परिचय
टेक्रोमा (Trachoma) क्या है?
टेक्रोमा (Trachoma) एक संक्रमण है जो आंखों को प्रभावित करती है। इसे रोहे रोग भी कहा जाता है। यह संक्रामक संक्रमित लोगों की आंखों, पलकों और नाक या गले से होने वाले स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। इसका सबसे बड़ा कारण रूमाल जैसी संक्रमित चीजों का इस्तेमाल करना होता है।
सबसे पहले, ट्रेकोमा आंखों और पलकों में हल्की खुजली और जलन हो सकती है। इसके बाद आंखों में सूजन होती है, फिर सूजी हुई पलकें और आंखों से मवाद बह सकता है। अगर सही समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो यह अंधेपन का कारण भी बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रेकोमा के विकास में 5 चरणों की पहचान की है:
- फॉलिक्युलर में सूजनः यह संक्रमण की सबसे शुरूआती चरण होता है। इस चरण में पांच या अधिक रोम (छोटे धक्कों जिसमें लिम्फोसाइट्स होते हैं, एक प्रकार का सफेद रक्त कोशिका) ऊपरी पलक की आंतरिक सतह पर चिपचिपे पदार्थ के तौर पर दिखाई देते हैं।
- तेजी से सूजनः इस अवस्था में, आंख अत्यधिक संक्रामक हो जाती है और ऊपरी पलक की सूजन भी बढ़ जाती है।
- पलक झपकनाः बार-बार होने वाले संक्रमण से अंदरूनी पलक झपकने लगती है।
- इन्ग्रोन पलकें (ट्राइकियासिस): पलक की भीतरी अस्तर खराब हो रही होती है, जिसके कारण पलकें अंगर की तरफ मुड़ने लगती है ताकि और वे कॉर्निया की पारदर्शी बाहरी सतह को रगड़ें और खरोंचें भी लगती हैं।
- कॉर्नियल क्लाउडिंगः सूजन के कारण कॉर्निया प्रभावित हो जाती है जो ऊपरी पलक को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इसके कारण धुंधला भी दिखाई देने लगता है।
कितना सामान्य है टेक्रोमा?
ट्रेकोमा दुनिया भर में अंधापन का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 6 लाख लोग ट्रेकोमा के कारण अंधे हुए हैं। अफ्रीका के गरीब इलाकों में ट्रेकोमा का प्रकोप सबसे अधिक देखा गाया है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ट्रेकोमा संक्रमण का फैलाव 60 प्रतिशत या उससे अधिक तेजी से हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
और पढ़ेंः आंखों के लिए बेस्ट हैं योगासन, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे
लक्षण
टेक्रोमा के लक्षण क्या हैं?
टेक्रोमा के सामान्य लक्षण हैंः
- आंखों और पलकों की हल्की खुजली और जलन
- आंखों से बलगम या मवाद बहना
- पलकों में सूजन
- फोटोफोबिया
- आंखों में दर्द
छोटे बच्चों में इसके संक्रमण की आशंका सबसे अधिक होती है।
निचली पलकों के मुकाबले रेह रोह ऊपरी पलकों में अधिक होता है।
इसके अलावा, पलकों में चिकनाई वाले ग्रंथि ऊतक (आंसू पैदा करने वाली ग्रंथियों (लैक्रिमल ग्रंथियों)) भी प्रभावित हो सकते हैं। इससे अत्यधिक नमी हो सकती है, जिससे समस्या और भी बढ़ सकती है।
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अपने डॉक्टर को बताएं अगर आपको या आपके बच्चे की आंखों में खुजली या जलन होती है या आंखों से किसी भी तरह का पदार्थ बहता है। खासकर अगर आपके आस-पास के इलाकों में पहले कभी टेक्रोमा के लक्षण देखें गए हो। ट्रेकोमा एक संक्रामक स्थिति है। जल्द से जल्द इसका इलाज करने से इसके संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
और पढ़ेंः शिशु की आंखों में काजल लगाना सही या गलत?
[mc4wp_form id=’183492″]
कारण
ट्रेकोमा होने के क्या कारण हैं?
ट्रेकोमा क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के कुछ उपप्रकार के कारण हो सकता है। यह जीवाणु यौन संचारित संक्रमण क्लैमाइडिया का कारण भी बन सकता है।
ट्रेकोमा किसी संक्रमित व्यक्ति की आंखों या नाक से डिस्चार्ज के संपर्क में आने से फैलता है। ट्रांसमिशन के लिए हाथ, कपड़े, तौलिया और कीड़े भी इसका कारण हो सकते हैं। इसके आलाव घरों में प पजाने वाली मक्खियां भी इसके संक्रमण को फैलाने में सबसे बड़ी जिम्मेदार हो सकती हैं।
जोखिम
कैसी स्थितियां ट्रेकोमा होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
ऐसी कई स्थितियां हैं जो ट्रेकोमा के जोखिम को बढ़ा सकती हैंः
- ट्रेकोमा मुख्य रूप से विकासशील देशों में बेहद गरीब आबादी वाले क्षेत्रों में होने वाली सबसे आम बीमारी है।
- किसी भीड़-भाड़ वाले इलाके या अधिक लोगों के करीब रहने के कारण भी रेह रोग का खतरा बढ़ सकता है।
- साफ-सफाई पर ध्यान न देने के कारण भी इसका खतरा अधिक बढ़ सकता है।
- जिन क्षेत्रों में बीमारी सक्रिय है, वहां पर यह 4 से 6 साल की आयु के बच्चों में सबसे आम पाई जाती है।
- कुछ क्षेत्रों में, महिलाओं में इस बीमारी की दर पुरुषों की तुलना में दो से छह गुना अधिक पाई जाती है।
- गंदगी भरे स्थानों, जहां मक्खियों की संख्या बहुत ज्यादा है, वहां भी ट्रेकोमा का खतरा सबसे अधिक हो सकता है।
- ऐसे इलाके, जहां आज भी शौचालय की कमी है, वहां कम आबादी होने के वाबजूद भी इसका खतरा देखा जा सकता है।
और पढ़ेंः छोटे बच्चों की नाक कैसे साफ करें?
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
ट्रेकोमा का निदान कैसे किया जाता है?
ट्रेकोमा के निदान के लिए किए जाने वाले टेस्ट हैं:
- स्वास्थ्य इतिहास की जानकारी
- आंखों की जांच (पलक झपकना सहित)
- आंखों में सूजन होने पर लैब टेस्ट भी किया जाएगा। हालांकि, इसका निदान आम तौर पर क्लीनिकल टेस्ट द्वारा किया जाता है।
ट्रेकोमा का इलाज कैसे होता है?
ट्रेकोमा का उपचार आंखों की स्थिति और रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि, इसके उपचार के लिए निम्नलिखित तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैंः
- एंटीबायोटिक दवाएंः एंटीबायोटिक दावओं की खुराक निर्धारित की जा सकती है। जिसका सेवन नियमित तौर पर करना होगा। इस दवा की मदद से बैक्टीरिया को मारने में मदद मिलती है। इसके अलावा एंटीबायोटिक्स सभी घर के सदस्यों को दिया जाता है। फिर चाहे उनमें रोहे रोग के लक्षण हो या नहीं। इस उपचार को हर 6 से 12 महीनों में दोहराया जाना चाहिए
- सर्जरीः इसका उपयोग पलक की विकृति को ठीक करने के लिए किया जाता है और वृद्ध लोगों में खराब हुई पलकों को पलटाया जाता है।
और पढ़ेंः बच्चे को होने वाले फोड़े-फुंसियों का ऐसे करें इलाज
घरेलू उपचार
जीवनशैली में किस तरह के बदलाव किए जाए, जो मुझे ट्रेकोमा की स्थिति को रोकने में मदद कर सकते हैं?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको ट्रेकोमा से बचने में मदद कर सकती हैं:
- चेहरे और हाथ को हमेशा साफ और सूखा रखें।
- मक्खियों को नियंत्रित करने के तरीकों और उपायों को अपनाएं।
- हमेशा शौचालय का इस्तेमाल करें और उसे साफ-सुथरा बनाएं रखें।
- पानी के बहाव का उचित प्रबंधन करें।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।