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बी-सेल लिंफोमा : इम्यून सिस्टम सेल्स के इस कैंसर का उपचार है संभव!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/06/2021

    बी-सेल लिंफोमा : इम्यून सिस्टम सेल्स के इस कैंसर का उपचार है संभव!

    कैंसर एक भयानक बीमारी हैं। यह बीमारी हमारे शरीर की कोशिकाओं के असंतुलित तरीके से बढ़ने के कारण होती है। इस रोग के नाम से हर कोई घबरा जाता है। हालांकि, इसका इलाज संभव है। कैंसर कई तरह के होते हैं। जिनमें से कुछ बेहद दुर्लभ हैं। उन्हीं में से एक है बी-सेल लिंफोमा (B-cell Lymphoma)। हो सकता है कि इस तरह का नाम आपने सुना भी न हो। इस कैंसर का उपचार भी इसके प्रकार और गंभीरता के अनुसार किया जाता है। जानिए बी-सेल लिंफोमा (B-cell Lymphoma) के बारे में विस्तार से:

    बी-सेल लिंफोमा क्या है? (What is B-cell Lymphoma)

    लिंफोमा एक तरह का कैंसर है जो हमारे इम्यून सिस्टम के सेल्स जिन्हें लिम्फोसाइट (Lymphocytes) कहा जाता है, उनमें शुरू होता है। लिंफोमा भी दो तरह के होते हैं जिन्हें होडग्किन’स (Hodgkin’s) और नॉन-होडग्किन’स (Non Hodgkin’s) के नाम से जाना जाता है। नॉन-होडग्किन’स को भी आगे दो भागों में बांटा गया है जिनमें से एक है बी-सेल लिंफोमा (B-cell Lymphoma) और दूसरा है टी-सेल लिंफोमा (T-cell Lymphoma)। आज हम नॉन-होडग्किन’स के प्रकार बी-सेल लिंफोमा (B-cell Lymphoma) के बारे में बात करने वाले हैं। नॉन-होडग्किन’स लिंफोमा के शिकार 85 प्रतिशत लोग बी-सेल लिंफोमा (B-cell Lymphoma) से ही पीड़ित होते हैं। बी-सेल लिंफोमा कई प्रकार का होता है।  जानिए इसके प्रकारों के बारे में:

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    बी-सेल लिंफोमा के प्रकार कौन से हैं? (Types of B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) को कई कारकों के आधार पर बांटा गया है जैसे माइक्रोस्कोप में यह कैंसर सेल कैसे दिखते हैं, उनके सरफेस पर कैंसर सेल में कौन से खास प्रोटीन हैं या लिंफोमा सेल के अंदर किस तरह के जीन का बदलाव होता है आदि। जानिए, कौन से हैं बी-सेल लिंफोमा के प्रकार (Types of B-cells Lymphoma) :

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma)

    डिफ्यूज लार्ज बी -सेल लिंफोमा (Diffuse Large B-Cell Lymphoma )

    डिफ्यूज लार्ज बी -सेल लिंफोमा बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) का सबसे सामान्य प्रकार हैं। नॉन-होडग्किन’स लिंफोमा से पीड़ित हर तीसरे व्यक्ति को यह समस्या होती है। यह कैंसर बहुत तेजी से बढ़ता है लेकिन इसका उपचार संभव है। हालांकि, यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन साठ साल के बाद इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसके मुख्य लक्षण हैं खांसी, सांस लेने में समस्या और चेहरे और गले में सूजन

    फॉलिक्युलर लिंफोमा (Follicular Lymphoma)

    यह बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) का धीरे से बढ़ने वाला प्रकार है। बीस से तीस प्रतिशत नॉन-होडग्किन’स लिंफोमा फॉलिक्युलर लिंफोमा फॉलिक्युलर लिंफोमा है। आमतौर पर यह समस्या 65 साल की उम्र के बाद लोगों को होती है। यह कैंसर लिम्फ नोड्स और बोन मेरो में बढ़ता है। इसका पहला लक्षण है गले, ग्रोइन और आर्मपिट में लिम्फ नॉड्स में सूजन। इसका उपचार संभव नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को मैनेज कर के इसका इलाज किया जा सकता है।

    मार्जिनल जोन बी-सेल लिंफोमा (Marginal Zone B-Cell Lymphoma)

    यह धीरे से बढ़ने वाला कैंसर है, जो मार्जिनल जोन से शुरू होता है। मार्जिनल जोन लिम्फ नोड की वो जगह है, जहां बहुत से बी सेल्स होते हैं। इस कैंसर का निदान भी 60 की उम्र के बाद ही होता है। अगर आपको कुछ समस्याएं जैसे हेपेटाइटिस सी वायरस (hepatitis C virus), एच.पाइलोरी बैक्टीरिया (H. pylori bacteria) या अन्य कोई ऑटोइम्यून बीमारी हो, तो आपको यह कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

    क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic Lymphocytic Leukemia )/ स्मॉल लिम्फोसाईटिक  लिंफोमा (Small Lymphocytic Lymphoma)

    क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (CLL) और स्माल लिम्फोसाईटिक  लिंफोमा (SLL) एक जैसे होते हैं क्योंकि इनके कैंसर सेल्स एक तरह के होते हैं। यह दोनों धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इनका एक ही तरीके से उपचार किया जाता है।

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    मांटेल सेल लिंफोमा (Mantle cell lymphoma) 

    मेंटल सेल लिंफोमा एक दुर्लभ और तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है। यह कैंसर मेंटल जोन के बी सेल्स में शुरू होता है। मेंटल जॉन लिम्फ जोन के बाहरी सिरे का क्षेत्र है। यह कैंसर लिम्फ नोड, बोन मेरो और स्प्लीन में शुरू होता है।

    बुर्किट लिम्फोमा (Burkitt Lymphoma)

    बुर्किट लिम्फोमा सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में से एक है, लेकिन इसे ठीक किया जा सकता है। यह बच्चों और पुरुषों में अधिक आम है। यह कैंसर ज्यादातर पेट में होता है और आंतों, अंडाशय, अंडकोष और अन्य अंगों को प्रभावित करता है। एक अलग प्रकार का बुर्किट लिंफोमा आमतौर पर जबड़े या चेहरे की हड्डियों में होता है

    बी-सेल लिंफोमा के लक्षण क्या हैं (Symptoms of B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) के लक्षण कई तरह के हो सकते हैं। कुछ लोगों में यह लक्षण हल्के तो कुछ में गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में आपको इस समस्या का कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं 

    • गर्दन, आर्मपिट या ग्रोइन में सूजी हुई लिम्फ नोड  (Swollen Lymph Nodes in your Neck, Armpits or Groin)
    • पेट में दर्द या सूजन (Abdominal Pain or Swelling)
    • छाती में दर्द या सांस लेने में समस्या (Chest pain, Coughing or Trouble Breathing)
    • टकावट (Persistent Fatigue)
    • बुखार (Fever)
    • रात को पसीना आना (Night Sweats)
    • अचानक वजन कम होना (Unexplained Weight Loss)

    बी-सेल लिंफोमा के कारण (Causes of B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) के अधिकतर मामलों में डॉक्टर को इसके कारणों की जानकारी नहीं होती। कुछ मामलों में ऐसा कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण होता है। लेकिन यह तब शुरू होता है, जब आपका शरीर बहुत अधिक असामान्य लिम्फोसाइट्स (LYMPHOCYTES)का उत्पादन करता है, जो एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका है। आम तौर पर, लिम्फोसाइट्स एक पूर्वानुमानित जीवन चक्र से गुजरते हैं। पुराने लिम्फोसाइट्स मर जाते हैं, और आपका शरीर उन्हें बदलने के लिए नए लिम्फोसाइट्स बनाता है। बी-सेल लिंफोमा में (B-cells Lymphoma), आपके लिम्फोसाइटों नष्ट नहीं होते हैं, लेकिन बढ़ते और विभाजित होते रहते हैं। यह लिम्फोसाइट्स अधिक बढ़ने के कारण लिम्फ नोड्स में उन्हें सूजन होती है। कुछ स्थितियों में यह कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे

    • ऐसी दवाईयां लेना, जो हमारे इम्यून सिस्टम को दबाती हैं (Medications that Suppress your Immune System)
    • किसी खास वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले इन्फेक्शन के कारण (Infection with Certain Viruses and Bacteria)
    • केमिकलस (Chemicals)
    • अधिक उम्र (Older Age) 

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    बी-सेल लिंफोमा की स्टेजेस (Stages of B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा की स्टेजेस (Stages of B-cells Lymphoma) का पता होने के बाद ही डॉक्टर मरीज का इलाज किन तरीकों से करना है और कैसे करना है, यह जान पाते हैं। बी-सेल लिंफोमा की स्टेजेस को चार भागों में विभाजित किया गया है, जैसे 

    • स्टेज I (Stage I): स्टेज एक का अर्थ है कि कैंसर एक लिम्फ नोड क्षेत्र या पास के नोड्स के एक समूह तक सीमित है।
    • स्टेज II (Stage II) : इस चरण में, कैंसर दो लिम्फ नोड में होता है। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि कैंसर एक अंग और पास के लिम्फ नोड्स तक पहुंच गया है। लेकिन कैंसर अभी भी डायाफ्राम के ऊपर या नीचे शरीर के एक हिस्से तक सीमित है।
    • स्टेज III (Stage III) : जब कैंसर डायाफ्राम के ऊपर और नीचे दोनों तरफ लिम्फ नोड्स में चला जाता है, तो इसे चरण III माना जाता है। डायाफ्राम के ऊपर और स्प्लीन में लिम्फ नोड्स में कैंसर भी पाया जा सकता है।
    • स्टेज IV (Stage IV) : यह बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) की सबसे अडवांस्ड स्टेज है। इसका अर्थ है कि कैंसर सेल्स कई अंगों या टिश्यूस तक फैल चुका है जैसे लिवर, फेफड़े या हड्डियां आदि।

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment B-cells Lymphoma)

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) के निदान के लिए डॉक्टर मरीज की निजी और फॅमिली मेडिकल हिस्ट्री जानते हैं। गर्दन, अंडरआर्म और ग्रोइन में सूजन या स्पिन और लिवर की सूजन के लिए शारीरिक जांच की जाती है। मरीज को यह टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है।

    • ब्लड और यूरिन टेस्ट्स (Blood and Urine Tests.)
    • इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging Tests) जैसे एक्स-रे (X-Ray), सिटी स्कैन (CT Scan), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging ) और पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी  (Positron Emission Tomography)
    • लिम्फ नोड टेस्ट (Lymph Node Test)
    • बोन मेरो टेस्ट (Bone Marrow Test)

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) का उपचार इसके प्रकार, स्टेज, मरीज की सेहत आदि पर निर्भर करता है। इस समस्या का उपचार इन तरीकों से किया जाता है:

    • कीमोथेरेपी (Chemotherapy) :कीमोथेरेपी एक ड्रग ट्रीटमेंट है जिसे ओरली या इंजेक्शन के माध्यम से मरीज को दिया जाता है। इन दवाई के प्रयोग से कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
    • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): रेडिएशन थेरेपी में हाय पॉवर्ड एनर्जी बीम्स जैसे एक्स रे या प्रोटोन्स आदि का प्रयोग किया जाता है ताकि कैंसर सेल्स को नष्ट किया जा सके।
    • इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): इम्यूनोथेरेपी में बायोलॉजिक ड्रग्स इम्यून सिस्टम की कैंसर के खिलाफ लड़ने में मदद करती है।  
    • बोन मेरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant): बोन मेरो ट्रांसप्लांट को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है। इसमें कीमोथेरेपी की अधिक डोज और रेडिएशंस का प्रयोग किया जाता है।

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    बी-सेल लिंफोमा और लाइफस्टाइल में परिवर्तन (B-cells Lymphoma and Change in Lifestyle)

    इसमें कोई संदेह नहीं है कि कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। ऐसे में अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव करने चाहिए। यह बदलाव आपको शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से हेल्दी रहने में मदद कर सकते हैं। यह बदलाव इस प्रकार हैं।

    हेल्दी डायट (Healthy Diet)

    हेल्दी खाने से न केवल आपको बीमारियों से बचने बल्कि अगर आपको कोई समस्या है, तो उससे जल्दी रिकवर होने में मदद मिलेगी। इसलिए अपनी डायट को सही रखें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि का सेवन करें और अनहेल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें। 

    तनाव से बचें (Stay away from Depression)

    तनाव कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप योगा या मैडिटेशन करें, खुश रहें और अधिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

    पर्याप्त नींद (Enough Sleep)

    आराम करना भी बेहद जरूरी है। दिन में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लें। इसके साथ ही सकारात्मक रहने की भी कोशिश करें।

    व्यायाम (Exercise)

    व्यायाम करना बेहद आवश्यक है। दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम को दें। अगर व्यायाम करने का समय नहीं मिल रहा तो सैर करें।

    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma)

    स्मोकिंग और शराब से दूर रहें (Avoid Smoking and Drinking)

    कुछ एन्वॉयरमेंटल टोक्सिन कैंसर और अन्य परेशानियों को बढ़ा सकते हैं। इसलिए उनसे भी दूर रहना जरूरी है। अगर आप स्मोकिंग या शराब का सेवन करते हैं, तो इन चीजों का सेवन करना छोड़ दें।

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    बी-सेल लिंफोमा (B-cells Lymphoma) का उपचार हो सकता है, लेकिन इसके लिए इस समस्या का निदान शुरुआत में ही हो जाना चाहिए। अगर इस कैंसर या किसी भी बीमारी का निदान शुरुआत में हो जाए, तो इलाज जल्दी और आसानी से हो सकता है। इसके साथ ही, रोगी को जल्दी रिकवर होने में भी मदद मिलती है। इसलिए, किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। कोई भी लक्षण नजर आने या समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। 

    डिस्क्लेमर

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