1-प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस को करें मैनेज
चलना ध्यान करते वक्त जब हम पार्क, गार्डेन में चलते हैं तो प्रकृति की ठंडी-ठंडी हवा, सुंदर-सुंदर फूल, उनकी खुशबू से हमारा तालमेल बनता है। जिससे मन को एक अजीब शांति का एहसास होता है जो माइंड को अलग स्फूर्ति से भर देता है। और हम जीवन को एक ही नए ही पहलु से समझने की कोशिश करने लगते हैं। जिंदगी के सारे उलझन सुलझने लगते हैं। इससे जिंदगी के उलझनों से जो स्ट्रेस हमारी नींद उड़ाते रहती है उसको आसानी से मैनेज कर पाते हैं।
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2- वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस से कैसे पाए राहत
वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट आसान तरीका साबित हो सकता है। आजकल के प्रतियोगितामूलक जीवन का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट स्ट्रेस या तनाव होता है , स्ट्रेस या तनाव या चिंता। लोग हमेशा खुद को दूसरों के सामने बेहतर साबित करने के दौड़ के कारण या वर्कलोड को कम करने के बोझ से हमेशा तनाव में ही जीते हैं। चिंता जिंदगी का एक अंग बन गया है। जिसका असर हमारे पूरे शरीर को भुगतना पड़ता है। चलना ध्यान करने से मन शांत होता है और शरीर के तंत्रिकाओं को आराम मिलता है। जिसका सीधा असर मन पर पड़ता है और अशांत, बेचैन मन को शांति मिलती है।
3- वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस के अलावा डिप्रेशन से पाये राहत
अवसाद अब एक उम्र के हद तक सीमित नहीं रह गया है। इस बीमारी से बच्चे से लेकर युवा, वयस्क और बूढ़े सभी ग्रस्त हैं। बच्चों को परीक्षा में सही रिजल्ट न मिलने का डिप्रेशन हैं तो वयस्को को लाइफ में सही तरह से सेट्ल नहीं होने का गम है और बुजुर्गों को अकेलेपन की चिंता है। अध्ययन से यह पता चला है कि बुद्धिस्ट वॉकिंग मेडिटेशन को 12 हफ्तों तक हफ्ते में तीन बार करने से मन से अवसाद की स्थिति से राहत मिली है। लोगों का फिटनेस लेवल बेहतर होने के कारण उनको बेहतर महसूस होने लगता है।
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4- स्ट्रेस को कम करके मन की एकाग्रता बढ़ायें