क्रोनिक मायलोजेनस ल्यूकेमिया की स्टेजेस (Stages of Chronic Myelogenous Leukemia)
सीएमएल होने पर मरीज का बोन मैरो बहुत अधिक डब्ल्यूबीसी जिन्हें ब्लास्ट सेल्स कहते हैं का निमार्ण करता है। यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है। स्टेजिंग बॉडी में मौजूद कैंसरस व्हाइट ब्लड सेल्स के आधार पर की जाती है। इसे तीन स्टेजेज में बांटा गया है।
क्रोनिक फेज सीएमएल (Chronic phase CML)
इस स्टेज में बोन मैरो और ब्लड की 10 प्रतिशत कोशिकाएं ब्लास्ट सेल्स बन जाती हैं। इस स्टेज में लोग थकान और दूसरे हल्के लक्षणों को महसूस करते हैं। सीएमएल अक्सर इस फेज में ही डायग्नोस होता है और ट्रीटमेंट की शुरुआत होती है। क्रोनिक फेज में अधिकतर लोग ट्रीटमेंट के प्रति रिस्पॉन्स करते हैं।
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एक्सक्लेरेटेड फेज सीएमएल (Accelerated phase CML)
इस फेज में बोन मैरो और ब्लड में 10 से 19 प्रतिशत कोशिकाएं ब्लास्ट कोशिकाएं होती हैं। यह फेज तब आता है जब कैंसर क्रोनिक फेज में ट्रीटमेंट के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं करता है। इस फेज के दौरान मरीज में अधिक लक्षण दिखाई दे सकते हैं। एक्सक्लेरेटेड फेज भी उपचार के लिए भी प्रतिक्रिया नहीं करता है।
ब्लास्टिक फेज सीएमएल (Blastic phase CML)
ब्लास्टिक फेज सीएलएल की अग्रेसिव स्टेज है। 20 प्रतिशत से अधिक बोन मैरो कोशिकाएं और ब्लड ब्लास्ट कोशिकाओं में बदल जाता है। ब्लास्ट कोशिकाएं पूरी बॉडी में फैलने लगेगी, जिससे ट्रीटमेंट और भी मुश्किल हो जाएगा। मरीज को बुखार, थकान, भूख कम लगना, वजन कम होना और स्पलीन पर सूजन महसूस हो सकती है।