यदि आपको कोई भी लगातार संकेत और लक्षण दिखाई देते हैं, अपने चिकित्सक या अपने बच्चे के डॉक्टर के साथ एक नियुक्ति करें जो आपको चिंतित करते हैं।एक्यूरेट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के कई लक्षण फ्लू से मिलते हुए हो सकते हैं। हालांकि, फ्लू के लक्षण ठीक हो जाते हैं। यदि आपके लक्षणों में कोई सुधार नहीं आता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कारण (Causes)
एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया तब होता है, जब बोन मैरो कोशिका अपनी आनुवंशिक सामग्री या डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) विकसित करती है। ये सेल के डीएनए में निर्देश होते हैं, जो सेल को बताते हैं कि क्या करना है। आम तौर पर, डीएनए कोशिका को एक निर्धारित दर से बढ़ने और एक निर्धारित समय पर सेल डेड फेक्शन काे पूरा करता है। एक्यूरेट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया में, उत्परिवर्तन बोन मैरो कोशिका के बढ़ते और विभाजित होने का इंडिकेट देता है।
जब ऐसा होता है, तो रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नियंत्रण से बाहर हो जाता है। बोन मैरो अपरिपक्व कोशिकाओं का उत्पादन करती है, जो ल्यूकेमिक सफेद रक्त कोशिकाओं में विकसित होती हैं, जिन्हें लिम्फोब्लास्ट कहा जाता है। ये असामान्य कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं, और वे स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण और बढ़ने में मदद कर सकती हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि डीएनए उत्परिवर्तन का क्या कारण है, जिससे एक्यूरेट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया हो सकता है।
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एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया निदान (Acute Lymphoblastic Leukemia Diagnosis)
आपका डॉक्टर आपके लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेगा। वे सूजन लिम्फ नोड्स, रक्तस्राव और चोट लगने, या संक्रमण के लक्षणों को देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षा करेंगे।
यदि आपके डॉक्टर को ल्यूकेमिया का संदेह है, तो वे परीक्षण कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
ब्लड टेस्ट : इसमें पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) से पता चलता है कि आपके पास प्रत्येक प्रकार की कितनी रक्त कोशिका है। यह आपकी रक्त कोशिकाओं की उपस्थिति में परिवर्तनों की जांच करता है।
बोन मैरो टेस्ट: आपका डॉक्टर आपकी छाती या कूल्हे की हड्डी में सुई लगाएगा और बोन मैरो का एक नमूना निकाला जाएगा। ल्यूकेमिया के लक्षणों के लिए एक विशेषज्ञ इसे माइक्रोस्कोप से जांच करेंगे।
इमेजिंग टेस्ट: एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड आपके डॉक्टर को बता सकते हैं कि कैंसर फैल गया है या नहीं।
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जोखिम (Risk)
एक्यूरेट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं: