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इम्यूनोथेरिपी क्या है?(Immunotherapy)
इम्यूनोथेरिपी को बायोलॉजिकल थेरिपी भी कहा जाता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम के कैंसर सेल्स को ढूंढने और उन पर अटैक करने में मदद करती है। यह उपचार का वो तरीका है जिससे शरीर के इम्यून सिस्टम की कैंसर सेल्स को ढूंढने और नष्ट करने की क्षमता बढ़ती है। इम्यून सेल्स और एंटीबॉडीज को लेबोरेटरी में बनाया जा सकता है और उसके बाद कैंसर के रोगी इनका उपयोग कर सकते हैं। ऐसी कई तरह की इम्यूनोथेरिपीज हैं जिन्हें प्रयोग करने के लिए अप्रूव किया गया है। आज हम इम्यूनोथेरेपी के एक प्रकार कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) के बारे में बात करेंगे। जानिए इसके बारे में:
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कार-टी सेल थेरिपी क्या है? (CAR-T Cell Therapy)
कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) इम्यूनोथेरिपी का एक प्रकार है, इसमें खास टी सेल्स का प्रयोग किया जाता है। यह टी सेल्स इम्यून सिस्टम का एक भाग हैं, ताकि कैंसर से लड़ा जा सके। इसके लिए रोगी के खून से टी सेल्स का नमूना लिया जाता है और उसके बाद खास स्ट्रक्चर को बनाने के लिए इसे मॉडिफाइड किया जाता है। जिन्हें कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (Chimeric Antigen Receptors) कहा जाता है। जब कार-टी सेल (CAR-T Cell) को रोगी में फिर से इंसर्ट किया जाता है , तो नए रिसेप्टर्स उन्हें रोगी की ट्यूमर कोशिकाओं के एक खास एंटीजन पर अटैक करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाते हैं।
डॉक्टर इस थेरिपी का प्रयोग तब भी कर सकते हैं, जब कीमोथेरिपी का कोई प्रभाव नहीं होता या रोगी को कैंसर फिर से हो जाए। कैंसर रोगियों के लिए प्रूवन थेराप्यूटिक पोटेंशियल (Proven Therapeutic Potential ) के बावजूद, यह कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) अभी भारत में उपलब्ध नहीं है। एक मरीज की कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) की कीमत 3-4 करोड़ रुपय है। इसलिए, भारत में इस थेरिपी से जुड़ी चुनौती न केवल बड़े पैमाने पर टेक्नोलॉजी को विकसित करने में है बल्कि लागत को कम करने में भी है।
फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Food and Drug Administration) ने अन्य देशों में कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) को अप्रूव किया गया है। लेकिन, इन दवाओं के सेवन की सलाह हैलो स्वास्थ्य आपको नहीं देता है। इन दवाईयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। इन दवाईयों का प्रयोग कुछ खास स्थितियों में ही किया जाता है। पाएं, इनके बारे में विस्तृत जानकारी:
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ब्रीयान्जी (Breyanzi)
ब्रीयान्ज़ी का प्रयोग वयस्कों में बी-सेल लिम्फोमा (B-Cells Lymphoma) के फिर से होने की स्थिति में किया जा सकता है। इसका प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब मरीज पर पिछले दो उपचार काम न कर रहे हों। ब्रीयान्ज़ी को मरीज के वाइट ब्लड सेल्स से बनाया जाता है। रोगी के लिंफोमा सेल्स को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए कोशिकाओं को जेनेटिकली मोडिफाइड किया जाता है। इसके कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे थकावट, सांस लेने में समस्या, बुखार , बैचैनी, बोलने में समस्या, गंभीर जी मचलना, उलटी होना, डायरिया , सिरदर्द ,सूजन, तेज हार्टबीट आदि। अगर आपको इस दवाई के बारे में कोई भी जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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टेकार्टस (Tecartus)
टेकार्टस का जेनेरिक नाम ब्रेक्सुकैबटाजीन ऑटोल्यूसेल (Brexucabtagene Autoleucel) है और यह जेनेटिकली मोडिफाइड टी-सेल इम्यूनोथेरिपी दवाई (Modified T-Cell Immunotherapy Medicine) है। इस दवाई को वयस्कों में मेंटल सेल लिम्फोमा (Mantle Cell Lymphoma) के उपचार के लिए किया जा सकता है। यह दवाई तब भी दी जाती है जब अन्य कोई उपचार काम नहीं कर रहा हो। टेकार्टस को खून से निकाली गई व्हाइट ब्लड सेल्स का उपयोग करके बनाया जाता है, जिन्हें रोगी के शरीर से एक नस के माध्यम से निकाला जाता है। इस दवाई के साइड इफेक्ट को साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome) कहा जाता है। जिसके कारण बुखार, सांस लेने में समस्या, उल्टी या अन्य लक्षण हो सकते हैं। यह दवाई आपके लिए सुरक्षित है या नहीं इसके बारे में जानने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।