वाइट ब्लड सेल्स डिसऑर्डर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। प्रोलिफेरेटिव डिसऑर्डर (proliferative disorders)और ल्यूकोपिनिआस (leukopenias) दो मुख्य डिसऑर्डर हैं। प्रोलिफेरेटिव डिसऑर्डर में वाइट ब्लड सेल्स अधिक मात्रा में बनती हैं। वहीं ल्यूकोपिनिआस में ब्लड सेल्स कम मात्रा में बनती हैं। दोनों ही डिसऑर्डर के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है। इस कारण से इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। सेल्स काउंट को मेंटेन कर बीमारी की इलाज किया जा सकता है। वाइट ब्लड सेल्स डिसऑर्डर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।
- बुखार
- मुंह के छालें
- त्वचा में फोड़े-फुंसी
- निमोनिया
- थकान
- वजन घटना
- इन्फेक्शन होना
उपरोक्त लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आप सही समय पर बीमारी की जांच कराते हैं, तो बीमारी से निजात पाने में मदद मिल सकती है। वाइट ब्लड सेल्स में गड़बड़ी के कारण इन्फेक्शन की समस्या आसानी से हो सकती है, जो आपको अधिक बीमार कर सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
जानिए अन्य ब्लड डिसऑर्डर (Other Blood Disorders) के बारे में
प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर (Plasma cell disorders) के कारण प्लाज्मा सेल्स प्रभावित होती हैं। वाइट ब्लड सेल्स शरीर में एंटीबॉडीज बनाने का काम करती हैं। ये सेल्स इन्फेक्शन से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस कारण से शरीर में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
प्लाज्मा सेल मायलोमा (Plasma cell myeloma) रेयर ब्लड कैंसर है, जो बोन मैरो की प्लाज्मा सेल्स में होता है। घातक प्लाज्मा कोशिकाएं बोन मैरो में जमा हो जाती हैं और स्पाइन, हिप्स और रिब्स में ट्यूमर बनाती हैं। प्लाज्मा सेल मायलोमा किस कारण से होता है, इस बारे में अभी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
वॉन विलेब्रांड डिजीज ( Von Willebrand disease) इनहेरिटेड ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। जब ब्लड क्लॉटिंग के लिए जिम्मेदार प्रोटीन की कमी हो जाती है, तो वॉन विलेब्रांड डिजीज हो जाती है।
ब्लड कैंसर ब्लड डिजीज के अंतर्गत आता है। ब्लड कैंसर के अंतर्गत ल्यूकेमिया के कारण वाइट ब्लड सेल्स कैंसर हो जाता है। इस कारण से पेशेंट की इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इस कारण से रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का प्रोडक्शन भी कम हो जाता है। अगर ल्यूकेमिया का सही समय पर इलाज कराया जाए, तो बीमारी को लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। क्रोनिक ल्यूकेमिया का ट्रीटमेंट मुश्किल हो जाता है। ल्यूकेमिया को सामान्य ब्लड कैंसर माना जाता है। अक्यूट ल्यूकेमिया और क्रॉनिक ल्यूकेमिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। वहीं मायलोमा प्लाज्मा सेल्स कैंसर को कहते हैं। प्लाज्मा सेल्स कैंसर के कारण पेशेंट की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। लिम्फोमा कैंसर के कारण लिम्फेटिक सिस्टम में सेल्स ग्रोथ तेज हो जाती हैं।
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ब्लड डिसऑर्डर ( Blood Disorders) से ऐसे पाया जा सकता है निजात
ब्लड डिसऑर्डर या ब्लड डिजीज से बचने के लिए डॉक्टर रोगी की जांच करते हैं। लक्षणों के आधार पर जांच की जाती है और फिर बीमारी का इलाज किया जाता है। ट्रीटमेंट के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव भी बहुत जरूर होती है। अगर डायट में बदलाव किया जाए, तो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही शरीर में आयरन की कमी को भी दूर किया जा सकता है। जानिए ब्लड डिसऑर्डर या ब्लड डिजीज से निजात पाने के लिए कौन से उपाय किए जाते हैं।
एनीमिया (Anemia) से बचाव के लिए डायट में करें सुधार
एनीमिया से बचाव के लिए डॉक्टर आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में पूछेंगे। डॉक्टर ब्लड सेल्स की जांच के लिए सीबीसी ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। साथ ही खून में रेड ब्लड सेल्स के साइज और शेप को भी चेक किया जाएगा। डॉक्टर आपको डायट में चेंज की सलाह दे सकते हैं। एनीमिया से बचने के लिए खानपान में सुधार बहुत जरूरी है। खाने में आयरन युक्त भोजन को शामिल करें। विटामिन्स और मिनिरल युक्त फूड्स आयरन की कमी से बचाएंगे। फोलेट युक्त आहार का भी सेवन करें। डॉक्टर आयरन सप्लीमेंट्स, फोलेट और विटामिन सी सप्लीमेंट्स, विटामिन बी-12 के इंजेक्शन दे सकते हैं। अगर आपको एनीमिया है, तो बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें।
थैलेसीमिया (Thalassemia) से बचाव

थैलेसीमिया की बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। लैब में ब्लड का सैम्पल लेने के बाद जांच की जाती है और देखा जाता है कि रेड ब्लड सेल्स का शेप ठीक है या फिर नहीं। आपको बताते चले कि थैलेसीमिया की बीमारी होने पर रेड ब्लड सेल्स का शेप बिगड़ जाता है। फिर हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस (Hemoglobin electrophoresis) की हेल्प से रेड ब्लड सेल्स की असामान्यता को पहचाना जाता है। डॉक्टर थैलेसीमिया का इलाज करने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone marrow transplant), ब्लड ट्रांसफ्यूजन (blood transfusion), स्प्लीन रिमूव के साथ ही मेडिसिन और सप्लिमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर आपको फोलेट और आयरन से भरपूर फूड्स खाने की सलाह देंगे। थैलेसीमिया के लक्षणों के दिखने पर अगर जांच और इलाज सही समय पर करा लिया जाए, तो इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
हीमोफीलिया (Hemophilia) से बचाव के लिए लें आयरन रिच डायट
हीमोफीलिया से बचाव के लिए डॉक्टर ब्लड सैंपल की सहायता से रक्त की जांच करते हैं। डॉक्टर ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर को दवा की सहायता से बढ़ाने की कोशिश करते हैं। साथ ही हीमोफीलिया के लक्षणों को कम करने की कोशिश भी करते हैं। पेशेंट को खून की कमी भी हो सकती है, ऐसे में ब्लड चढ़ाना भी जरूरी होता है। डॉक्टर आपको इंजुरी से बचने की सलाह देंगे। आपको प्लेटलेट काउंट बढ़ाने वाली डायट लेनी चाहिए। खाने में विटामिन सी और आयरन से भरपूर डायट लें।
प्लेटलेट डिसऑर्डर (Platelet Disorder) से बचने के लिए प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन
डॉक्टर प्लेटलेट्स डिसऑर्डर को चेक करने के लिए फिजिकल एक्जामिनेशन कर सकते हैं। ब्लड सैंपल की हेल्प से खून में प्लेटलेट्स की जांच की जाती है। साथ ही क्लॉटिंग टेस्ट भी किया जाता है। डॉक्टर जीन म्यूटेशन की जांच भी कर सकते हैं। प्लेटलेट्स डिसऑर्डर रेयर होता है। प्लेटलेट्स डिसऑर्डर का कॉमन ट्रीटमेंट डेस्मोप्रेसिन (desmopressin) है। ये ट्रीटमेंट बॉडी में प्लेटलेट्स लेवल को बढ़ाने का काम करता है। इसे इंजेक्शन के रूप में स्किन या वेंस में दिया जाता है। अल्टरनेटिव के रूप में डॉक्टर ट्रानेक्सामिक एसिड (tranexamic acid) मेडिसिन भी दे सकते हैं। डॉक्टर प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन भी कर सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप डॉक्टर से स्पेशल डायट के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।
वाइट ब्लड सेल डिसऑर्डर (White Blood Cell disorder) से बचाव के लिए स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांटेशन
डॉक्टर कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट की सहायता से वाइट ब्लड सेल्स डिसऑर्डर की जांच करते हैं। डॉक्टर ब्लड स्मीयर टेस्ट की सहायता से ब्लड डिसऑर्डर की जांच कर सकते हैं। इन्फेक्शन होने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। वहीं मेडिकेशन की हेल्प से बोन मैरो में वाइट ब्लड सेल्स प्रोडक्शन को बढ़ाया जाता है। कुछ केसेज में स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांटेशन की हेल्प भी ली जा सकती है। वाइट ब्लड सेल ट्रांसफ्यूजन रेयर केस में ही किया जाता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
अन्य ब्लड डिसऑर्डर (Other Blood Disorders) से ऐसे पा सकते हैं निजात
प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर (Plasma cell disorders), प्लाज्मा सेल मायलोमा (Plasma cell myeloma),वॉन विलेब्रांड डिजीज ( Von Willebrand disease) या ब्लड कैंसर होने पर आपको कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। अगर बीमारी के लक्षणों को पहचान कर डॉक्टर से ट्रीटमेंट कराया जाए, तो बीमारियों के साइडइफेक्ट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ब्लड कैंसर के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। कुछ टेस्ट जैसे कि ट्यूमर मार्कर टेस्ट, ब्लड प्रोटीन टेस्ट, कम्प्लीट ब्लड काउंट आदि कैंसर की पहचान के लिए किए जाते हैं। ब्लड कैंसर ब्लड सेल्स की अनियमित ग्रोथ के कारण होता है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के दौरान कीमोथेरेपी की सहायता से कैंसर सेल्स के डेवलपमेंट को रोकने का काम करते हैं। रेडिएशन थेरिपी की सहायता से भी ब्लड कैंसर के खतरे को कम किया जाता है।
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ब्लड डिसऑर्डर या डिजीज की जांच के लिए किए जाते हैं ये टेस्ट्स (Tests for Blood Disorders)

ब्लड डिसऑर्डर को डायग्नोज करने के लिए फिजिकल एक्जामिनेशन करते हैं। कभी-कभी ब्लड डिसऑर्डर के कारण कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन लेबोरेट्री टेस्ट के बाद बीमारी का कारण पता चल जाता है। रेग्युलर चेकअप के लिए कम्प्लीट ब्लड काउंट किया जाता है। जब किसी अन्य ब्लड डिऑर्डर का आभास होता है, तो डॉक्टर कम्प्लीट ब्लड काउंट के साथ ही अन्य टेस्ट की भी सलाह देते हैं।
कम्प्लीट ब्लड काउंट (Complete blood count)
सेल्युलर कम्पोनेंट की जांच के लिए कम्प्लीट ब्लड काउंट की हेल्प ली जाती है। इस टेस्ट की हेल्प से रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स के बारे में जानकारी मिलती है। थोड़े से ब्लड में ये टेस्ट एक मिनट में किया जा सकता है।
ब्लड स्मीयर (Blood smear)
ब्लड स्मीयर टेस्ट की हेल्प से ब्लड सेल्स के शेप और साइज के बारे में जानकारी मिलती है। माइक्रोस्कोप की हेल्प से ब्लड स्मीयर टेस्ट किया जाता है। माइक्रोस्कोप से जांच के दौरान एडिशनल जानकारी भी मिल जाती है। एक ग्लास स्लाइड में ब्लड की लेयर बनाई जाती है और प्रत्येक ब्लड सेल्स के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। सेल्स काउंट, साइज और स्पेसिफिक करेक्टर के बारे में इस टेस्ट से जानकारी मिलती है।