शायद हम सभी यह जानते हैं कि विटामिन-डी का प्राथमिक और सबसे बड़ा स्रोत ‘धूप’ है। सूरज की रोशनी हमारी त्वचा में विटामिन-डी को संश्लेषित (Synthesized) करने में मदद करती है, जिससे हमारी मांसपेशियां और हड्डियों मजबूती मिलती हैं और उनके विकास को बढ़ावा मिलता है।
लेकिन जिस तरह यह विटामिन अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है, उसी तरह उसकी कमी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी न्योता मिल सकता हैं।
बीमारियां जो विटामिन-डी की कमी से होती है
विटामिन-डी की कमी और डिमेंशिया:
जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में ये पाया गया कि बुजुर्ग लोगों में अल्जाइमर और डिमेंशिया की शिकायत तब बढ़ जाती है, जब उनके शरीर में इस विटामिन की कमी होती है। डिमेंशिया में सोच, व्यवहार में बदलाव और याददाश्त में कमी आने लगती है। इस अध्ययन में 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 1,600 से ज्यादा लोगों को मॉनिटर किया गया हैं, जिन्हे अध्ययन की शुरुआत में डिमेंशिया नहीं था।
इस अध्ययन पाया गया हैं की, एक सामान्य विटामिन-डी के स्तर वाले व्यक्ति की तुलना में, विटामिन-डी की कम स्तर वाले लोगों में डिमेंशिया की संभावना 53% मिली। जब कि यही आकड़ा बढ़ कर 125% पहुंज गया जब किसी के शरीर में इस विटामिन की गंभीर कमी थी। इसलिए हमारे शरीर में विटामिन-डी होना बहुत जरुरी है।
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विटामिन-डी की कमी और रिकेट्स:
रिकेट्स एक ऐसी समस्या है जिसमें बच्चों की हडियां नरम और कमजोर हो जाती हैं। आमतौर पर यह समस्या शरीर में लंबे समय तक विटामिन-डी की कमी के कारण होती है। शरीर में पूरक मात्रा में इस विटामिन की वजह से हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस का सही स्तर बनाए रखने में मुश्किल आती है, जिससे रिकेट्स होने की संभावना होती हैं। कभी-कभी, पर्याप्त कैल्शियम न मिलने से या कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी से भी रिकेट्स हो सकता है।
विटामिन-डी की कमी और प्रोस्टेट कैंसर:
जर्नल क्लिनिकल कैंसर रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में पुरुषों में विटामिन-डी के ‘लो ब्लड लेवल’ और बढ़ते प्रोस्टेट कैंसर के बीच एक लिंक पाया गया हैं। शोधकर्ताओं ने 40 से 79 वर्ष की उम्र के 667 पुरुषों में विटामिन-डी के स्तर की जांच की जो प्रोस्टेट बायोप्सी (Biopsy) से गुजर रहे थे। इस अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि सामान्य विटामिन-डी के स्तर वाले अन्य पुरुषों की तुलना में कम विटामिन-डी स्तर वाले पुरुषों में कैंसर होने की संभावना औरों से अधिक है।
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विटामिन-डी की कमी से बढ़ता है स्किजोफ्रेनिया का खतरा:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, स्किजोफ्रेनिया एक गंभीर दिमागी बीमारी है। स्किजोफ्रेनिया के लक्षण, जो आमतौर पर 16 से 30 साल की उम्र के बीच दिखाई देते हैं, उनमें, हैलूसिनेशन, दूसरों से ज्यादा बात या घुल-मिल कर न रहना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना इत्यादि शामिल है।
इस अध्ययन में यह बात सामने आयी कि जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी हैं, उनकी तुलना में शरीर में इस विटामिन के सही स्तर वाले लोगों के स्किजोफ्रेनिया की समस्या का निदान होने की संभावना ज्यादा होती है।
निष्कर्ष:
हमारे शरीर को विटामिन-डी की बहुत जरूरत है। ऐसे में यदि आप अपने स्थान या मौसम की स्थिति के कारण नियमित रूप से धूप लेने में असमर्थ हैं, तो आप अपने डॉक्टर की सलाह लेकर इस विटामिन का सप्लीमेंट लेने का विचार कर सकते हैं।
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