परिचय
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव क्या है?
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव जिसे डिसफंक्शनल यूटेरिन ब्लीडिंग के नाम से भी जाना जा है, इसमें यूटेरस से अनियमित ब्लीडिंग होती है। अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव में सामान्य मासिक धर्म चक्र में गड़बड़ी हो जाती है, जिससे ब्लीडिंग बहुत ज्यादा या बहुत कम होने लगती है, यह अनियमितता किसी भी कारण से हो सकती है। सामान्यतः मासिक धर्म चक्र 21 से 35 दिनों का होता है, अगर यही 21 दिन से कम और 35 दिन से ज्यादा हो जाए तो पीरियड्स में गड़बड़ी हो जाती है जिसे अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव कहा जाता है। अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव के कारण एनीमिया भी हो जाता है।
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लक्षण
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव के लक्षण क्या हैं ?
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव के लक्षण में ज्यादातर ब्लीडिंग होना दिखाई देता हैं। इसमें ब्लीडिंग के अलग-अलग पैटर्न दिखाई देते हैं;
- पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग।
- ब्लीडिंग में कई संख्या में थक्के या बड़े-बड़े थक्के होना।
- सात दिनों से ज्यादा ब्लीडिंग होना।
- 21 दिनों से पहले ब्लीडिंग होना।
- स्पॉटिंग।
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अन्य सामान्य लक्षण जो अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव (Dysfunctional Uterine bleeding) में दिखाई दे सकते हैं:
- सूजन।
- पैल्विक दर्द या दबाव।
यदि नीचे दिए गए लक्षण अनुभव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
- चक्कर आना।
- बेहोशी।
- कमजोरी।
- लो ब्लड प्रेशर।
- हार्ट रेट का बढ़ना।
- पीली स्किन।
- दर्द।
- खून के बड़े थक्के आना।
- हर घंटे एक पैड का इस्तेमाल करना।
कारण
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव के कारण क्या है ?
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव (Dysfunctional Uterine bleeding) हार्मोन में होने वाला असंतुलन है। जब अंडाशय (Ovary) एग रिलीज करता है तब हार्मोन यूटेरस की लाइन को बहाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस प्रक्रिया को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। जो लड़कियां टीनएज में हैं या जिनकी उम्र मेनोपॉज के करीब हैं, उनमें एंडोमेट्रियम की प्रक्रिया ज्यादा होती है जिससे पीरियड्स में अनियमितता या ज्यादा स्पॉटिंग होती है।
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव (Dysfunctional uterine bleeding) होने के कारण निम्न हो सकते हैं;
- बर्थ कंट्रोल पिल्स और दूसरी दवाएं लेना।
- बहुत तेजी से वजन घटना या बढ़ना।
- मानसिक या शारीरिक तनाव।
- अंतर्गर्भाशयी डिवाइस (IUD)।
असामान्य ब्लीडिंग के अन्य कारणों में यूटेरस में प्रॉब्लम भी हैं। कई महिलाओं को फाइब्रॉइड हो जाती हैं, ये नॉन-कैंसर ट्यूमर होती हैं जो यूटेरस में या यूटेरस की दीवारों की मसल्स में बढ़ती हैं। पॉलिप भी इसी तरह यूटेरस में बढ़ जाता है, जो यूटेरस की लाइन में अपनी जगह बनाता जाता है। इसके अलावा एडिनोमायोसिस (Adenomyosis) ऐसी स्थिति है, जिसमें कोशिकाएं यूटेरस की लाइन में बढ़ने वाली कोशिकाओं के जैसी होती हैं और यूटेरस की मसल्स के हिस्से में ही विकसित होती हैं।
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जांच
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव की जांच कैसे की जाती है?
इसकी जांच करने के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। इससे प्रजनन से जुड़े डिसऑर्डर का पता लगाने में मदद मिलती हैं जैसे कि पीसीओएस (Polycystic ovary syndrome) और एंडोमेट्रियोसिस।
1.अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
डॉक्टर reproductive organ को देखने के बाद अल्ट्रासाउंड करने का कह सकते हैं। इस टेस्ट से पॉलिप्स और फाइब्रॉइड की ग्रोथ की जानकारी मिलती है।
2.ब्लड टेस्ट (Blood test)
ब्लड टेस्ट के जरिए हार्मोन का स्तर और कंपलीट ब्लड काउंट का पता लगाया जाता है। लाल रक्त कणिकाएं कम होने पर एनीमिया हो सकता है।
3.एंडोमेट्रियल बायोप्सी (Endometrial biopsy)
अगर यूटेरस से ब्लीडिंग का कारण किसी तरह की एब्नॉर्मल ग्रोथ है या यूटेरस लाइन मोटी है तो डॉक्टर टेस्ट के लिए यूटेरस का टिश्यू लेकर जांच कर सकते हैं।
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इलाज
इसका इलाज कैसे किया जाता है ?
अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। किसी ब्लड डिसऑर्डर के कारण अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव (dysfunctional uterine bleeding) की समस्या है तो इलाज मुमकिन है। इलाज के समय बच्चों की प्लानिंग है या नहीं इस पहलु पर भी गौर किया जाता है। इस कारण भी इलाज के तरीके को बदल दिया जाता है। इन निम्न तरीकों से अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्त्राव का इलाज किया जाता है-
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1.दवाइयों के जरिए अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव का इलाज-
- हार्मोन थैरेपी:- डॉक्टर इसमें बर्थ कंट्रोल पिल्स और हार्मोन ट्रीटमेंट दे सकते हैं।
- रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (GnRHa):- इस थेरेपी के जरिए कुछ खास हार्मोन के बनने को रोका जाता है, जिससे फाइब्रॉइड का साइज सिकुड़ जाता है और फाइब्रॉइड के कारण होने वाली ब्लीडिंग में राहत मिलती हैं।
- NSAIDS :- इसमें आइबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाई दी जाती हैं जो ब्लीडिंग को रोकने में मदद कर सकती हैं।
- ट्रानेक्सामिक एसिड (Tranexamic acid):- इस दवाई के जरिए हैवी ब्लीडिंग को कंट्रोल किया जाता है, इस मेडिसिन से ब्लड क्लॉट भी कम होने में मदद मिलती है। कुछ महिलाओं के इलाज के लिए आईयूडी का इस्तेमाल किया जाता हैं। आईयूडी प्रोजेस्टिन हार्मोन जारी करता है जो हैवी ब्लीडिंग को रोकने में मदद करता है।
2.सर्जरी के जरिए अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव का इलाज-
कभी-कभी ब्लीडिंग को रोकने के लिए दवाई के बजाय सर्जरी के जरिए भी इलाज करना पड़ता है:
- एंडोमेट्रियल एब्लेशन (Endometrial ablation) :- इसमें यूटेरस लाइन को खत्म करने के लिए लेजर का इस्तेमाल करते है। ऐसा करने से पीरियड्स होना बंद हो जाते है इसके साथ ही भविष्य में प्रेग्नेंसी भी नही होती है। कुछ खास ही केस में इस तरीके से इलाज किया जाता है। जो महिलाएं भविष्य में बच्चे चाहती हैं, उनके लिए किसी दूसरे विकल्प के जरिए इलाज किया जाता है।
- मायोमेक्टॉमी (Myomectomy):- फाइब्रॉइड के कारण अगर अक्रियाशील गर्भाशय रक्तस्राव हो रहा है तो डॉक्टर मायोमेक्टॉमी सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं, इसमें डॉक्टर उन वेसल्स को काट देते हैं, जो फाइब्रॉइड को ब्लड सप्लाय करती हैं। इससे प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती।
- हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy ):- इस सर्जरी में यूटेरस को सर्जरी के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है। डॉक्टर यह सर्जरी तब ही करते हैं जब फाइब्रॉइड बहुत बड़ी हो या एंडोमेट्रियल या यूटेरस का कैंसर है।
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