययनों में इसके फायदे जरूर दिखाए गए हैं। विश्राम करने से स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है, जिससे आपके मेनोपॉज लक्षणों में सुधार होता है।

पेरिमेनोपॉज या मेनोपॉज लक्षणों में किसी भी हर्बल प्रोडक्ट या डायट्री सप्लिमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। एफडीए किसी भी हर्बल प्रोडक्ट को नियमित नहीं करता है। ऐसे में इनमें से कुछ प्रोडक्ट खतरनाक या आपकी मौजूदा दवाइयों के साथ रिएक्शन कर सकते हैं। ऐसा होने पर आपको साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाएगा।

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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